भारत का सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध सूर्य मंदिर ओड़िशा राज्य में पूरी जिले के कोणार्क कस्बे में स्थित है। सूर्य भगवान को समर्पित यह कोणार्क मंदिर उड़ीसा के पूर्वी तट पर बना हुआ है, जो कि अपनी भव्यता, और अद्भुत बनावट की वजह से मशहूर है। यह मंदिर एक बेहद विशाल रथ के आकार में बना हुआ है। इसलिए इसे भगवान का रथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
कोणार्क शब्द कोण और अर्क से मिलकर बना है, जहां कोण का अर्थ कोना-किनारा एवं अर्क का अर्थ सूर्य से है। अर्थात सूर्य का कोना जिसे कोणार्क कहा जाता है। इसी तर्ज पर इस मंदिर को कोणार्क सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है। अपनी अद्भभुत खूबसूरती की वजह से कोणार्क सूर्य मंदिर को भारत के 7 आश्चर्यों में शामिल किया गया है। इस प्राचीन सूर्य मंदिर का निर्माण 1250 ईसवी में पूर्वी गंगा राजवंश के प्रसिद्धि सम्राट नरसिम्हा देव ने करवाया था।
कोणार्क सूर्य मंदिर को गंगा राजवंश के प्रसिद्ध शासक राजा नरसिम्हादेव ने 1243-1255 ईसवी के बीच करीब 1200 मजदूरों की सहायता से बनवाया था। आपको बता दें कि इस विशाल मंदिर की नक्काशी करने और इसे सुंदर रुप देने में करीब 12 साल का लंबा समय लग गया था। हालांकि इस मंदिर के निर्माण के पीढे कई पौराणिक और धार्मिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं।
साभार : वेद गुप्ता