सांगली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि व्यक्ति जिस स्थान पर पहुंचता है, वह अपने आचरण से पहुंचता है. देशहित में कार्य करते हुए लोकमान्य तिलक ने हमेशा यही भावना रखते हुए काम किया. उनकी इसी विचारधारा का आदर्श लेते हुए देशहित को प्राथमिकता दी गई. तिलक जी के विचार राष्ट्र के लिए हमेशा आवश्यक हैं. इसीलिए लोकमान्य तिलक राष्ट्र के अमर आदर्श हैं. सरसंघचालक जी रविवार को सांगली में लोकमान्य तिलक स्मारक मंदिर के शताब्दी वर्ष के शुभारंभ पर आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, “संघ की सरल-सहज कार्यपद्धति डॉक्टर हेडगेवार ने निश्चित की है. आज हमें शाखा व प्राथमिक वर्ग के जरिये संघ के बारे में पता चलता है, लेकिन डॉक्टर जी के पास इसमें से कुछ नहीं था. सबकी चिंता, आत्मीयता व अपनापन यह सूत्र संघ में काम करता है. यह सूत्र डॉक्टर जी ने तिलकजी से ही लिया था”. कोई भी लक्ष्य मन में रखकर कार्य करने पर उस ध्येय की प्राप्ति होती ही है. तिलक जी का व्यक्तित्व भी ऐसा ही था. इसलिए तिलक जी के देशहितैषी विचार तब और अब भी प्रेरणादायी हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना करते समय डॉ. हेडगेवार जी ने तिलक जी के विचारों को ही आदर्श माना था. उनके आचरण से सीख मिलने के कारण ही संघ ने भी देशहित के लिए कार्य किया. उनके विचारों का कीर्तन होना चाहिए. उनके विचार देश के आखिरी कोने तक जाने चाहिए.
कार्यक्रम के आरंभ में लोकमान्य तिलक की मूर्ति को पुष्पमाला अर्पित की गई. तिलक स्मारक मंदिर के लोगो का विमोचन किया गया. इस अवसर पर डॉक्टर मोहन जी भागवत ने संस्था को शुभकामना संदेश दिया. लोकमान्य तिलक स्मारक मंदिर के शताब्दी वर्ष में अब विभिन्न कार्यक्रम होने वाले हैं. लेकिन केवल कार्यक्रम न करते हुए उनमें से विचारों का निर्माण करने के लिए प्रयास होन चाहिए. देशहित में तिलक जी ने शरीर, मन व बुद्धि का व्यय किया. यही विचार नई पीढ़ी को देने के लिए प्रयास करने का आह्वान डॉ. भागवत ने किया.
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