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14 वर्षों से उत्‍तराखंड के किच्छा में चल रहा था मतांतरण

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देहरादून. 14 वर्षों से पश्चिम बंगाल के पादरियों के संपर्क में रहने के बाद उत्तराखंड में मतांतरण कर लोगों को ईसाई बनाने की मुहिम महंगी पड़ गई। पुलिस ने दो आरोपितों को दबोच लिया वहीं अमेरिका से आए ईसाई मिशनरी से जुड़े दो लोग जांच के दायरे में हैं। जांच में दोषी पाए जाने पर पुलिस उनके विरुद्ध भी कार्रवाई करेगी। दोनों के पास भारत का वीजा 14 जून तक का होने के कारण दोनों अमेरिका वापस जाने की तैयारी में हैं। जिसके चलते पुलिस को तीन दिन में उनकी भूमिका की जांच करना बड़ी चुनौती है।

लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने का हुआ खुलासा

कोतवाली में मतांतरण प्रकरण का पर्दाफाश करते हुए सीओ ओमप्रकाश शर्मा ने बताया नौ जून को पूर्व ग्राम प्रधान राजकुमार कोली ने वार्ड नंबर दो बंगाली कालोनी आजाद नगर के एक घर में लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने को लेकर उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया था। मुकदमा दर्ज करने के बाद जांच की गई तो उसमें विकास कुमार पुत्र स्व. रामचरन, अंकित पाल पुत्र चंद्रपाल निवासी वार्ड नंबर एक धौराटांडा थाना भोजीपुरा जनपद बरेली उत्तर प्रदेश का नाम सामने आया। दोनों के द्वारा प्रौढ़ शिक्षा केंद्र के बहाने लोगों को मतांतरण के लिए प्रेरित किया जा रहा था।

प्रौढ़ शिक्षा केंद्र संचालित करने को लेकर अनुमति नहीं ली

जांच में सामने आया कि शिक्षा विभाग को प्रौढ़ शिक्षा केंद्र संचालित करने को लेकर न ही अनुमति ली गई और न ही उनको सूचित किया गया। सूचना मिलने पर पुलिस ने शनिवार को दोनों को नारायणपुर नगला थाना बहेड़ी जनपद बरेली उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में विकास ने बताया वह वर्ष 2008 से दिसम्बर 2022 तक सिलीगुडी पश्चिम बंगाल में चर्च व पादरियों के पास काम करता था। उसके बाद उसने एक एनजीओ का गठन किया और अपने घर धौराटांडा थाना भोजीपुरा बरेली आ गया।

सिलीगुड़ी में हुई अमेरिकी नागरिक से मुलाकात विकास ने बताया सिलीगुड़ी में उसके संपर्क में आए दो अमेरिकी नागरिक भी बंगाली कालोनी आजादनगर में मतांतरण के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए उसके बुलावे पर आ पहुंचे। उन्होंने तीन दिन तक लोगों को मतांतरण के लिए प्रेरित किया। भाषा की दिक्कत को दूर करने के लिए विकास ने अपने भतीजे अंकित पाल को द्विभाषिये की भूमिका के लिए बुलवा लिया था। वहीं यूएसए के नागरिकों की बात को ट्रांसलेट कर मतांतरण के लिए लालच देकर बुलाए गए लोगों को समझा रहा था। सीओ ओमप्रकाश शर्मा ने कहा दोनों अमेरिकी नागरिकों की भूमिका की जांच की जा रही है। जांच में उनके दोषी पाए जाने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

एक बार अमेरिका गए तो लाना मुश्किल होगा

पुलिस के पास मतांतरण प्रकरण में ईसाई मिशनरी के विदेशी एजेंडे के पर्दाफाश करने का पूरा मौका था। जिस दौरान भाजपा मंडल अध्यक्ष मनमोहन सक्सेना भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ वहां पहुंचे तो अमेरिका से आए दो ईसाई मिशनरी से जुड़े लोग वहां मौजूद थे। भाजपा नेताओं को गेट पर ही योजनाबद्ध तरीके से उलझाने के बाद पीछे से उनको वाहन में बैठा कर भेज दिया गया था। दोनों स्थानीय एक होटल में ही रुके थे। पुलिस ने उनका पासपोर्ट व वीजा की छायाप्रति भी प्राप्त कर ली थी। इस दौरान पांच दिन में पुलिस स्थानीय कनेक्शन को ही डिकोट कर पाई।

जबकि मतांतरण का विदेशी चैप्टर अभी भी एक पहेली बना है। 14 जून को दोनों यूएसए नागरिकों का वीजा भारत में समाप्त हो रहा है। पुलिस अभी तक उनका रोल ही तय नहीं कर पाई है। इतना तय है दोनों के एक बार अमेरिका जाने के बाद उनको वापस लाने की औपचारिकताएं पूरी कर पाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होगा। कहीं मतांतरण का विदेशी एजेंडा एक पहेली ही न बन कर रह जाए।

साभार : दैनिक जागरण

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