इस्लामाबाद (मा.स.स.). पाकिस्तान की एंटी टेरर कोर्ट ने आतंकी हाफिज सईद को अवैध फंडिंग मामले में 31 साल कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने हाफिज सईद की सारी संपत्ति को जब्त करने का आदेश देते हुए 3 लाख 40 हजार का जुर्माना भी लगाया है। एंटी टेररिज्म कोर्ट के जज एजाज बटर ने सुनवाई करते हुए हाफिज को यह सख्त सजा सुनाई। ये केस पाकिस्तान की CID ने हाफिज और अन्य के खिलाफ दर्ज किए थे। काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (CTD) ने जुलाई 2019 में लाहौर से गुजरांवाला जाते वक्त गिरफ्तार किया था।
जमात उद दावा (JUD) के प्रमुख हाफिज को संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकी घोषित कर चुका है। अमेरिका ने उस पर 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा है। हाफिज मुंबई में साल 2008 के आतंकी हमले का मास्टर माइंड और वॉन्टेड अपराधी है। इस हमले में सैकड़ों लोग मारे गए थे। 2020 में भी हाफिज सईद को एंटी टेरर कोर्ट ने टेरर फंडिंग के मामले में 15 साल जेल की सजा सुनाई थी। इससे पहले ऐसे पांच मामलों में 70 साल के कट्टरपंथी मौलवी को पहले ही 36 साल कैद की सजा सुनाई जा चुकी है। उसे मिली 68 साल कैद की कुल सजा एक साथ चलेगी।
एक वकील ने बताया कि संभव है सईद को ज्यादा साल जेल में नहीं बिताने पड़ें क्योंकि उसकी सजा साथ-साथ चलेगी। वहीं, कोर्ट एक अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को आतंकवाद निरोधक अदालत (एटीसी) के न्यायाधीश एजाज अहमद भुट्टर ने पंजाब पुलिस के आतंकवाद रोधी विभाग द्वारा दर्ज दो प्राथमिकी 21/2019 और 90/2019 में सईद को 32 साल की जेल की सजा सुनाई। वहीं, उसे पहले भी साढ़े 15 साल और साढ़े 16 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। अदालत ने सईद पर 3.4 लाख पाकिस्तानी रुपयों का जुर्माना भी लगाया। उन्होंने कहा कि सईद को लाहौर की कोट लखपत जेल से अदालत में लाया गया, जहां वह 2019 से कड़ी सुरक्षा में कैद है। संयुक्त राष्ट्र-नामित आतंकवादी सईद पर अमेरिका ने एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा है। उसे जुलाई 2019 को आतंक के वित्तपोषण के मामलों में गिरफ्तार किया गया था।
माना जा रहा है कि कोर्ट ने हाफिज सईद के खिलाफ यह फैसला ऐसे समय में सुनाया है, जब पाकिस्तान पर एफएटीएफ की काली सूची में शामिल होने का खतरा मंडरा रहा है। अगर पाक को एफएटीएफ की काली सूची में शामिल कर लिया जाता है तो उसकी डूब रही अर्थव्यवस्था पर यह कड़ा प्रहार होगा।