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कछुओं के संरक्षण में भारत के प्रयासों की सराहना हुई

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नई दिल्ली (मा.स.स.).

मुख्य बिंदुः

  • ताजे पानी में रहने वाले कछुये बटागुर कचूगा को संरक्षण सूची में शामिल करने के भारत के प्रस्ताव को भारी समर्थन।
  • भारत के वन्यजीव अपराध को रोकने के प्रयास ऑप्रेशन टर्टशील्ड की प्रशंसा।

वनों के विलुप्तप्राय जंतुओं और वनस्पति के अंतर्राष्ट्रीय कारोबार सम्बंधी सम्मेलन (सीआईटीईएस-साइट्स) पर पक्षकारों की 19वीं बैठक (कॉप-19) का आयोजन पनामा सिटी में 14 नवंबर से 25 नवंबर, 2022 तक किया जा रहा है। कॉप-19 में, ताजे पानी में रहने वाले कछुये बटागुर कचुगा (बंगाल आदि में पाया जाने वाला लाल खोल वाला कछुआ) को संरक्षण सूची में शामिल करने के भारत के प्रस्ताव का सभी पक्षकारों ने भारी समर्थन किया है। सभी पक्षकारों ने इसकी सराहना की और लागू करने की रजामंदी दी।

साइट्स ने जमीन और ताजे पानी में रहने वाले कछुओं के संरक्षण के लिये भारत द्वारा किये जाने वाले कामों की भरपूर सराहना की। साइट्स ने देश में वन्यजीव अपराधों और कछुओं के गैर-कानूनी कारोबार के खिलाफ भी भारत के प्रयासों की प्रशंसा की। जमीन और ताजे पानी में रहने वाले कछुओं के बारे में साइट्स सचिवालय ने प्रस्ताव दस्तावेज पेश किया था, जिसमें भारत के वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के ऑप्रेशन टर्टशील्ड के सकारात्मक परिणामों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। इन प्रयासों के तहत ताजे पानी में रहने वाले कछुओं के शिकार और उनके गैर-कानूनी कारोबार से जुड़े अपराधियों की धड़-पकड़ शामिल है। देश के विभिन्न भागों में एजेंसियों ने बड़ी मात्रा में जब्ती की कार्रवाई भी की है।

कॉप-19 में भारत ने देश में जमीन और ताजे पानी में रहने वाले कछुओं के संरक्षण के बारे में अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी। भारत ने जमीन और ताजे पानी में रहने वाले कछुओं की कई प्रजातियों को रेखांकित किया। ये कछुये विलुप्त होने की खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके हैं और इन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में सम्मिलित करके उच्चस्तरीय सुरक्षा दी जा रही है। भारत ने साइट्स परिशिष्ट II में कई प्रजातियों को शामिल करने का आग्रह किया है, जिसकी बदौलत वन्यजीव प्रजातियों को दुनिया भर में गैर-कानूनी कारोबार का शिकार बनने से सुरक्षा मिलेगी। भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व वन महानिदेशक व विशेष सचिव ने किया। शिष्टमंडल साइट्स के कॉप की मौजूदा बैठक में विलुप्त प्राय वन्यजीव तथा वनस्पति के संरक्षण और कारोबार से जुड़े सूचीबद्ध विषयों पर चर्चा कर रहा है।

पृष्ठभूमिः

साइट्स-कॉप को विश्व वन्यजीव सम्मेलन के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें साइट्स के सभी 184 पक्षकारों को सम्मिलित होने, विचार के लिये सम्मेलन में प्रस्ताव पेश करने तथा सभी निर्णयों पर मतदान करने का अधिकार है। अब तक 52 प्रस्तावों को रखा गया है, जिनसे शार्क, सरी-सृपों, हिप्पो, सॉन्गबर्ड, गैंडों, वृक्षों की 200 प्रजातियों, आर्किड फूलों, हाथियों, कछुओं, आदि के अंतर्राष्ट्रीय कारोबार पर नियम बनाने में सुविधा होगी। साइट्स के बारे में: साइट्स एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जिसका स्वैच्छिक पालन शासकीय और क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण संगठन करते हैं। यद्यपि साइट्स सभी पक्षकारों पर कानूनन बाध्य है– अन्य शब्दों में कहा जाये तो उन्हें प्रस्ताव को लागू करना है – लेकिन यह राष्ट्रीय कानून की जगह नहीं ले सकता। इसके बजाय इसके जरिये हर पक्षकार के लिये एक प्रारूप तैयार हो जाता है, जिसे वह अपने घरेलू कानून में शामिल करके साइट्स को राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वित कर सकता है।

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