लखनऊ (मा.स.स.). उत्तर प्रदेश में इस समय साम्प्रदायिकता का मुद्दा गरमाया हुआ है. कुछ दिन पहले प्रदेश के एक निजी विश्वविद्यालय में मिड सेमेस्टर परिक्षा के दौरान हिन्दुत्व को फासीवाद और नाजीवाद के समकक्ष सिद्ध करने को छात्रों से कहा गया था और अब प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित लखनऊ विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप लग रहे है. जिसके चलते एबीवीपी छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में जमकर हंगामा और नारेबाजी की. इसके साथ ही अरोपित प्रोफेसर को माफी मांगने को कहा. जब प्रोफेसर ने माफी मांगने से इनकार कर दिया तो छात्रों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरु कर दिया.
आपत्तिजनक टिप्पणी पर भड़के छात्र
विश्वविद्यालय की तरफ से विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों को शांत कराने की कोशिश की गई लेकिन कोई रास्ता नही निकला. उसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी सूचना नजदीकी थाने में दी. सूचना मिलते ही हसनगंज थाने की पुलिस विश्वविद्यालय पहुच गई. जहां उसने विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों को समझाने और रोकने की कोशिश की लेकिन छात्र प्रोफेसर द्वारा माफी मांगे जाने की बात पर अड़े रहे.
टीवी शो के दौरान विवादित बयान
इस समय काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है. मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में विचाराधीन है. इसी संदर्भ में लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रविकांत ने एक लाइव टीवी शो के दौरान इस मुद्दे पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद से प्रोफेसर साहब के खिलाफ एबीवीपी के छात्रों ने मोर्चा खोल दिया. एक सवाल के जवाब में छात्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय के अन्य प्रोफेसर भी इस विवादित बयान की निंदा कर रहे है.
यह भी पढ़ें–ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पुलिस कमिश्नर बदलने की याचिका पर सुनवाई आज