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संस्कृत पढ़ने वाले बच्चों का विकास तेजीसे होता हैं : मंगला गुप्ता

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चंडीगढ़ (मा.स.स.). योगक्षेम महिला उत्कर्ष सेवा को-ऑपरेटिव मल्टीपर्पज सोसायटी लिमिटेड द्वारा संचालित उत्कर्ष प्रयास स्कूल, सेक्टर -47 गुरुग्राम, हरियाणा में संस्कृत भारती हरियाणा प्रान्त न्यास के सहयोग से एक साप्ताहिक संस्कृत संभाषण शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बचों के द्वारा संस्कृत सम्भाषण का प्रस्तुति करण किया गया। प्रशिक्षुओं ने अपने अनुभव कथन में कहा कि इस वर्ग में न केवल संस्कृत भाषा में बोलना सिखाया गया अपितु संस्कारों एवं संस्कृति की शिक्षा भी दी गई। इस शिबिर में लगभग 50 से अधिक छात्रोने संस्कृत भाषा का प्रशिक्षण लिया तथा संस्कृत सिखाने और उसके प्रचार प्रसार के लिए अपने जीवन का कुछ समय देने का संकल्प किया।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रमोद शास्त्री,प्रान्त सहमन्त्री संस्कृत भारती हरियाणा प्रान्त रहे। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति की रक्षा के लिए संस्कृत नितांत आवश्यक है। संस्कृत के बिना भारतीय संस्कृति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे गुरुग्राम विभाग संयोजक डॉक्टर सुनील ने कहा हमारे प्राचीन ग्रंथों में जो गणित, ज्ञान और विज्ञान उपलब्ध है, वह इस दुनिया के समक्ष सरल और प्रामाणिक रूप उपस्थापन करने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए योगक्षेम को-ऑपरेटिव सोसायटी की अध्यक्षा मंगला गुप्ता ने बताया कि संस्कृत भारती संगठन संस्कृत सम्भाषण के लिए अभूतपूर्व कार्य कर रहा है। संस्कृत भाषा और उसके साहित्य में भारत की समृद्ध परंपरा का गौरवशाली संपदा और जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ा ज्ञान समाहित हैं। संस्कृत भारती ने पिछले कई वर्षों में इस भाषा के विभिन्न आयामों को रोचक एवं रचनात्मक तरीके से जनजन तक प्रसारित करने का सराहनीय प्रयास किया है।विश्व की प्राचीनतम भाषा संस्कृत वंदनीय हैं।

भारत का गौरव बढ़ाने और हित करने वाली यह भाषा हमारी संस्कृति, संस्कार और समृद्धि का भी प्रतीक हैं। आइए विश्व की सभी भाषाओं की माँ मानेजाने वाली इस मंगलकारी व कल्याणकारी देवभाषा के संरक्षण और संवर्धन में योगदान देने का संकल्प लें। आगे मंगला ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह कार्यक्रम संस्कृत से जनजन को जोड़ते हुए इसी ऊर्जा और उत्साह के साथ प्रशिक्षार्थीओ तक निरंतर पहुँचता रहेगा। आगे उन्होंने कहा की लोग कहते है की संस्कृत रोजगार की भाषा नहीं है इसे क्यों पढ़ें? मै ऐसे लोगोंको बताना चाहती हु की दुनियाभर में संस्कृत का सालाना व्यवसाय 150 बिलियन डॉलर का है।

इसमें 10 से 15 बिलियन डॉलर का व्यवसाय शादी-विवाह और पूजापाठ के मौके पर होता है। इतना ही नही संस्कृत श्लोको का उच्चारण करने से दिमांग के सभी हिस्से एक साथ एक्टिव होते है। एक बायोलॉजिकल रिसर्च में साबित भी हुआ है कि अंग्रेजी पढ़ने से दिमांग का सिर्फ बाया हिस्सा ही तेज काम करता है। जबकि संस्कृत के अभ्यास और श्लोको के उच्चारण से पूरा दिमांग एक्टिव हो जाता है। इसका दाया-बाया और आगे पीछे का हिस्सा भी तेजी से काम करने लगता है। जो बच्चे संस्कृत में श्लोको का उच्चारण नियमित तौर पर करते है उनका शरीरिक और मानसिक विकास तेजी से होता है और वो बच्चे स्वस्थ्य एवं तंदुरस्त रहते है।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। तत्पश्चात् ध्येयमंत्र का उच्चारण गायत्री, अमृता और कृष्ण ने किया। अतिथि परिचय शिविर शिक्षक सतेन्द्रकुमार के द्वारा किया गया। उद्देश्यगीत काकोली और पूजा ने गाया। संख्यागीत धर्मेंद्र ने गाया। हैलो हैलो मास्तु- यह गीत शिक्षार्थी लक्ष्मण और भरत के द्वारा प्रस्तुत किया गया। धन्यवाद ज्ञापन शिक्षिका अंजू के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का समापन राज के द्वारा उच्चारित  कल्याण मंत्र के साथ हुआ। मंच संचालन शिविर सहशिक्षक रणजीतसिंह के द्वारा किया गया।

इस अवसर पर योगक्षेम को-ऑपरेटिव सोसायटी की उपाध्यक्षा,स्कूल संस्थापिका एवं प्रमुख संचालिका स्वर्णलता पाण्डेय (पूजा) ने अपने आभार दर्शन करते हुए कहा कि ‘संस्कृत को किसी भी आयुवर्ग का व्यक्ति सिख सकता है। जो वरिष्ठजन है उन्हे अपने परलोक को सुधारने तथा ज्ञानार्जन के लिए संस्कृत अवश्य सीखनी चाहिए। आज भारत आधुनिक विज्ञान से नहीं अपितु पुरातन योग,आयुर्वेद, वेद-पुराण आदि शास्त्रों के ज्ञान द्वारा ही विश्वगुरु बन सकता है परन्तु ये सभी शास्त्र संस्कृत में ही है जो हमारे लिए बड़ी गर्व की बात है। बिना संस्कृत साहित्य से परिचित हुए आजका विश्व अनेक अंगो में अपूर्ण रह जायेगा,उस साहित्य की सुरुचिका सुमेरु महान कवि कालिदास ने रचा है। जिसने उसे न जाना वह निश्चय ही अभागा है। इस समापन कार्यक्रम में रोहित पाण्डेय, नारायण, संदीप, ऋषिका और शाश्वत पाण्डेय भी उपस्थित रहे।

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