नई दिल्ली (मा.स.स.). देश के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और आयुष को एकीकृत कर मुख्यधारा में लाने और मजबूत गति प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् और आयुष मंत्रालय के बीच एकीकृत चिकित्सा के क्षेत्र में सहकारी और सहयोगात्मक स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन पर सचिव, आयुष मंत्रालय, वैद्य राजेश कोटेचा और सचिव, डीएचआर और डीजी आईसीएमआर डॉ. राजीव बहल ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार और डॉक्टर वी.के. पॉल, सदस्य स्वास्थ्य, नीति आयोग की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए।
समझौता ज्ञापन में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान और अनुसंधान क्षमता को मजबूत करने के लिए आयुष मंत्रालय और आईसीएमआर के बीच अभिसरण और तालमेल के क्षेत्रों की खोज के लिए सहकार्य और सहयोग की परिकल्पना की गई है। समझौता ज्ञापन में आयुष मंत्रालय और आईसीएमआर के राष्ट्रीय महत्व की बीमारियों से निपटने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान में पहल के संभावनाओं की तलाश की भी परिकल्पना की गई है। व्यापक स्वीकृति के अवसर उत्पन्न करने के लिये आयुष प्रणाली के आशाजनक उपचारों के साथ राष्ट्रीय महत्त्व के चिन्हित किए गए क्षेत्रों/रोगों पर संयुक्त रूप से उच्च-गुणवत्ता वाले नैदानिक-परीक्षण करने का प्रयास भी आज हस्ताक्षरित समझौते का एक हिस्सा है। आयुष मंत्रालय और आईसीएमआर के बीच एक संयुक्त कार्य- समूह बनाया जाएगा जो सहयोग के अन्य क्षेत्रों की खोज के लिए और परियोजना में आगे बढ़ने के ठोस साक्ष्य (डिलिवरेबल्स) पर काम करने के लिये त्रैमासिक बैठक आयोजित करेगा।
दोनों संस्थान संयुक्त रूप से अनुसंधान परियोजनाओं और कार्यक्रमों को तैयार और कार्यान्वित करेंगे, साथ ही उक्त गतिविधियों के पर्यवेक्षण के साथ-साथ एकीकृत स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में रुचि रखने वाले शोधकर्ताओं की समग्र भागीदारी के लिए संयुक्त रूप से सम्मेलन/कार्यशालाओं/सेमिनारों का योजनाबद्ध तरीके से आयोजित करेंगे। इसके अलावा सहयोग के रूप में विद्वानों/प्रशिक्षुओं/शोधकर्ताओं संगठनों के संकायों के पास यात्रा और संयुक्त-अनुसंधान की अवधि के लिए संगठनों के प्रचलित नियमों के अनुसार उन्नत इंस्ट्रूमेंटेशन सिस्टम और अन्य बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच होगी। दोनों संयुक्त रूप से अन्य देशों से आयुष प्रणाली के साक्ष्य और वैज्ञानिक सत्यापन को बढ़ावा देने के लिए काम करेंगे। आयुष मंत्रालय द्वारा की गयी पहल की सराहना करते हुए डॉ. मांडविया ने कहा ‘‘पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक-अनुसंधान और नवाचार के साथ जोड़कर वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर आयुर्वेद को अपनी पहचान बनाने में यह एमएओ मदद करेगा।’’ समझौते की प्रशंसा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा एकीकृत चिकित्सा की पहुँच बढ़ाने और उसके विकास में इस साझेदारी का महत्वपूर्ण योगदान होगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा- यह सहयोग आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके स्वास्थ्य सेवा में राष्ट्रीय महत्व के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में साक्ष्य उत्पन्न करने के लिए उच्च प्रभाव वाले एकीकृत अनुसंधान को बढ़ावा देगा। संयुक्त प्रयास राष्ट्रीय महत्त्व के चिन्हित क्षेत्रों/रोगों के क्षेत्र में उच्च-गुणवत्ता वाले नैदानिक-परीक्षणों और एकीकृत उपचार की बृहद स्वीकृति वाले साक्ष्य जुटाने में बढ़ावा देगा। आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा यह समझौता साक्ष्य आधारित अनुसंधान क्षमताओं को और मजबूत करते हुए इस गति को तेज और व्यापक बनाने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह एक सकारात्मक प्रगति है जिसमें दो संस्थानों की ताकत, संसाधनों और क्षमताओं को समेकित करने से वास्तव में अच्छे परिणाम सामने आएँगे।
डॉ. वी.के. पॉल ने कहा यह सहयोग एम्स के आयुष विभाग को भारत के संपूर्ण एम्स के बुनियादी ढांचे में एकीकृत-चिकित्सा विभागों के रूप में विकसित होने में मदद करेगा, जो वास्तव में चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह देश की बहुत बड़ी सेवा भी साबित होगी।एकीकृत स्वास्थ्य-अनुसंधान पारंपरिक चिकित्सा (चिकित्सा की आधुनिक प्रणाली) और गैर-पारंपरिक (पारंपरिक/पूरक/वैकल्पिक) के सप्रबंधन के लाभ को खोजने का एक अंतर-अनुशासनिक समग्र-दृष्टिकोण है।
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