नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान का इंतजार है. चुनाव आयोग की ओर से तारीखों के ऐलान की घोषणा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के बाद किए जाने की सूचना है. अरुण गोयल के इस्तीफ़ा देने के बाद अब चुनाव आयुक्तों के दो पद खाली हैं. एक चुनाव आयुक्त का पद पहलें से खाली था. दोनों खाली पदों को भरने के बाद ही संभव है कि चुनाव आयोग की ओर से लोकभा चुनावों की तारीख की घोषणा भी की जाए. आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर संभावना है कि 15 मार्च को पीएम मोदी, लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल के नेता और पीएम द्वारा मनोनीत केंद्रीय मंत्री (सम्भवतः कानून मंत्री) का पैनल दोनों चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर बैठक करे.
आयुक्त अरुण का पद से इस्तीफा
लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने शनिवार को पद से इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है. लोकसभा चुनाव से बमुश्किल कुछ हफ्ते पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के आश्चर्यजनक इस्तीफे पर निशाना साधते हुए, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने रविवार को चुनाव आयोग को “भाजपा की विस्तारित शाखा” करार दिया.
भाजपा ने चुनाव आयोग का ‘निजीकरण’ कर दिया
रविवार को राउत ने केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा ने चुनाव आयोग का ‘निजीकरण’ कर दिया है. “चुनाव आयोग भाजपा की एक विस्तारित शाखा बन गया है. यह अब वैसा चुनाव प्रहरी नहीं रहा जैसा यह (पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त) टीएन शेषन के कार्यकाल के दौरान था. आयोग, जो एक विश्वसनीय मतदान निकाय हुआ करता था, अब उन्होंने कहा, ‘आज अपनी विश्वसनीयता खो दी है. पिछले 10 वर्षों में (भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के तहत) चुनाव आयोग का निजीकरण कर दिया गया है.’
अचानक इस्तीफे पर ‘आश्चर्य’
राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने रविवार को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे पर ‘आश्चर्य’ व्यक्त किया, और चुनाव निकाय के अधिकारी के इस्तीफे के पीछे के कारण पर सवाल उठाए.
गंभीर बात के आधार पर इस्तीफा
सिब्बल ने कहा कि कुछ ‘गंभीर बात है जिसके आधार पर अरुण गोयल ने चुनाव के समय इस्तीफा दे दिया’ जबकि उनका कार्यकाल तीन साल शेष था. “यह निश्चित रूप से (आश्चर्यजनक) है. यदि चुनाव के ठीक पहले, जो कुछ ही महीने दूर है, आप इस्तीफा दे देते हैं – तो जाहिर है कि कुछ गंभीर बात है जिसके आधार पर उन्होंने इस्तीफा दिया होगा. मैं संभवतः इसका अनुमान नहीं लगा सकता कारण, लेकिन जाहिर तौर पर मतभेद का कुछ तत्व है, खासकर जब उनका कार्यकाल अभी खत्म नहीं हुआ है.
साभार : इंडिया न्यूज़ पोर्टल
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