पटना (मा.स.स.). चार जनवरी से पटना हाईकोर्ट में फिजिकल कोर्ट के शुरू होने के बाद भी 7,300 अग्रिम जमानत मामले को ठंडे बस्ते में डाल देने से वकील उग्र हो गए हैं l दूसरी तरफ वकीलों को हाईकोर्ट में घुसने में हो रही भारी फजीहत के विरोध में 25 जनवरी को मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट की तालाबंदी करेंगे। वकील प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया है कि पटना हाईकोर्ट के जजों को प्रत्येक माह नियमित समय पर वेतन मिल जाता है लेकिन वकील जो अपने केस को लेकर जीवन यापन करते हैं उनकी स्थिति लगातार खराब होती जा रही है l एडवोकेट एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री श्रीप्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि मामले की सुनवाई के लिए जजों को अधिक से अधिक समय देना चाहिए लेकिन यहां कुछ जज 10:30 बजे से कोर्ट करते हैं और कुछ 2:15 बजे से l इसको लेकर वकीलों को ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जजों को तो नियमित रूप से वेतन मिल जाता है l
अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के महामंत्री रणविजय कुमार कुमार सिंह ने आरोप लगाया है कि मुख्य न्यायाधीश ने दूसरे जजों के अधिकारों को अपने हाथ में ले लिया हैl कोई जज यदि महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई करना चाहे तो भी वह नहीं कर सकते क्योंकि उनसे मेंशनिंग का पावर ले लिया गया है, जबकि अधिवक्ता राम संदेश राय ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश केवल अपने तक ही सीमित हैं। वह ऐसे मामलों को जल्दी निपटा लेते हैं जिसमें कुछ नहीं करना होता है लोकहित याचिका और उत्पाद अधिनियम से संबंधित मामलों के ज्यादा से ज्यादा सुनवाई करते हैं, ताकि उनका नाम हमेशा छपता रहेl अधिवक्ता दिनेश कुमार ने आरोप लगाया है कि वकील हाईकोर्ट में जाकर अपनी फाइल कहां रखेंगे और टॉयलेट कहां जाएंगे, इसकी भी एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है यहां तक कि जो महिला कांस्टेबल ड्यूटी में हैं उन्हें भी बाथरूम जाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है l
जजों की संख्या पटना हाईकोर्ट में महज 22 रह गई है दूसरी तरफ वकील कोटे से और न्यायिक सेवा से जुड़े लोगों का भी नाम जज बनाने के लिए मुख्य न्यायाधीश नहीं भेज रहे हैं I इसमें भी भारी राजनीति हो रही है जजों की भारी कमी को लेकर वकील में बौखलाहट तेज हो गई है।