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स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती

देश में ऐसे अनगिनत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुये जो पहले कांग्रेस के साथ जुड़े या उसे अपना समर्थन दिया लेकिन बाद में वैचारिक मतभेद होने के कारण एक अलग राह बना ली। इनमें सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह व डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार जैसे अनेक नाम शामिल हैं। तो कुछ …

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एनी बेसेंट

कांग्रेस में गांधीजी के आने के बाद भी बाल गंगाधर तिलक की 1920 में मृत्यु तक गरम दल के लोगों का प्रभाव अधिक था। इस कारण बाल-लाल-पाल की तिकड़ी कई मुखर होकर कार्य करने वालों को कांग्रेस में प्रवेश कराने में सफल हुई। इन्हीं में से एक नाम था एनी …

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राव उमरावसिंह

राव उमरावसिंह उत्तर प्रदेश के दादरी भटनेर साम्राज्य के राजा थे। उनके पूरे परिवार ने 1857 की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। राव उमरावसिंह का सहयोग उनके पिता किशनसिंह के भाई राव रोशनसिंह और उनके बेटे राव बिशनसिंह ने दिया। 1857 के विद्रोह से प्रेरणा लेकर इस परिवार ने आस-पास …

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कोतवाल धन सिंह

8 अप्रैल को मंगल पाण्डेय को फांसी दी जा चुकी थी। इससे अंग्रेजों की मुश्किल कम होने की जगह बढ़ती चली गई। बैरकपुर से शुरू हुई यह क्रांति सबसे पहले आस-पास के क्षेत्रों में फैली। धन सिंह उस समय मेरठ की सदर कोतवाली के प्रमुख थे। मेरठ से कोतवाल धन …

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राव कदम सिंह

मेरठ से क्रांति के अग्रिम ध्वज वाहक मंगल पाण्डेय थे। भले ही उनके विद्रोह के समय उन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं मिला, जिसके कारण उनका बलिदान हो गया, किन्तु इस चिंगारी ने इसी शहर के एक और क्रांतिकारी राव कदम सिंह को और अधिक क्रियाशील बना दिया। राव का प्रमुख प्रभाव …

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मंगल पाण्डेय

अंग्रेज जिस प्रकार भारतीय राजाओं से सत्ता छीन रहे थे। कहीं उत्तराधिकारी विवाद को पैदा कर, तो कहीं कोई अन्य कारण बता कर। इस कारण इन सभी में अंग्रेजों के खिलाफ भारी असंतोष था। कुछ स्थानों पर संघर्ष भी देखने को मिला। अभी तक हमने जिन भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों …

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ऊदा देवी

भारतीय वीरांगनाओं ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल पुरुषों के साथ हर मोर्चे पर कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया। यदि सिर्फ इनके शौर्य के बारे में बात की जाए तो किसी भी दृष्टि से इन्हें पुरुषों से कम नहीं कहा जा सकता है। ऐसी ही एक वीरांगना थीं …

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चौहान रानी

अनूपनगर साम्राज्य के राजा प्रताप चंडी सिंह और चौहान रानी की कोई संतान नहीं थी। अंग्रेजों के नए नियम के अनुसार जिन भारतीय शासकों के कोई संतान नहीं थी, उन्हें गुलामी स्वीकार करनी होती थी। जैसे ही राजा की मृत्यु हुई, चौहान रानी ने साम्राज्य की बागडोर अपने हाथों में …

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रानी ईश्वरी कुमारी

गोरखपुर के निकट एक बहुत ही छोटा सा साम्राज्य था तुलसीपुर। क्षेत्रफल और जनसंख्या के अनुसार भले ही इसका महत्व उतना न हो, लेकिन वीरता इतनी कि अंग्रेज भी टकराने से बचते थे। इस साम्राज्य के शासक दृगनाथ सिंह अंग्रेजों से लगातार लोहा ले रहे थे, उनका विरोध कर उनकी …

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रानी अवंतीबाई

रामगढ़ राज्य के राजा विक्रमजीत सिंह ने अपने पिता लक्ष्मण सिंह की मृत्यु के बाद सत्ता प्राप्त की, लेकिन प्रारंभ से ही उनकी रूचि सत्ता चलाने में नहीं थी। उन्होंने अपनी पूरी जिम्मेदारी रानी अवंतीबाई को दे दी। रानी अवंतीबाई जमींदार राव जुझार सिंह की पुत्री थीं। उनका विवाह बाल्यावस्था …

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