नई दिल्ली (मा.स.स.). विश्व बैंक की लॉजिस्टिक परफॉर्मेंस इंडेक्स (आई-पीआई) रिपोर्ट 2023 के मुताबिक भारत के लिए औसत कंटेनर ठहराव समय (कंटेनर ड्वेल टाइम) तीन दिन के स्तर पर पहुंच गया है। भारत के तीन दिन के कंटेनर ड्वेल टाइम के मुकाबले यह संयुक्त अरब अमीरात और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में यह 4 दिन, संयुक्त राज्य अमेरिका में यह 7 दिन और जर्मनी में 10 दिन है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में बुनियादी ढांचे के सुधार पर 2014 से पोर्ट एवं शिपिंग क्षेत्र में देश द्वारा किए गए निवेश के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। शिपिंग क्षेत्र में देश द्वारा किए गए सुधारों का ही परिणाम है कि अब भारतीय समुद्री बंदरगाहों पर बहुत कम ठहराव समय लग रहा है जिससे बंदरगाह उत्पादकता बढ़ रही है और डिजिटलीकरण के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला की में सुधार होता दिख रहा है।
पीएम गति-शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत समन्वित योजना और कार्यान्वयन के माध्यम से दूरदारज के इलाकों से कनेक्टिविटी में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने और समुद्री क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर जोर देने से भारत अंतर्राष्ट्रीय शिपमेंट श्रेणी में वैश्विक रैंकिंग में 22वें स्थान पर पहुंच गया है और देश के लॉजिस्टिक परफॉर्मेंस इंडेक्स स्कोर के अनुसार ओवरऑल 38वीं रैंक भारत को प्राप्त हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, नीतिगत सुधारों, नई तकनीकों को शामिल करने और अधिक से अधिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से पोर्ट्स की दक्षता और उत्पादकता में सुधार पर जोर दिया गया है। भारतीय बंदरगाहों ने “टर्न अराउंड टाइम” में भी भारी सुधार दर्ज किया है।
विश्व बैंक की लॉजिस्टिक परफॉर्मेंस इंडेक्स (आई-पीआई) रिपोर्ट 2023 में प्रकाशित “टर्न अराउंड टाइम” पैरामीटर पर भारतीय बंदरगाहों की वैश्विक तुलना, भारतीय बंदरगाहों को “टर्न अराउंड टाइम” 0.9 दिनों के रूप में स्वीकार करती है जो यूएसए (1.5 दिन), ऑस्ट्रेलिया (1.7 दिन), बेल्जियम (1.3 दिन), कनाडा (2.0 दिन), जर्मनी (1.3 दिन), यूएई (1.1 दिन), सिंगापुर (1.0 दिन), रूसी संघ (1.8 दिन), मलेशिया (1.0 दिन), आयरलैंड (1.2 दिन), इंडोनेशिया (1.1 दिन), न्यूजीलैंड (1.1 दिन) और दक्षिण अफ्रीका (2.8 दिन) से बेहतर है।
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