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मुस्लिमों के बहिष्कार का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

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चंडीगढ़. नूंह में हिंसा के बाद हरियाणा में मुसलमानों के बहिष्कार और अलगाव के आह्वान के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (SC) में एक याचिका दायर की गई है। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने CJI डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया है। उन्होंने यह जानकारी उन्हें तब दी है जब जम्मू एंड कश्मीर में अनुच्छेद 370 मामले की सुनवाई के दौरान पीठ लंच ब्रेक ले रही थी।

सिब्बल ने इसके कुछ उदाहरण भी दिए। उन्होंने बताया कि कुछ व्यक्तियों के द्वारा एक विशेष समुदाय के लोगों को रोजगार देने वालों को ‘गद्दार’ (देशद्रोही) के रूप में संबोधित किया जा रहा है। शाहीन अब्दुल्ला की याचिका 2 अगस्त को सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो पर आधारित है। जिसमें एक जुलूस में हिंदू समाज के कुछ लोग पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में हरियाणा के हिसार में चेतावनी देते हुए दिखाई दे रहे हैं। वह दुकानदारों को चेतावनी दे रहे हैं कि यदि वे 2 दिन के बाद भी किसी मुसलमान को नौकरी पर रखेंगे तो उनकी दुकानों का बहिष्कार किया जाएगा।

हांसी का है वायरल वीडियो
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जिस वीडियो का जिक्र किया गया है वह हांसी का बताया जा रहा है। हिंदू संगठनों की इस वायरल वीडियो पर 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। हालांकि वीडियो वायरल होने पर विवाद बढ़ने पर हिंदू संगठनों ने SDM कार्यालय में खेद भी जताया था। परंतु एसपी के आदेश पर मामला दर्ज किया गया। इस मामले में कृष्ण गुर्जर, परविंदर लोहान, भूपेंद्र राठौड, विनोद सहित 12 अज्ञात के खिलाफ धार्मिक दंगा भड़काने का मामला दर्ज हुआ था। कुल 16 लोग थे।

हिंसा को बढ़ावा देती हैं रैलियां
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि ऐसी रैलियां जो समुदाय विशेष को बदनाम करती हैं और खुले तौर पर हिंसा और लोगों की हत्या का आह्वान करती हैं। उनके प्रभाव के संदर्भ में केवल उन क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं जो वर्तमान में सांप्रदायिक तनाव से जूझ रहे हैं, बल्कि अनिवार्य रूप से सांप्रदायिक वैमनस्य और अथाह हिंसा को जन्म देंगी।

हेट स्पीच पर रोक की मांग
याचिकाकर्ता ने मुख्य रूप से राज्य और जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की प्रार्थना की है कि इस तरह के नफरत भरे भाषणों वाली रैलियों की अनुमति नहीं दी जाए क्योंकि इससे सांप्रदायिक सद्भाव प्रभावित होगा। हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार और दिल्ली पुलिस को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया था कि रैलियों के दौरान कोई अभद्र भाषा या हिंसा न हो। नूंह हिंसा में अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है।

साभार : दैनिक भास्कर

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