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कांग्रेस ने राज्यसभा में जयंत चौधरी को बोलने की अनुमति देने पर जताई नाराजगी

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लखनऊ. आज लोकसभा में राम मंदिर के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा चल रही थी तो राज्यसभा में घनघोर हंगामा हो रहा था। संसद के उच्च सदन में लोकसभा की तरह अपनी कार्यवाही धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा से शुरू नहीं की बल्कि वहां सभापति ने जयंत चौधरी के आग्रह पर उन्हें दो शब्द रखने का मौका दिया। चौधरी ने शुक्रवार को अपने दादा और देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा से खुश होकर सदन में अपनी बात रखने का आग्रह सभापति जगदीप धनखड़ से की थी। सभापति ने उन्हें यह मौका दिया तो कांग्रेसी सांसद बवाल करने लगे। जयंत चौधरी जब अपनी बात रखने लगे तो जयराम रमेश ने उनपर टिप्पणी कर दी।

हंगामा चलता रहा तो सभापति ने सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे से अपने सांसदों को शांत करने की अपील की। फिर खरगे ने सदन को संबोधित किया और उन्होंने सभापति पर ही सवाल उठा दिया। उन्होंने सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि आखिर किस नियम के तहत जयंत चौधरी को बोलने का मौका दिया गया? इस पर बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला बिफर पड़े। उन्होंने खरगे पर आसन का अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस पार्टी चौधरी चरण सिंह और नरसिम्हा राव को भारत रत्न दिए जाने से बेचैन है, उसे यह रास नहीं आ रहा है। उन्होंने सदन में चीख-चीखकर कांग्रेस पर आरोपों की बौछार कर दी। फिर सभापति धनखड़ ने भी बारी-बारी से मल्लिकार्जुन खरगे और जयराम रमेश को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि वो चौधरी चरण सिंह का अपमान किसी हाल में बर्दाश्त नहीं करेंगे।

जयंत चौधरी के बोलने पर कांग्रेस का हंगामा

पूरे बवाल की पटकथा तैयार हुई जयंत चौधरी को सदन में बोलने की अनुमति देने से। जयंत राज्यसभा के सदस्य हैं, लेकिन वो कल तक विपक्षी खेमे में बैठा करते थे। आज वो ट्रेजरी बेंच यानी सत्ता पक्ष की तरफ बैठे। ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और नीतीश कुमार की तरफ से मिले झटकों पर झटके से जख्मी हुई कांग्रेस पार्टी ने जयंत को भी पाला बदलते देखा तो तिलमिला उठी। यही वजह है कि जब जयंत सभापति की अनुमति से बोलने उठे तो जयराम रमेश ने उन पर टिप्पणी कर दी। हंगामा नहीं रुका तो जयंत चौधरी अपनी बात पूरा किए बिना बैठ गए। तब सभापति ने सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे से अपील की।

राज्यसभा में रूपाला का रौद्र रूप

वो चिल्ला-चिल्लाकर बोलने लगे, ‘इस देश में किसानों की आवाज को रोकने वाला कोई पैदा नहीं हुआ, नहीं होगा, होगा भी नहीं। आप एक किसान की प्रशंसा नहीं सुन सकते हो? किसान को भारत रत्न मिला, कांग्रेस के जेहन में क्या आग लग गई? ये कांग्रेस का असली चरित्र है। ये कांग्रेस का असली चेहरा है। इन्होंने चरण सिंह की सरकार गिराई थी। कांग्रेस का दुख यही है कि जिनकी सरकार हमने गिराई, उन्हें भारत रत्न कैसे मिल सकता है!’ रूपाला ने सभापति को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्ष के नेता (मल्लिकार्जुन खरगे) ने तो उलटे आसन पर ही आरोप मढ़ दिया जबकि चेयरमैन हर बार सदन को पूरे गौर से खरगे को सुनने की हिदायत दिया करते हैं।

पूरे रौब में दिखे रूपाला ने अपनी बात पूरी की तो सदन के नेता पीयूष गोयल की बारी आई। उन्होंने कहा कि नरसिम्हा राव को भारत रत्न दिए जाने से कांग्रेस को तो खुश होना चाहिए था, लेकिन वो इसलिए दुखी है क्योंकि राव गांधी परिवार से नहीं थे। गोयल ने आरोप लगाया कि मल्लिकार्जुन खरगे ने भारत रत्न पाने वालों का अपमान किया है, इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। गोयल के संबोधन के दौरान विपक्षी खेमे से शोर होता रहा। जब गोयल का भाषण पूरा हुआ तो सभापति धनखड़ ने विपक्षी सांसदों को शांत कराने की कोशिश शुरू की। इसी क्रम में उन्होंने जयराम रमेश से कहा, ‘जयराम जी, आपके साथ सच में कुछ ना कुछ बहुत गंभीर गड़बड़ी है। कृपया बैठ जाइए।’

सभापति बोले- बहुत पीड़ा हुई है

फिर सभापति ने कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी को अपनी बात रखने को कहा, लेकिन विपक्षी खेमे में हंगामा नहीं रुका तो धनखड़ फिर अपील करने लगे। उन्होंने कहा, ‘मुझे बड़ा आघात पहुंचा है, बहुत पीड़ा हुई है। जिस तरह सदन में विपक्ष के नेता ने मुझ पर आरोप लगाए हैं, वो सही नहीं हैं।’ सभापति के इतना कहते ही विपक्ष की ओर से चीख-चिल्लाहट बढ़ गई। तभी धनखड़ ने कहा, ‘मि. शक्ति सिंह गोहिल अगल आपने इसे दोहराया, रमेश, मैं अब सबसे कड़ा कदम उठाऊंगा।’ धनखड़ की चेतावनी के बावजूद विपक्ष से चीख-चिल्लाहट जारी रही। इस बीच सभापति ने कहा, ‘हम किसान और किसान वर्ग का इतना असम्मान बर्दाश्त नहीं कर सकते। भारत में गांव और किसान भी बसता है। एक किसान को सम्मान मिला और सदन में अव्यवस्था फैल जाएगी! कितनी बड़ी पीड़ा होती है।’

