वाशिंगटन (मा.स.स.). रूस के यूक्रेन पर सैन्य हमले और उसके बाद रूस पर लगाये गए आर्थिक प्रतिबंधों के मद्देनजर कच्चे तेल की कीमतों में आग लगी है. कच्चे तल की कीमतें 110 डॉलर प्रति बैरल के पार जा पहुंची है. वहीं रूस पर लगाये गए प्रतिबंधों के चलते माना जा रहा है कि दुनियाभर में कच्चे तेल की सप्लाई बाधित हो सकती है. ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ऐलान किया है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों को स्थिर रखने के लिए अमेरिकी प्रशासन ने 30 अन्य देशों के साथ मिलकर अमेरिकी रणनीतिक आरक्षित भंडार (रिजर्व) से करोड़ों बैरल तेल देने का फैसला किया है.
बाइडन के मुताबिक उनका प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए मजबूत कदम उठा रहा है कि रूस की अर्थव्यवस्था पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों का व्यपाक असर हो. उन्होंने संकल्प लिया कि उनका प्रशासन अमेरिकी कारोबार और उपभोक्ताओं की रक्षा के लिए सभी कदम उठाएगा. बाइडन ने कहा, मैं सभी अमेरिकियों के प्रति ईमानदार रहूंगा जैसा कि मैंने हमेशा वादा किया है. रूसी तानाशाह ने दूसरे देश पर हमला किया है और इसका भार पूरी दुनिया पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा, मैं घोषणा करना चाहता हूं कि अमेरिका ने 30 अन्य देशों के साथ मिलकर दुनिया भर के तेल रिजर्व (आरक्षित भंडार) से छह करोड़ बैरल तेल देने का फैसला किया है. अमेरिका इस पहल का नेतृत्व करेगा और हम अपने रणनीतिक पेट्रोलियम आरक्षित भंडार से तीन करोड़ बैरल तेल जारी कर रहे हैं . जरूरत पड़ी तो आगे और कच्चा तेल उपलब्ध कराया जाएगा.
रूस यूक्रेन के बीच युद्ध को थामा नहीं गया तो कच्चे तेल के दाम और बढ़ सकते हैं जिससे भारत समेत उन देशों की मुसीबत बढ़ेगी जो आयातित कच्चे तेल पर निर्भर हैं. दरअसल रूस दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल है. रूस यूरोप को उसके कुल खपत का 35 फीसदी कच्चा तेल सप्लाई करता है. भारत भी रूस से कच्चा तेल खरीदता है. दुनिया में 10 बैरल तेल जो सप्लाई की जाती है उसमें एक डॉलर रूस से आता है. ऐसे में कच्चे तेल की सप्लाई बाधित होने से कीमतों में और अधिक तेजी आ सकती है.