वाशिंगटन. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया है। हालांकि इस बार उनकी भाषा का रुख नरम रहा। उन्होने कहा कि भारत और पाकिस्तान को इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाना चाहिए। इससे क्षेत्र में स्थिरता आएगी। उन्होंने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, ‘कश्मीर में शांति से जुड़ा डेवलपमेंड दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के जरिए कश्मीर में स्थायी शांति की स्थापना से होगा।’
उन्होंने कहा, ‘तुर्किए इस दिशा में उठाए जाने वाले कदम का समर्थन जारी रखेगा।’ एर्दोगन का यह बयान उनके पुराने बयानों की अपेक्षा काफी हल्का है। साल 2020 में एर्दोगन ने कश्मीर को एक ज्वलंत मुद्दा बताया था। इसके साथ उन्होंने अनुच्छेद 370 को खत्म करने को लेकर भारत की आलोचना भी की थी। वहीं पिछले साल उन्होंने जोर देकर कहा था कि संयुक्त राष्ट्र रिजोल्यूशन अपनाए जाने के बावजूद, कश्मीर अभी भी घिरा हुआ है और 80 लाख लोग फंसे हुए हैं।
इजरायल के पीएम से मिले एर्दोगन
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन और इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को पहली बार व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात की, जो एक बड़ा मील का पत्थर है। दोनों देश धीरे-धीरे अपने संबंधों को सुधार रहे हैं। इजरायल और तुर्की के बीच एक समय संबंध काफी तनावपूर्ण थे। 2010 में तुर्की के एक जहाज पर हमला हुआ था। इसके बाद इजरायल के राजदूत को निष्कासित कर दिया गया था। इसमें तुर्की के 10 नागरिक मारे गए थे। बाद में 2016 में एक बार फिर संबंध शुरू हुए।
भारत का UNSC के लिए समर्थन
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन जब जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आए तो उन्होंने एक हैरान करने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा था कि अगर भारत UNSC का फुल मेंबर बनता है तो उन्हें खुशी होगी। UNSC में अमेरिका, यूके, चीन, फ्रांस और रूस पांच स्थायी सदस्य हैं। इन देशों के पास वीटो पावर है। तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा था कि दुनिया इन पांच देशों से ज्यादा बड़ी है। हालांकि इसके साथ उन्होंने कहा कि सभी 195 देशों को सिक्योरिटी काउंसिल का सदस्य बनने का मौका मिलना चाहिए।
साभार : नवभारत टाइम्स
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