नई दिल्ली (मा.स.स.). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंत्रिमंडल ने अकादमिक योग्यताओं को मान्यता देने के लिये भारत तथा यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के बीच हस्ताक्षरित समझौता-ज्ञापन को मंजूरी दे दी है, जोकि पूर्वव्यापी रूप से प्रभावी होगी। इस समझौते पर 25 अप्रैल, 2022 को हस्ताक्षर किये गये थे।
भारत और यूके के बीच योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता का उद्देश्य अकादमिक सहयोग व छात्रों के आवागमन को प्रोत्साहित करना है। दोनों देशों के शिक्षा मंत्रियों के बीच जब 16 दिसंबर, 2020 को नई दिल्ली मे बैठक हुई थी, तो उस दौरान यूके की तरफ से उनके एक वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम को मान्य करने के आग्रह पर विचार किया गया था। इसके लिये एक संयुक्त कार्य बल के गठन का निर्णय किया गया था। पहली बैठक चार फरवरी, 2021 को हुई और उसके बाद विस्तृत बातचीत तथा चर्चा के उपरान्त दोनों पक्ष समझौता-ज्ञापन के मसौदे पर सहमत हुए।
समझौता-ज्ञापन का उद्देश्य शैक्षिक योग्यताओं, अध्ययन की अवधि, अकादमिक डिग्रियों/योग्यताओं सम्बन्धी दस्तावेजों तथा दोनों देशों में शैक्षिक संस्थानों के प्रत्यायन को पारस्परिक मान्यता प्रदान करना है। इंजीनियरिंग, मेडिकल, नर्सिंग और पैरा-मैडिकल शिक्षा, फार्मेसी, विधि और वास्तुकला जैसी प्रोफेशनल डिग्रियां इस समझौता-ज्ञापन के दायरे से बाहर हैं। इस समझौते से उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच संयुक्त/दोहरी डिग्री पाठ्यक्रम की स्थापना करने की सुविधा मिलेगी, जो शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय आयामों के लिये एनईपी 2020 के तहत हमारे लक्ष्यों में से एक है।
यह समझौता-ज्ञापन शैक्षिक संरचना, कार्यक्रमों और मानकों के बारे में सूचनाओं के द्विपक्षीय आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने तथा दोनों देशों के बीच छात्रों एवं प्रोफेशनलों के आवागमन को बढ़ाने में सहायक होगा। इसके जरिये शिक्षा सेक्टर से जुड़े सहयोग के अन्य क्षेत्रों तथा अध्ययन कार्यक्रमों के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा, जैसा कि पक्षों के बीच आपसी सहमति बनी है। यह समझौता-ज्ञापन दोनों देशों की राष्ट्रीय नीति, विधि, नियमों और नियमावलियों के तहत स्वीकृत योग्यताओं को समानता के आधार पर मान्य करेगा।
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