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धर्मेंद्र प्रधान ने किया आईआईटी हैदराबाद का दौरा

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हैदराबाद (मा.स.स.). केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज आईआईटी हैदराबाद में अत्याधुनिक सुविधाओं का उद्घाटन किया और बीवीआरएससीआईईएनटी की आधारशिला रखी। वे अपनी तरह के पहले ग्रीनको स्कूल ऑफ सस्टेनेबल साइंस एंड टेक्नोलॉजी के लिए हुए ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन का गवाह भी बने। इस कार्यक्रम में जापान के प्रतिनिधि, बीओजी के अध्यक्ष डॉ. बी वी आर मोहन रेड्डी; जेआईसीए के मुख्य प्रतिनिधि सैतो मित्सुनोरी, ग्रीनको समूह के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक अनिल कुमार चलमालासेट्टी, स्वतंत्र निदेशक और ग्रीनको के निदेशक मंडल के अध्यक्ष ओपी भट्ट, आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर बी एस मूर्ति, डीन, एचओडी, संकाय, कर्मचारी और छात्र भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

आज उद्घाटन किया गया बुनियादी ढांचा जेआईसीए के माध्यम से व्यापक भारत-जापान सहयोग के तहत परिसर विकास परियोजना का एक हिस्सा है। इस अवसर पर, आईआईटीएच ने अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (ईएफएलयू) के साथ एक समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया है। इसका उद्देश्य प्रख्यात वैश्विक शैक्षणिक और औद्योगिक भागीदारों के साथ आईआईटीएच में विभिन्न यूजी और पीजी कार्यक्रमों के माध्यम से आगामी वैश्विक अवसरों के लिए तैयार करने के लिए छात्रों को विदेशी भाषाओं में सिद्ध होने में मदद करना है। प्रधान ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि भारत चौथी औद्योगिक क्रांति में अग्रणी भूमिका निभाने जा रहा है और आईआईटी हैदराबाद विश्व स्तर पर ब्रांड इंडिया के निर्माण में और एक बेहतर और समृद्ध भविष्य बनाने में, विशेष रूप से अमृतकाल के दौरान एक प्रमुख भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि हमें प्रधानमंत्री के आत्म-निर्भर भारत के सपने को पूरा करना है।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि भारत केवल उपभोक्ता देश बनकर नहीं रह सकता है। हमें आत्म-निर्भरता हासिल करने के साथ-साथ वैश्विक कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए अपने स्वयं के मॉडल में नवीनता लाना और उसे स्थापित करना है। उन्होंने आईआईटी हैदराबाद से सामाजिक जरूरतों को पूरा करने और किफायती वैश्विक समाधान प्रदान करने के लिए अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित करने का आग्रह किया। केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि एनईपी 2020 नई उभरती विश्व व्यवस्था में भारत को शीर्ष पर स्थापित करने का एक रोडमैप है। उन्होंने सुझाव दिया कि आईआईटी हैदराबाद को सीमावर्ती क्षेत्रों में शिक्षा और कौशल प्रदान करने, जोखिम लेने को प्रोत्साहित करने, नौकरी चाहने वालों को नौकरी देने वाला बनाने और उत्कृष्टता के नए मानदंड स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कौशल विकास एक आजीवन प्रक्रिया है और एनईपी 2020 शिक्षा प्रणाली में कौशल विकास को समाहित करने पर जोर देता है। उन्होंने आईआईटी हैदराबाद और उद्योग के विशेषज्ञों को आईआर 4.0 और 21वीं सदी के रोजगार बाजारों का लाभ उठाने के लिए आईआईटी हैदराबाद में एक विश्व स्तरीय कौशल विकास केंद्र स्थापित करने का सुझाव दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आईआईटीएच अनुसंधान और नवाचार पर जोर देने के साथ उभरती और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक आदर्श होगा। केंद्रीय मंत्री ने आईआईटीएच में अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने और संस्थान को नवाचार और उद्यमिता में सबसे आगे रखने की जिम्मेदारी लेने और उदारतापूर्वक दान करने के लिए साइएंट के बीवीआर मोहन रेड्डी और ग्रीनको के अनिल चलमासेट्टी को धन्यवाद दिया।

डॉ. बीवीआर मोहन रेड्डी ने कहा कि उद्यमिता और जलवायु परिवर्तन दोनों ही शिक्षा मंत्री को प्रिय हैं और आज इस अवसर पर उन्हें उपस्थित देखकर खुशी हो रही है। डॉ. रेड्डी ने एनईपी 2020 को लागू करने की दिशा में शिक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आईआईटीएच में विश्व स्तरीय सुविधाएं दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के सपने को साकार करने में मदद करेंगी। इस अवसर पर खुशी व्यक्त करते हुए प्रो. बी. एस. मूर्ति ने कहा कि आज हम आईआईटीएच की विशिष्टता देख रहे हैं, चाहे वह नवाचार पार्क हो, अनुसंधान केंद्र हो या नवाचार एवं उद्यमिता और सतत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिए आगामी स्कूल की नींव हो। उन्होंने कहा कि हम मंत्रालय से निरंतर मार्गदर्शन और समर्थन की आशा करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आईआईटीएच नवाचार के क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता रहे।

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