अंतरराष्ट्रीय डेस्क (मा.स.स.). यूक्रेन पर रूस के हमले ने जर्मनी को अपनी सैन्य प्रोफाइल बढ़ाने के लिए मजबूर कर दिया है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने विदेश और रक्षा नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव की घोषणा की है। रविवार को एक आपातकालीन संसदीय बैठक के बाद उन्होंने साल 2022 में अपनी सेना पर 100 अरब यूरो यानी 113 अरब डॉलर खर्च करने का ऐलान किया। इसके मुकाबले 2021 में जर्मनी का सैन्य बजट 47 अरब यूरो यानी करीब 53 अरब डॉलर ही था।
शोल्ज ने कहा कि यूक्रेन पर हुए हमले के साथ, हम अब एक नए युग में हैं। अब से साल दर साल जर्मनी अपने रक्षा खर्च को जीडीपी के 2% से ऊपर रखेगा। बता दें कि जर्मनी NATO देशों में शामिल है। NATO के सभी सदस्य देशों ने 2014 में अपनी GDP का 2% रक्षा पर खर्च करने का वादा किया था, लेकिन जर्मनी लगातार इससे बहुत कम खर्च करता रहा है। अमेरिका पिछले कई सालों से इसका विरोध करता रहा है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी नाटो के सहयोगी रक्षा कोष में पर्याप्त खर्च नहीं करने के लिए जर्मनी के पूर्व चांसलर एंजेला मर्केल की लगातार आलोचना की थी।
यूरोपीय सुरक्षा नीति में बीते कई दशकों में हुआ यह सबसे बड़ा बदलाव है। माना जा रहा है कि इसकी वजह यूक्रेन पर रूस का हमला है। शोल्ज ने कहा कि पुतिन के हमले ने स्पष्ट कर दिया है कि हमें देश की सुरक्षा में अधिक निवेश करना होगा। इससे एक शक्तिशाली, अत्याधुनिक, उन्नत सेना बनेगी, जिससे हमें मजबूती मिलेगी और अलग दुनिया बनेगी। जर्मन चांसलर ने बताया कि वह अपने बुंडेसवेहर स्टॉक से यूक्रेन को 1,000 टैंक रोधी हथियार और 500 स्टिंगर मिसाइलें पहुंचा रहे हैं। शोल्ज ने विमान-रोधी रॉकेटों के साथ हवाई क्षेत्र की रक्षा में शामिल होने के लिए तत्परता भी व्यक्त की। इससे पहले उन्होंने यूक्रेन को सिर्फ 5,000 हेलमेट की पेशकश की थी।
जर्मन चांसलर का कहना है कि 100 अरब यूरो फिलहाल साल 2022 के लिए है। आने वाले सालों में इसे और बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि देश की आजादी और लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए यह बहुत जरूरी है। जर्मन सेना के आधुनिकीकरण का काम बीते सालों में धीमा रहा है। कोल्ड वॉर के बाद, जर्मनी ने अपनी सैन्य शक्ति को 5 लाख से घटाकर लगभग 2 लाख कर दिया है। इस बढ़ाने की जरूरत है। इस कारण देश की सुरक्षा में और ज्यादा निवेश करना होगा।