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आर्थिक निवेश और विकास के प्रमुख संचालकों में सुरक्षा भी शामिल है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

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राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (23 दिसंबर, 2025) नई दिल्ली में ‘जन-केंद्रित राष्ट्रीय सुरक्षा: विकसित भारत के निर्माण में सामुदायिक भागीदारी’ विषय पर आईबी शताब्दी वृत्ति व्याख्यान को संबोधित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि यह गर्व की बात है कि स्वतंत्रता के बाद से, आईबी देश के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने और राष्ट्र की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने में एक उत्कृष्ट भूमिका निभा रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस व्याख्यान का विषय ‘जन-केंद्रित राष्ट्रीय सुरक्षा: विकसित भारत के निर्माण में सामुदायिक भागीदारी’ हमारे देश के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों नजरिए से महत्वपूर्ण है। आईबी सहित सभी संबंधित संस्थानों को हमारे लोगों में जागरूकता फैलानी चाहिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा प्रत्येक नागरिक का दायित्व है। जागरूक नागरिक राष्ट्रीय सुरक्षा में लगे सरकारी एजेंसियों के प्रयासों में सशक्त तरीके से मदद कर सकते हैं। एक समुदाय के रूप में संगठित होकर हमारे नागरिक बड़ा समन्वय कर सकते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सरकार की पहलों में मदद कर सकते हैं। हमारा संविधान नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को सूचीबद्ध करता है। इनमें से कई कर्तव्य राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक आयामों से संबंधित हैं। छात्र, शिक्षक, मीडिया, निवासी कल्याण संघ, नागरिक समाज संगठन और कई अन्य समुदाय इन कर्तव्यों का प्रचार-प्रसार कर सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि सामुदायिक भागीदारी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती प्रदान करती है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनमें जागरूक नागरिक सुरक्षा संकटों को टालने में पेशेवर बलों की सहायता करने में आगे रहे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा की व्यापक परिभाषा और रणनीति में जनता को केंद्र में रखा गया है। जनता को अपने आसपास घटित घटनाओं का मूक दर्शक नहीं बने रहना चाहिए। उन्हें अपने परिवेश और आसपास के क्षेत्रों की सुरक्षा में जागरूक और सक्रिय भागीदार बनना चाहिए। ‘जन भागीदारी’ जन-केंद्रित सुरक्षा की आधारशिला है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी नागरिक पुलिस और आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों को जनता की सेवा की भावना से काम करना होगा। सेवा की यह भावना जनता में विश्वास पैदा करेगी। यह विश्वास जन-केंद्रित राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति विकसित करने की पूर्व शर्त है, जिसमें सामुदायिक भागीदारी एक महत्वपूर्ण तत्व होगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत बहुआयामी सुरक्षा चुनौतियों और खतरों का सामना कर रहा है। सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव, आतंकवाद और उग्रवाद, विद्रोह और सांप्रदायिक कट्टरता पारंपरिक रूप से सुरक्षा संबंधी चिंता के विषय रहे हैं। हाल के वर्षों में, साइबर अपराध एक महत्वपूर्ण सुरक्षा खतरा बनकर उभरे हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि देश के किसी भी हिस्से में सुरक्षा के अभाव का आर्थिक प्रभाव इससे प्रभावित क्षेत्र से कहीं अधिक व्यापक होता है। सुरक्षा, आर्थिक निवेश और विकास के प्रमुख कारकों में से एक है। ‘समृद्ध भारत’ के निर्माण के लिए ‘सुरक्षित भारत’ का निर्माण आवश्यक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद लगभग पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। उन्होंने बताया कि आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में कार्यरत बलों और एजेंसियों की गहन कार्रवाई वामपंथी उग्रवाद के लगभग उन्मूलन का प्रमुख कारण रही है। उन्होंने कहा कि विभिन्न पहलों के माध्यम से समुदायों का विश्वास जीतने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया गया। आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक समावेशन को बढ़ावा देना वामपंथी उग्रवादियों और विद्रोही समूहों द्वारा लोगों के शोषण के खिलाफ प्रभावी साबित हुआ है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सोशल मीडिया ने सूचना और संचार की दुनिया को बदल दिया है। इसमें सृजन और विनाश दोनों की क्षमता है। लोगों को गलत सूचनाओं से बचाना एक बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस कार्य को निरंतर और अत्यंत प्रभावी ढंग से करना होगा। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं का ऐसा सक्रिय समुदाय बनाने की आवश्यकता है जो लगातार राष्ट्रीय हित में तथ्यों पर आधारित जानकारी प्रस्तुत करे।

राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे जटिल चुनौतियां गैर-पारंपरिक और डिजिटल प्रकृति की हैं। इनमें से अधिकांश समस्याएं अत्याधुनिक तकनीकों से उत्पन्न होती हैं। इस संदर्भ में, तकनीकी रूप से सक्षम समुदायों को विकसित करने की आवश्यकता है। डिजिटल धोखाधड़ी से बचने के लिए घरेलू, संस्थागत और सामुदायिक स्तर पर सतर्कता आवश्यक है। डिजिटल प्लेटफॉर्म नागरिकों को फ़िशिंग, डिजिटल धोखाधड़ी और ऑनलाइन दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करने के लिए सशक्त बना सकते हैं। वे संबंधित एजेंसियों को वास्तविक समय का डेटा प्रदान कर सकते हैं। ऐसे वास्तविक समय के डेटा का विश्लेषण करके, भविष्यसूचक पुलिसिंग मॉडल विकसित किए जा सकते हैं। नागरिकों के सतर्क और सक्षम समुदाय न केवल साइबर अपराधों के प्रति कम संवेदनशील होंगे, बल्कि ऐसे अपराधों के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में भी कार्य करेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि जन कल्याण और जनभागीदारी को अपनी रणनीति के केंद्र में रखकर हम अपने नागरिकों को खुफिया जानकारी और सुरक्षा के प्रभावी स्रोत बनने के लिए सशक्त बना सकते हैं। जनभागीदारी से प्रेरित यह परिवर्तन 21वीं सदी की जटिल और बहुआयामी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सहायक होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जनभागीदारी के माध्यम से हम सभी एक सतर्क, शांतिपूर्ण, सुरक्षित और समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेंगे।

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