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पाकिस्तान को पीओके में मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए : विदेश मंत्रालय

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नई दिल्ली. भारत ने कहा है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में जारी अशांति इस्लामाबाद के दशकों के शोषण और दमन का अनिवार्य परिणाम है, और इस बात पर ज़ोर दिया कि यह क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई की निंदा की और पाकिस्तान से “घोर मानवाधिकार उल्लंघन” के लिए जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘हमने पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में हो रहे प्रदर्शनों और निर्दोष नागरिकों पर पाकिस्तानी बलों की बर्बरताओं की खबरें देखी हैं। यह पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों और दशकों से इन इलाकों के संसाधनों की लूट का नतीजा है। यह क्षेत्र पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है और उसे इन गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए।’

PoK में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन

PoK इस समय हाल के वर्षों का सबसे बड़ा विरोध देख रहा है। मुज़फ़्फ़राबाद, मीरपुर, कोटली, रावलकोट और नीलम घाटी में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। ये प्रदर्शन तब भड़के जब व्यापारियों, वकीलों और नागरिक संगठनों के गठबंधन ‘आवामी एक्शन कमेटी’ (AAC) और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच वार्ता विफल हो गई। AAC ने इसके जवाब में शटर डाउन और व्हील जैम हड़ताल का ऐलान किया, जिससे जनजीवन ठप हो गया। AAC नेता शौकत नवाज़ मीर ने कहा कि हमारी मुहिम किसी संस्था के खिलाफ नहीं, बल्कि उन बुनियादी अधिकारों के लिए है जो हमें 70 साल से नहीं मिले। अब बहुत हो चुका।

हिंसा और दमन का माहौल

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी बलों की फायरिंग में कई लोगों की मौत हुई और दर्जनों घायल हुए। बाजार बंद हैं, सार्वजनिक परिवहन ठप है और इलाका भारी सुरक्षा और गिरफ्तारियों के बीच तनाव में है।

प्रदर्शनकारियों की मांगें

प्रदर्शनकारियों ने 38 सूत्रीय चार्टर पेश किया है, जिसमें बुनियादी ज़रूरतों से लेकर राजनीतिक सुधार तक की मांगें शामिल हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  • सस्ती दरों पर आटा, चीनी और घी उपलब्ध कराना
  • स्थानीय जलविद्युत से किफायती बिजली देना
  • पाकिस्तान में शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटें खत्म करना
  • न्यायपालिका में सुधार और भ्रष्टाचार पर लगाम
  • व्यापारियों के लिए कर में छूट और अधूरे बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट पूरे करना
  • बेहतर स्कूल और अस्पताल
  • युवाओं को रोजगार, किसानों के लिए न्यायसंगत नीतियां
  • आपदा प्रभावित परिवारों के लिए आवास

साभार : नवभारत टाइम्स

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