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महामारी से भी घातक है एड्स, करोड़ों जिंदगी लील चुका है ‘लाल रिबन का फंदा’

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– डॉ० घनश्याम बादल

पूरा विश्व एक दिसंबर को एड्स रोधी दिवस मनाता है,एड्स दुनियाभर की सबसे घातक बीमारियों में है एड्स ने कई महामारियों से अधिक लोगों की जान ली है । इस व्याधि का प्रतीक’लाल रिबन का फंदा’ जीवन के गले में फांसी के फंदे की तरह आज भी मौजूद है। दुनिया भर में इंसान का  सबसे घातक दुश्मन है एड्स ।  एड्स करीब – करीब लाइलाज़  है । हालांकि एड्स के वायरस का पता 1983 में चल गया था, पर उपचार की खोज आज  भी जारी है ।

एड्स और एच.आई. वी

अतिसूक्ष्म विषाणु एच.आई.वी हैं की वजह से एड्स होता है। एड्स स्वयं में कोई रोग नहीं है बल्कि एक उपलक्षण है। यह अन्य रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता है। प्रतिरोधक क्षमता के  घटने से कोई भी संक्रमण, जैसे सर्दी जुकाम से ले कर टीबी,, कैंसर  जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।

आरंभिक लक्षण

तेजी से और अत्याधिक वजन घटना , सूखी खांसी , लगातार ज्वर या रात के समय अत्यधिक व असाधारण मात्रा में पसीने छूटना ,कंधों और गर्दन में लम्बे समय तक सूजी हुई लसिकायें ,एक हफ्ते से अधिक समय तक दस्त होना। लम्बे समय तक गंभीर हैजा, फेफड़ों में जलन  ,चमड़ी के नीचे, मुँह, पलकों के नीचे या नाक में लाल, भूरे, गुलाबी या बैंगनी रंग के धब्बे , निरंतर भुलक्कड़पन, लम्बे समय तक उदासी एड्स के आरंभिक लक्षण है अतः यदि ऐसे लक्षण आपको अपने में या किसी  में नजर आए तो तुरंत सजग हो जाएं।

एचआईवी संक्रमण के तीन मुख्य चरण हैं –

पहला चरण  :

एचआईवी की प्रारंभिक अवधि 2 से 4 सप्ताह है इसमें इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी या मोनोंयुक्लिओसिस जैसी बीमारी के लक्षण दिखते हैं सबसे प्रमुख लक्षण बुखार, लिम्फ नोड्स, गले की सूजन, चक्कते, सिर दर्द या मुँह और जननांगों के घाव आदि है । कुछ लोगों में उल्टी, मिचली या दस्त और कुछ में जुल्लैन बर्रे सिंड्रोम जैसी बीमारियों के लक्षण दिखते हैं।

दूसरा चरण :

एचआईवी संक्रमण का दूसरा चरण ३ साल से २० साल तक रह सकता है । इस चरण के अंत के कई लोगों को बुखार, वजन घटना, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं और मांसपेशियों में दर्द अनुभव होता है । इलाज के आभाव में बढ़ कर एड्स में बदल जाता है ।

अंतिम अवस्था  :

एड्स की अंतिम अवस्था है इस से पीड़ित हो जाना यह सबसे खतरनाक अवस्था है । दुनिया भर में इस समय लगभग चार करोड़ 20 लाख लोग एच.आई.वी का शिकार हैं। इनमें से दो तिहाई सहारा से लगे अफ्रीकी देशों में रहते हैं और उस क्षेत्र में भी जिन देशों में इसका संक्रमण सबसे ज्यादा है वहाँ हर तीन में से एक वयस्क इसका शिकार है। दुनिया भर में लगभग 14,000 लोग प्रतिदिन इसका शिकार हो रहे हैं ।

एड्स के कारण  :

असुरक्षित सैक्स :

एचआईवी संक्रमण सबसे ज्यादा  संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संपर्क से होता है ।  हालांकि, एच. आई. वी. प्रसार भिन्न भिन्न देशों में भिन्न भिन्न तरीकों से हुआ है. संयुक्त राज्य अमेरिका में 2009 तक, सबसे अधिक 64% एच. आई. वी. प्रसार समलैंगिक पुरुषों में हुआ । असुरक्षित विषमलिंगी यौन संबंधो में अनुमानतः प्रत्येक यौन सम्बन्ध में एचआईवी संक्रमण का जोखिम कम आय वाले देशों में उच्च आय वाले देशों कि तुलना से चार से दस गुना ज्यादा है।

