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कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट मामले में पहली सजा सुनाई

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश के लखनऊ में नकली साबीआई अधिकारी बनकर महिला डॉक्टर को 10 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर, ठगी करने वाले आरोपी पर सीजेएम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. गिरफ्तार किए गए आरोपी पर महिला को डिजिटल अरेस्ट कर 85 लाख रुपये ठगने का आरोप था. मामले पर लखनऊ की सीजेएम कोर्ट ने 438 दिन में फैसला सुनाते हुए ठग देवाशीष राय को 7 साल की सजा सुनाई है. यह उत्तर प्रदेश में पहला ऐसा मामला है, जिसमें डिजिटल अरेस्ट से संबंधित मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरोपी को सजा सुनाई है. पुलिस ने देवाशीष को 5 मई 2024 को गिरफ्तार किया था. पुलिस की ओर से मामले में 2 अगस्त 2024 को चार्जशाट दायर की गई थी. इसके बाद 348 दिन तक कोर्ट में ट्रायल चलने के बाद कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है.

आपराधी ने खुद को बताया कस्टम अफसर

मामला 1 मई 2024 का है. लखनऊ की डॉक्टर सौम्या गुप्ता को ड्यूटी के दौरान कॉल आया. फोन पर बात कर रहे सख्स ने खुद को कस्टम अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम पर बुक किए गए कार्गो में जाली पासपोर्ट, एटीएम कार्ड और 140 ग्राम एमडीएमए (नशीला पदार्थ) पाया गया है. इसके बाद फोन पर बात कर रहे सख्स ने कॉल को एक फर्जी सीबीआई अधिकारी को ट्रांसफर किया. वह फर्जी अधिकारी डॉ. सौम्या को डराने-धमकाने लगता है. इसके बाद उसने डॉ को 10 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा. इस दौरान ठगों ने मानसिक दबाव बनाकर उनके बैंक खाते से 85 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए. घटना के दौरान आरोपी देवाशीष ने जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया. उसने फर्जी आधार और सिम कार्ड से ठगी की इस घटना को अंजाम दिया था. देवाशीष मूल रूप से आजमगढ़ का रहने वाला है और लखनऊ में गोमतीनगर के सुलभ आवास में रहता था.

ऐसे अपराध के लिए सख्त सजा जरूरी

अपराधी को सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि अभियुक्त ने खुद को सीबीआई अफसर बताकर पीड़ित को धमकाया और 85 लाख रुपये ठग लिए. इस तरह की घटना से लोगों के बीच एजेंसियों का डर पैदा होता है. अदालत ने कहा इस साइबर ठगी के लिए आरोपी ने फर्जी बैंक खाता और आधार के जरिए फर्जी सिम का इस्तेमाल किया, जो यह बताता है कि यह डिजिटल अपराध है. ऐसे अपराध के लिए सख्त-सख्त सजा जरूरी है.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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