भोपाल (मा.स.स.). एक ऑनलाइन विमोचन कार्यक्रम में मालवी भाषा की पुस्तक का विमोचन हुआ। इस पुस्तक व लेखक के बारे में बताते हुए समारोह के विशेष अतिथि राजेश रावल ने कहा कि इन्दौर में रहने वाले जम्मू कश्मीर वासी वरिष्ठ हिन्दी कवि डॉ रवीन्द्र नारायण पहलवान की इन मनभाती मालवी कविताहोण में जिन्दगी का सार नजर आता है। जिन्दगी का कड़वा-मीठा नीम जैसा, गहरा गहरा भाव, स्वभाव इन मनभाती मालवी कविताओं में, जहाँ हिन्दी की कड़वी व्यंग्यात्मकता है वहाँ मालवी बोली की मिठास भी बहुत है।
किसी भी भाषा, बोली में अपने अनुभव को भाव स्वभाव को कागज पर उकेरना सरल काम हो सकता है परन्तु दूसरे के अनुभव अपनी भाषा बोली में उकेरना या यूँ कहें कि (अनुवाद) करना बहुत कठीन काम है। जैसे पहलवानजी हिन्दी के प्रख्यात कवि है वैसे ही डॉ. शशी निगम बहन मालवी की सशक्त कवयित्री है। शशि बहन ने जो हिन्दी कविताओं का अनुवाद किया है वो बहुत बड़ा काम है।
विनायक प्रकाशन, इन्दौर से प्रकाशित बड़ा प्रख्यात कवि कवि मुकेश इंदौरी द्वारा संपादित बनाये हुए आवरण पृष्ठ से सजी, कवि डॉ. रवीन्द्र नारायण पहलवान की इस “मनभाती मालवी कविताहोण” किताब में 112 पेंज की पुस्तक में 101 कविताहोण है जिनका अनुवाद डॉ. शशि निगम बेन ने किया है। कविताओं का भाव याने कला पक्ष पर मध्यप्रदेश मालवी निमाड़ी शोध केन्द्र की संस्थापक डॉ स्वाति तिवारी ने इस पुस्तक की भूमिका में सब लिख दिया है। पुस्तक का समापन अनुवादक के परिचय के साथ किया ये बहुत अच्छी बात है। मैं भी कवि भाई रवीन्द्र जी के ने अनुवादक बेन शशि जी के और शुभकामना देते हुए अपनी बात समाप्त करता हूँ।
समारोह की अध्यक्षता मालवी कवि व रंगकर्मी नरहरि पटेल ने की। इस अवसर पर विशेष रूप से छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग के पूर्व सहायक संचालक टी.पी.त्रिपाठी , डॉ. रवीन्द्र पहलवान, डॉ. स्वाति तिवारी, डॉ. शशि निगम व मुकेश इंदौरी आदि उपस्थित रहे।