क्वेटा. इस्लामाबाद में पाकिस्तान-चीन रणनीतिक वार्ता के छठे दौर में, बीजिंग ने अपनी चिंताओं को जोरदार और स्पष्ट रूप से व्यक्त किया और पाकिस्तान से चीनी नागरिकों और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC Project) के तहत परियोजनाओं की सुरक्षा बढ़ाने का अनुरोध किया। पाकिस्तान में कहीं न कहीं चीन का बल डगमगा रहा है। उसे डर है कि कहीं बलूचिस्तान उसके इस प्रोजेक्ट को नुकसान न पहुंचा दे। सूत्रों के अनुसार, चीनी अधिकारियों ने आतंकवाद में नई वृद्धि पर चिंता जताई है। खासकर बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में। इन क्षेत्रों में चीनी कामगारों और CPEC स्थलों को निशाना बनाकर बार-बार हमले हुए हैं, जिससे अरबों डॉलर का नुकसान तो हुआ ही साथ ही साथ चीनी वर्कर भी मारे गए हैं।
CPEC प्रोजेक्ट को पूरा करने पर जोर
इस्लामाबाद में पाकिस्तान-चीन रणनीतिक वार्ता में इस प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा करने पर जोर दिया गया है। बीजिंग की मुख्य मांग लंबित सीपीईसी परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करना था। चीन ने इस्लामाबाद पर अपने नागरिकों और संपत्तियों की “कड़ी सुरक्षा” सुनिश्चित करने का दबाव भी डाला। बदले में, पाकिस्तान ने चीनी हितों की रक्षा के लिए पूरी प्रतिबद्धता जताई और दोहराया कि वह आतंकवाद को रणनीतिक साझेदारी को पटरी से नहीं उतरने देगा। CPEC प्रोजेक्ट के अगले चरण के लिए दोनों देशों ने रूपरेखा तैयार कर ली है इस चरण में व्यापार, कृषि, खनन और अन्य नए क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार किया जाएगा। चीन और पाकिस्तान ने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने, बहुपक्षीय सहयोग का विस्तार करने और लोगों के बीच आदान-प्रदान को गहरा करने पर भी चर्चा की।
चीन के लिए खतरा बनता बलूचिस्तान
पाकिस्तान की जमीन पर अपने महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट सीपीईसी को नया रूप दे रहे चीन के लिए बलूचिस्तान हमेशा से खतरे की घंटी रहा है। उसे डर है कि कहीं फिर से बलूच आर्मी इस प्रोजेक्ट और उसके वर्कर्स को निशाना न बना ले। ड्रैगन अपने इस प्रोजेक्ट को अब पाकिस्तान के जरिए अफगानिस्तान तक ले जाने की योजना बना रहा है।सूत्रों की मानें तो चीन ने रूपरेखा भी तैयार कर ली है। लेकिन असल सवाल यही है कि क्या पाकिस्तान और चीन इसमें कामयाब हो पाएंगे? क्योंकि बलूचिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों से ऐसा लगता है कि किसी भी कीमत पर इस प्रोजेक्ट को पूरा नहीं होने देगा।
साभार : दैनिक जागरण
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