अहमदाबाद. गुजरात के अहमदाबाद जिले में सानंद तालुका के कलाना गांव में पिछले 48 घंटों से तनाव का माहौल है। सोशल मीडिया पर वर्चस्व और एक मामूली कहासुनी को लेकर दो समुदायों के बीच हुई झड़प ने हिंसक रूप ले लिया, जिसमें जमकर पत्थरबाजी हुई। पुलिस ने अब तक इस मामले में 42 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है।
विवाद की मुख्य वजह
पुलिस और स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, हिंसा की शुरुआत सोमवार (29 दिसंबर) की रात को हुई। बताया जा रहा है कि दो युवक मोटरसाइकिल से गांव के तालाब के पास से गुजर रहे थे, तभी दूसरे समुदाय के कुछ युवकों ने “हमें क्यों घूर रहे हो?” कहकर विवाद शुरू कर दिया।
अहमदाबाद ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक (SP) ओम प्रकाश जाट ने बताया कि दोनों गुटों के बीच पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पोस्ट और लोकप्रियता को लेकर पुरानी रंजिश चल रही थी। सोमवार की बहस ने रात में बड़े टकराव का रूप ले लिया, जिसमें लगभग 60 लोग आमने-सामने आ गए और पत्थरबाजी शुरू हो गई।
दोबारा भड़की हिंसा और पुलिस की कार्रवाई
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मंगलवार सुबह की घटना: सोमवार रात की झड़प के बाद मंगलवार सुबह फिर से दोनों पक्ष स्कूल और गांव के मुख्य गेट के पास भिड़ गए। इस दौरान ईंटों और पत्थरों के साथ लाठियों का भी इस्तेमाल किया गया।
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ड्रोन से निगरानी: जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो कई उपद्रवी पास के खेतों में छिप गए। पुलिस ने ड्रोन कैमरों की मदद से खेतों में छिपे संदिग्धों की लोकेशन ट्रैक की और उन्हें दबोच लिया।
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नुकसान और घायल: इस पथराव में कम से कम 9 लोग घायल हुए हैं। साथ ही सड़क किनारे खड़ी दो कारें और एक मोटरसाइकिल भी क्षतिग्रस्त हो गई है।
वर्तमान स्थिति
गांव में भारी पुलिस बल (SRP) तैनात कर दिया गया है। पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायतों के आधार पर दो अलग-अलग FIR दर्ज की हैं। वर्तमान में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है, लेकिन एहतियात के तौर पर पेट्रोलिंग जारी है।
“हमने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए गांव को पुलिस छावनी में बदल दिया है। किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।”
— ओम प्रकाश जाट, एसपी (अहमदाबाद ग्रामीण)
पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायतों के आधार पर जो FIR दर्ज की है, उनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित धाराओं का समावेश है:
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BNS धारा 191(2) और 191(3) (दंगा करना): गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होकर हिंसा फैलाना और घातक हथियारों का उपयोग करना।
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BNS धारा 115 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना): पत्थरबाजी और लाठियों से दूसरे पक्ष को घायल करने के लिए।
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BNS धारा 126(2) (गलत तरीके से रोकना): सड़क पर लोगों का रास्ता रोककर उन पर हमला करने के आरोप में।
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BNS धारा 324 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान): उकसाने वाले शब्दों और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से अशांति फैलाना।
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BNS धारा 352 (सार्वजनिक शांति भंग करना): बड़े पैमाने पर डर का माहौल पैदा करना।
साक्ष्य जुटाने और जांच को पारदर्शी बनाने के लिए पुलिस ने आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया है:
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ड्रोन फुटेज का विश्लेषण: पुलिस ने बताया कि दंगे के दौरान खेतों में छिपकर पत्थरबाजी करने वालों की पहचान ड्रोन फुटेज से की गई है। इसे अदालत में ठोस सबूत के तौर पर पेश किया जाएगा।
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सोशल मीडिया की जांच: विवाद की जड़ में सोशल मीडिया पोस्ट थे। साइबर सेल उन अकाउंट्स की जांच कर रही है जिन्होंने नफरत भरे संदेश फैलाए। उन पर आईटी एक्ट की धाराएं भी जोड़ी जा सकती हैं।
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सामूहिक जुर्माना (एहतियाती): पुलिस ने गांव के सरपंच और गणमान्य व्यक्तियों के साथ बैठक की है और चेतावनी दी है कि यदि दोबारा ऐसी घटना हुई, तो उपद्रवियों के खिलाफ और भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।
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