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भारत को एक शुद्ध रक्षा निर्यातक बनाने के लिए हर संभव समर्थन का आश्वासन

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हैदराबाद (मा.स.स.). रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हैदराबाद के अनुसंधान केंद्र इमारत (आरसीआई) में एक दिवसीय उद्योग संवाद और विचार-मंथन सत्र आयोजित किया। इसका उद्देश्य एमएसएमई और स्टार्ट-अप सहित सभी रक्षा संबंधी उद्योगों को डीआरडीओ की विभिन्न उद्योग-अनुकूल पहलों और नीतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ उनकी मुश्किलों को समझने के लिए एक मंच पर लाना था। इस कार्यक्रम में 180 से अधिक उद्योगों ने भाग लिया।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने इस खुले विचार-मंथन सत्र ‘चिंतन’ की अध्यक्षता की। उन्होंने उद्योग को आश्वासन दिया कि डीआरडीओ उन्हें हर संभव सहायता देगा और भारत को एक विशुद्ध रक्षा निर्यातक बनाने के लिए उनकी क्षमताओं के निर्माण में एक संरक्षक की भूमिका निभाएगा। डीआरडीओ के अध्यक्ष ने इस तरह की पहल को नियमित रूप से करने की आवश्यकता पर जोर दिया क्योंकि ये आयोजन पूर्ण आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए भारतीय रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक नई प्रेरणा प्रदान करते हैं।

उद्योग इंटरफ़ेस और प्रौद्योगिकी प्रबंधन निदेशालय (डीआईआईटीएम) के निदेशक अरुण चौधरी ने डीआरडीओ की भारतीय उद्योगों का समर्थन देने वाली विभिन्न पहलों और नीतियों पर एक संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने नीति की मुख्य विशेषताओं को सामने लाते हुए डीआरडीओ द्वारा उद्योग को ‘प्रौद्योगिकी हस्तांतरण’ की प्रक्रिया के बारे में बताया। उन्होंने विकास और उत्पादन भागीदारों के रूप में उद्योगों के चयन की आवश्यकता और प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दी। प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीडीएफ) योजना की मुख्य विशेषताएं उद्योग को उपयुक्त रूप से समझाई गईं। उन्होंने भारतीय उद्योग द्वारा डीआरडीओ की नीति और इसकी अवसंरचना परीक्षण सुविधा के उपयोग की प्रक्रियाओं और डीआरडीओ पेटेंट का विवरण भी दिया।

डीआरडीओ ने भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) के सहयोग से एमएसएमई सहित रक्षा विनिर्माण उद्यमों की परिपक्वता को मापने के लिए एक बेंचमार्क ‘उन्नत विनिर्माण आकलन और रैंकिंग प्रणाली प्रमाणन’ (एसएएमएआर) विकसित किया है। आयोजन के दौरान, जीओ-टैगिंग और टाइम-स्टैम्पिंग के साथ डिजीटल मूल्यांकन के लिए एसएएमएआर और आईटी-सक्षम ऑनलाइन मॉडल पर एक सिंहावलोकन भी प्रस्तुत किया गया। डीआरडीओ सूक्ष्म और लघु उद्योगों को रियायती लागत पर एसएएमएआर की पेशकश कर रहा है। एमएसएमई और बड़े उद्यमों के साथ-साथ स्टार्ट-अप उद्यमियों के उद्योग भागीदारों ने डीआरडीओ के साथ काम करने के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने मौजूदा प्रक्रियाओं और नीतियों में सुधार के लिए मूल्यवान सुझाव दिए और व्यापार को आसान बनाने के तरीकों की सिफारिश की।

मिसाइल और सामरिक प्रणाली के महानिदेशक डॉ बीएचवीएस नारायण मूर्ति और उत्पादन समन्वय और सेवा सहभागिता की महानिदेशक डॉ चंद्रिका कौशिक ने रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के सभी हितधारकों के साथ अधिक तालमेल की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सुरक्षा निदेशालय के निदेशक वाइस एडमिरल रंजीत सिंह और डीआरडीओ के निदेशक और अन्य वैज्ञानिक भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम ने खुले विचार-मंथन सत्र के दौरान आत्माचिंतन और मंथन के लिए एक अनूठी शुरुआत की और उद्योगों को वर्तमान परिदृश्य में आवश्यक चुनौतियों, अपेक्षाओं और समर्थन को व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया। बिजनेस को आसान बनाने के दृष्टिकोण को आगे बढाने और उद्योग को सुविधा प्रदान करने के लिए एक नए सिरे से ढांचा तैयार करने पर भी पर चर्चा हुई।

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