नई दिल्ली. अदालत ने राज्यसभा सचिवालय को आम आदमी पार्टी (आप) नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को उनके सरकारी आवास से बेदखल करने से रोकने संबंधी फैसले को वापस ले लिया। अदालत ने कहा कि चड्ढा को बंगले पर कब्जा जारी रखने का कोई निहित अधिकार नहीं है क्योंकि यह केवल एक सांसद के रूप में उन्हें दिया गया विशेषाधिकार था।
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुधांशु कौशिक ने कहा वादी यह दावा नहीं कर सकता कि उसे राज्यसभा के सदस्य के रूप में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान आवास पर कब्जा जारी रखने का पूर्ण अधिकार है। सरकारी आवास का आवंटन केवल वादी को दिया गया एक विशेषाधिकार है और उसे इस पर कब्जा जारी रखने का कोई निहित अधिकार नहीं है। आवंटन रद्द होने के बाद भी वही स्थिति है।
सितंबर 2022 में चड्ढा को दिल्ली के पंडारा रोड पर टाइप-आठ आवास बंगला आवंटित किया गया था। इस साल मार्च में उन्हें बताया गया कि आवंटन रद्द कर दिया गया है क्योंकि यह बंगला उनकी पात्रता से अधिक था और उन्हें दूसरा फ्लैट आवंटित किया गया था। उन्होंने पंडारा रोड बंगला आवंटन रद्द करने के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की। कोर्ट ने 18 अप्रैल को राज्यसभा सचिवालय को उन्हें आवंटित आवास से बेदखल करने पर रोक लगाकर उन्हें अंतरिम राहत दी थी।
साभार : अमर उजाला
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