लखनऊ. आजमगढ़ जिले में ईसाई धर्म की प्रार्थना सभा आयोजित करने की इजाजत नहीं दी जा सकती, क्योंकि तीन साल में विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन के 20 मामले विभिन्न थानों में दर्ज हुए हैं। यह जानकारी जिलाधिकारी आजमगढ़ ने हलफनामा दाखिल करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय को दी है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंंडपीठ धर्म परिवर्तन अधिनियम के दुरुपयोग के खिलाफ गॉड टू ग्लौरी चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।
याची ट्रस्ट के अधिवक्ता मोहम्मद कलीम का कहना था कि आजमगढ़ पुलिस और प्रशासन द्वारा ईसाई धर्म के प्रचार -प्रसार के लिए शनिवार और रविवार को लगने वाली प्रार्थना सभा को मानमाने ढंग से रोका जा रहा है। विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन अधिनियम का दुरुपयोग करते हुए ईसाई धर्मावलंबियों के खिलाफ झूठे आपराधिक मुकदमे लगाए जा रहे हैं, जो संविधान विरोधी कार्यवाही है। न्यायालय ने याची द्वारा लगाए गए आरोपों पर जिलाधिकारी आजमगढ़ से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। जिसके क्रम में जिलाधिकारी आजमगढ़ ने शपथपत्र दाखिल कर बताया कि आजमगढ़ जिले में विगत तीन वर्षों में विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन के 20 मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रार्थना सभाओं के नाम पर दूसरे धर्म के प्रति घृणा फैलाई जाती है, इसलिए आजमगढ़ प्रशासन द्वारा प्रार्थना सभाओं के आयोजन की अनुमति नहीं दी जा रही है।
जिलाधिकारी द्वारा दाखिल शपथपत्र पर याची ने आपत्ति दर्ज करवाई। कहा कि शपथपत्र साक्ष्य विहीन है। राज्य सरकार की ओर से पेश स्थायी अधिवक्ता की प्रार्थना पर जिलाधिकारी आजमगढ़ को पूरक शपथ पत्र दाखिल करने का एक और अवसर प्रदान किया गया। कोर्ट ने पूर्व लंबित समान प्रकृति की एक अन्य जनहित याचिका के साथ इस जनहित याचिका की सुनवाई के लिए तीन जुलाई नियत की है।
साभार : अमर उजाला
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