संक्रमित सीरींज  :

एचआईवी के संक्रमण का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत रक्त और रक्त उत्पाद हैं।  रक्त के द्वारा संक्रमण नशीली दवाओ के सेवन के दौरान सुइयों के साझा प्रयोग के द्वारा, संक्रमित सुई से चोट लगने पर, दूषित रक्त या रक्त उत्पाद के माध्यम से या उन मेडिकल सुइयों के माध्यम से जो एच. आई. वी. संक्रमित उपकरणों के साथ होते हैं।  इंजेक्शन आपस में लगाने से भी इसके फैलने का जोखिम है।

माँ से बच्चे को संक्रमण :

एचआईवी माँ से बच्चे को गर्भावस्था के दौरान, प्रसव के दौरान और स्तनपान से हो सकता है।  एचआई वी दुनिया भर में फैलने का यह तीसरा सबसे आम कारण है । इलाज के अभाव में जन्म के पहले या जन्म के समय इसके संक्रमण का जोखिम 20 प्रतिशत तक होता है और स्तनपान के द्वारा यही जोखिम 35 प्रतिशत तक होता है ।  वर्ष 2008 तक बच्चो में एच आई वी का संक्रमण 90 प्रतिशत मामलों में माँ के द्वारा हुआ। नवजात शिशु को स्तनपान से न करा के तथा नवजात शिशु को भी एंटीरिट्रोवाइरल औषधियों की खुराक देकर माँ से बच्चे में एच. आई. वी. का संक्रमण रोका जा सकता है ।

कैसे बचें  :

अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहें। एक से अधिक व्यक्ति से यौनसंबंध न रखें।  यौन संबंध के समय कंडोम का सदैव प्रयोग करें। यदि कोई  एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित हैं तो अपने जीवनसाथी से इस बात का खुलासा अवश्य करें।   एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित रक्तदान कभी न करें।  रक्त ग्रहण करने से पहले रक्त का एच.आई.वी परीक्षण अवश्य कराएं ।

एड्स, मिथक और सच

एड्स ग्रसित व्यक्ति से हाथ मिलाने से ,एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित व्यक्ति के साथ रहने से या उनके साथ खाना खाने से ,एक ही बर्तन या रसोई में स्वस्थ और एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित व्यक्ति के खाना बनाने से एड्स का संक्रमण होना स्वास्थ्य विशेषज्ञ केवल एक मिथक मानते हैं । मगर यदि एड्स का रोगी एड्स की अंतिम अवस्था में पहुंच चुका है यानी व्यक्ति तीव्र संक्रमण का शिकार हो तो उससे दूरी बना कर रखना ही बेहतर होता है।

एड्स का उपचार

एड्स के इलाज पर निरंतर शोध जारी है । भारत, जापान, अमरीका, युरोपीय देश और अन्य देशों में इस के इलाज व इससे बचने के टीकों की खोज जारी है। हालांकी एड्स के मरीजों को इससे लड़ने और एड्स होने के बावजूद कुछ समय तक साधारण जीवन जीने में सक्षम है।

अच्छी खबर:

अच्छी खबर यह है कि सिपला और हेटेरो जैसे प्रमुख भारतीय दवा निर्माता एच.आई.वी पीड़ितों के लिये शीघ्र ही गोलियाँ बनाने जा रहे हैं जो इलाज आसान बना सकेगा (सिपला की  वाईराडे द्ध इसे सरकार से  भी मंजूरी मिल गई है। इन दवाईयों पर प्रति व्यक्ति सालाना खर्च तकरीबन एक लाख रुपये होगा, यानि यें  वैश्विक कीमत से यह 80-85 प्रतिशत सस्ती होंगी।

एड्स रोगियों के प्रति व्यवहार:

यौन विषयों पर बात करना हमारे समाज में वर्जना का विषय रहा है। जबकि इस संवेदनशील मसले पर अनजान बने रहना कोई हल नहीं है। इस भयावह स्थिति से निपटने का एक महत्वपूर्ण पक्ष सामाजिक बदलाव लाना है उनसे नफरत न करें इसे भी एक रोग की तरह ही मान कर उनका ख्याल रखें व हौसला बढ़ाएं ।

लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र  स्तंभकार हैं

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