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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के चार मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण को किया रद्द

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लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए यूपी में चार मेडिकल कॉलेज के एडमिशन के लिए लागू आरक्षण व्यवस्था को रद्द कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कन्नौज, अंबेडकर नगर, जालौन और सहारनपुर में लागू आरक्षण के नियमों के शासनादेश को रद्द कर दिया है. यह आदेश जस्टिस पंकज भाटिया की सिंगल बेंच ने साबरा अहमद की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. दरअसल याचिकाकर्ता ने याचिका में चार सरकारी मेडिकल कॉलेजों अंबेडकर नगर, कन्नौज, जालौन और सहारनपुर में प्रवेश के लिए आरक्षण की अनुमेय सीमा के संबंध में महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हुए याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ता ने NEET-2025 परीक्षा में भाग लिया था जिसमें उसको 523 अंक मिले थे और उसने ऑल इंडिया रैंक 29061 प्राप्त की थी.

याचिका में कहा गया कि उत्तर प्रदेश में शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण प्रदान करने के लिए, राज्य सरकार ने एक अधिनियम बनाया है जिसे उत्तर प्रदेश शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण अधिनियम, 2006 के रूप में जाना जाता है. यह कहा गया कि आरक्षण देने के लिए एक सीट मैट्रिक्स जारी किया गया है जो रिट याचिका के रिकॉर्ड में था जिसमें अंबेडकर नगर, कन्नौज, जालौन और सहारनपुर में स्थित चार मेडिकल कॉलेजों के संबंध में आरक्षण निर्धारित किया गया है.

इस याचिका में कहा गया कि स्पेशल ग्रांट कॉम्पोनेंट के तहत यूपी के चार मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पर 79% से अधिक आरक्षण दिया जा रहा था. कन्नौज, अम्बेडकरनगर, जालौन और सहारनपुर के मेडिकल कॉलेज में NEET  के तहत सीटें रिजर्वेशन में थी. चारों कॉलेजों को मिलाकर कुल 340 सीटें है इनमें एससी के लिए 248 सीट, एसटी के लिए 20, ओबीसी के लिए 44 और सामान्य वर्ग के लिए 28 सीटें निर्धारित की गई थी. प्रत्येक मेडिकल कॉलेज को 85 सीटें मिली है जिसमें से एससी के लिए 62, एसटी को 5, ओबीसी को 11 और जनरल कैटगरी के लिए 7 सीटें निर्धारित की गई है.

सरकार ने साल 2010 में कन्नौज का मेडिकल कॉलेज, 2011 में अंबेडकर नगर का मेडिकल कॉलेज, 2013 में जालौन का मेडिकल कॉलेज और 2015 में सहारनपुर मेडिकल कॉलेज स्थापित किया है. कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील मोती लाल यादव ने दलील दी कि केंद्र से स्पेशल ग्रांट लेने के लिए इन सभी चार मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए 50 फीसदी आरक्षण के नियम को किनारे कर 79 फीसदी से अधिक रिजर्वेशन दिया गया है.

कोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार द्वारा 5 जुलाई 2007 को 13 जुलाई 2011, 19 जुलाई 2012, 17 जुलाई 2013 और 23 जून 2015 के सरकारी आदेश जारी किए गए थे जिनमें राज्य स्तरीय सीटों और केंद्र स्तरीय सीटों पर दिए जाने वाले आरक्षण के संबंध में निर्देश दिए गए थे. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि दलीलों से ये पता चलता है कि यूपी सरकार द्वारा आरक्षण तय करने वाले सरकारी आदेश स्पष्ट रूप से अधिनियम, 2006 की धारा 4 या किसी अन्य कानून के अधिदेश के खिलाफ है और केंद्र सरकार द्वारा जारी नीतिगत दिशानिर्देशों की गलत व्याख्या पर भी आधारित है.

साभार : एनडीटीवी

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