जयराम रमेश पर बिफरे सभापति धनखड़

इस बीच प्रमोद तिवारी ने अपनी बात रखने की अनुमति मांगी। धनखड़ की अनुमति के बाद तिवारी ने कहा कि हमारे लीडर (खरगे ने) सबसे पहले उन लोगों को सैल्युट किया है जिन्हें भारत रत्न मिला है। सभापति ने उन्हें रोकते हुए कहा कि आप अपनी बात रखें, कोई सफाई नहीं दें। वो बोले, ‘प्रमोद तिवारी जी, मैंने सुना है जयराम रमेश ने जयंत को क्या कहा। क्या कहा जयंत को? ऐसे मौके पर? ये मुद्दा था क्या? मुद्दा था चौधरी चरण सिंह के भारत रत्न से सम्मानित होने का।’ बात आगे बढ़ी तो सभापति ने कहा, ‘सच्चाई यह है कि आपने जो कहा, उसके आधार पर आप इस सदन का हिस्सा होने के लायक नहीं हैं। आप करोड़ों किसानों की संवेदनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं। आपने सीमा पार कर दी है।’

आपने मेरे दिल पर चोट की: सभापति

फिर सभापति ने सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को संबोधित करते हुए कहा, ‘खरगे जी, मैं किसान वर्ग से आता हूं, इसका मतलब नहीं है कि मैं कमजोर चेयरमैन हूं। मैंने बहुत बर्दाश्त किया है। आप कुछ भी मेरे बारे में कह देते हैं। आप यह रूल बुक नहीं पढ़ते हैं? आप कुछ भी कह देते हैं। कई बार आप मेरे गुरु की तरह व्यवहार करते हैं जैसे मैं आपका चेला हूं। आज का ये मौका बहुत संवेदनशील है। आपने मेरे दिल पर चोट की है।’

सभापति ने दिया कांग्रेस के उठाए सवाल का जवाब

फिर सभापति ने बताया कि 9 फरवरी को जब चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान हुआ तो उनके पोते जयंत चौधरी ने उनसे (राज्यसभा के चेयरमैन से) आग्रह किया कि उन्हें सदन में अपनी भावना व्यक्त करने के लिए कुछ वक्त दें। धनखड़ ने जयंत की लिखी पूरी चिट्ठी पढ़ी और कहा कि इस सदन में कई मौकों पर सांसदों को ऐसा मौका दिया है। उन्होंने कहा, ‘हमने इसरो के वैज्ञानिकों का सम्मान किया, खिलाड़ियों का सम्मान किया। हमने उन सबका सम्मान किया जिन्हों देश का गौरव बढ़ाया। अब मेरी दुर्दशा देखिए, विपक्ष के नेता मुझसे नियम पूछ रहे हैं!’

धनखड़ बोले- चौधरी चरण सिंह का अपमान बर्दाश्त नहीं

इस पर विपक्षी बेंच से फिर शोर होने लगा तो धनखड़ ने चेतावनी दी कि ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं करें। मैं चौधरी चरण सिंह का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता। वो बोले, ‘चौधरी चरण सिंह अनुकरणीय सार्वजनिक जीवन के प्रतिमान हैं। किसानों के प्रति उनकी निष्ठा अतुलनीय है। दूरदर्शी सोच थी उनकी किसानों और गांवों के लिए। उनके विषय पर विवाद करना!’ उन्होंने आगे कहा, ‘चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि उत्तर प्रदेश और पूरा भारत रही है। उनको भारत रत्न मिला हो, इस विषय पर, इस सदन में, मेरे यहां बैठे हुए इस प्रकार का वातावरण हो!’ धनखड़ ने आगे कहा, ‘आपने चौधरी चरण सिंह का अपमान किया है, आपने उनकी विरासत का अपमान किया है। आपके मन में भारत रत्न चौधरी चरण सिंह के प्रति सम्मान नहीं है। आज के दिन हर किसान के दिल पर आप चोट कर रहे हो। उसके दिल को दहका रहे हो। चौधरी चरण जैसे व्यक्तित्व के ऊपर इस प्रकार का वातावरण हाउस में क्रिएट करना! हमारा सिर शर्म से झुक जाना चाहिए। मैं खुद दुखी हूं।’

अंत में जयंत चौधरी ने पूरी अपनी बात

उसके बाद जयंत चौधरी अपनी बात पूरी करने उठे। उन्होंने कहा, ‘माननीय सांसदों के इस सदन की कार्यवाही के दौरान दुर्व्यवहार को लेकर दुखी हूं। …मुझे अचंभा होता है कि चौधरी चरण सिंह जैसी शख्सियत को किसी गठजोड़ के बनने या तोड़ने और चुनाव तक सीमित रखना चाहते हैं। लेफ्ट, राइट और सेंटर में ही हम बंटे रहेंगे तो इस देश के जो असली धरतीपुत्र थे, उनका आदर और सम्मान हम कैसे कर पाएंगे?’

साभार : नवभारत टाइम्स

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