नई दिल्ली (मा.स.स.). मैरिटल रेप को लेकर बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। फैसला सुनाते समय हाईकोर्ट के दोनों जजों ने इस पर अलग-अलग राय जाहिर की। हाईकोर्ट के जस्टिस शकधर ने कहा IPC की धारा 375, संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। वहीं जस्टिस सी हरिशंकर ने कहा कि मैरिटल रेप को किसी कानून का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। बेंच ने याचिका लगाने वालों से कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं।
अदालत ने सात फरवरी को वैवाहिक दुष्कर्म के अपराधीकरण की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र को अपना रुख स्पष्ट करने के लिये दो हफ्तों का समय दिया था। केंद्र ने हालांकि फिर से अदालत से और समय देने का आग्रह किया, जिसे पीठ ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि मौजूदा मामले को अंतहीन रूप से स्थगित करना संभव नहीं है। केंद्र ने दलील दी कि उसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस मुद्दे पर उनकी राय के लिए पत्र भेजा है। केंद्र ने अदालत से अनुरोध किया कि जब तक उनकी राय नहीं मिल जाती, तब तक कार्यवाही स्थगित कर दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट इस बात की जांच करने के लिए सहमत हो गया कि क्या भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत पतियों को दी गई छूट के बावजूद अपनी पत्नी के साथ बलात्कार के लिए एक व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
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