नई दिल्ली (मा.स.स.). नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड निकालेंगे. किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान आम लोगों को ट्रैफिक के कारण परेशानी का सामना करना पड़ सकता है और इसको लेकर पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है. दिल्ली पुलिस ने शर्तों के साथ किसानों की ट्रैक्टर रैली को तीन रूट पर निकालने की मंजूरी दी है. पहला रूट 62-63 किलोमीटर का होगा और रैली दिल्ली के सिंघु बॉर्डर से निकलकर संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर, कंजावला, बवाना और चंडी बॉर्डर से गुजरते हुए केएमपी एक्सप्रेसवे पहुंचेगी.
दूसरी रैली टिकरी बॉर्डर से निकलकर नागलोई, नजफगढ़ और जाड़ौदा होते हुए वेस्टर्न पेरीफैरियल एक्सप्रेसवे तक जाएगी. वहीं तीसरे रूट पर किसानों की रैली गाजीपुर से निकलकर रैली अप्सरा बॉर्डर, हापुड़ रोड होते हुए केजीटी एक्सप्रेसवे तक जाएगी. किसानों की ट्रैक्टर रैली को देखते हुए हरियाणा पुलिस ने ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की है. पुलिस ने कहा कि रैली के कारण केएमपी-केजीपी एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक प्रभावित होगा और 25 से 27 जनवरी के दौरान कुंडली, असौधा और बादली में इंटरचेंजेस पर ट्रैफिक मूवमेंट बाधित रहेगा. इसके अलावा करनाल से दिल्ली और रोहतक से दिल्ली के बीच भी नेशनल हाइवे पर रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है. पुलिस ने कहा कि लोगों को इन रास्तों पर जाने से बचना चाहिए.
परेड की शुरुआत में किसान नेताओं की गाड़ी होगी और कोई भी ट्रैक्टर उससे आगे नहीं जाएगा. कोई भी गाड़ी परेड रूट से बाहर नहीं जाएगी और ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला किया है कि कोई गाड़ी सड़क पर बिना रुके चलेगी. कोई भी रुकने या रास्ते में डेरा डालने की कोशिश करता है तो वॉलंटियर उन्हें हटाएंगे. एक ट्रैक्टर पर ज्यादा से ज्यादा ड्राइवर समेत पांच लोग सवार होंगे और बोनट, बंपर या छत पर कोई नहीं बैठेगा. रैली के दौरान सभी ट्रैक्टर लाइन में चलेंगे और कोई रेस नहीं लगाएगा.
ट्रैक्टर पर किसी तरह का ऑडियो डेक बजाने पर मनाही है. इसके अलावा परेड के दौरान किसी भी नशे के इस्तेमाल पर रोक है. गणतंत्र दिवस की शोभा बढ़ानी है और पब्लिक का दिल जीतना है. इसलिए औरतों, पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मियों के साथ इज्जत से पेश आएं. परेड के दौरान सड़क पर कचरा ना फैलाएं और कचरे के लिए अपने साथ अलग से एक बैग रखें. नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन पिछले 61 दिनों से जारी है और किसान लगातार तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी दी जाए और तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द किया जाए.