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पूर्वोत्तर क्षेत्र अपने ‘अमृत समय’ में प्रवेश कर चुका है : जी. किशन रेड्डी

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गुवाहाटी (मा.स.स.). केन्द्रीय उत्‍तर पूर्वी क्षेत्र विकास, पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने आज गुवाहाटी में आयोजित पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) की 70वीं पूर्ण बैठक को संबोधित किया। आठ पूर्वोत्तर राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने इस क्षेत्र की प्रगति और विकास के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत सरकार शांति और स्थिरता स्थापित करने, क्षेत्र में संपर्क बढ़ाने के लिए अथक प्रयास कर रही है और सरकार को इसमें काफी सफलता भी मिली है। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का दृढ़ विश्वास ही है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास किये बिना भारत का विकास नहीं हो सकता है।

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र अपने ‘अमृत समय’ में प्रवेश कर चुका है और हमें इसका भरपूर लाभ उठाने और प्रगति तथा विकास की सभी संभावनाओं को जगाने की आवश्यकता है। रेड्डी ने अधिकारियों से जोर देकर कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र को भारत के विकास इंजन बनाने का लक्ष्य केंद्र और राज्य सरकारों के पूरे समन्वय से ही प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी हितधारकों, केंद्र, राज्यों, निजी क्षेत्र को मिलकर काम करने और इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को अधिक बढ़ाने के बारे में ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

जी. किशन रेड्डी ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 10 प्रतिशत जीबीएस का पूर्ण और लक्षित उपयोग त्वरित विकास की कुंजी है। उन्होंने कहा कि 10 प्रतिशत जीबीएस उपयोग का नियमित विश्लेषण किए जाने की जरूरत है और उसी के अनुसार नीतियों की पुनर्रचना, डेटा बाधाओं को दूर करने और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ अधिक समन्वय करने की जरूरत है। उन्होंने सभी राज्य सरकार के अधिकारियों से प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए नीतियों, दिशानिर्देशों आदि में संशोधन करने जैसी अपनी सिफारिशें देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में गठित एक कृषि कार्य बल जल्द ही अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी करेगा। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कार्य बल के निष्कर्षों का लाभ उठाया जाना चाहिए।

रेड्डी ने यह भी सुझाव दिया कि “शक्तियों और कमजोरियों का विश्लेषण” करने और “प्रमुख क्षेत्रों में अंतराल की पहचान” करने की जरूरत है। इससे अधिक लक्षित विकासात्मक पहलों में सहायता प्राप्त होगी। उन्होंने आगे कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र जिला-वार एसडीजी इंडेक्स, आकांक्षी जिलों, ग्रामीण बस्तियों और क्षेत्रों से कनेक्टिविटी और गरीबी सूचकांकों के स्तर जैसे कारकों के बारे में परियोजना का चुनाव करते समय ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से अच्छे टेंडरिंग मानदंड और मजबूत निगरानी सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया।

इस क्षेत्र की पर्यटन संभावनाओं के बारे में विचार करते हुए मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय इस क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एक पर्यटन कार्य बल का गठन कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में पर्यटन के विकास के लिए पर्यटन बुनियादी ढांचे का विकास, कौशल और क्षमता निर्माण मुख्य प्राथमिकताएं हैं। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि हमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार जुटाने के लिए सुरक्षा सेवा उद्योग द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली संभावनाओं का भी पता लगाना चाहिए। रेड्डी ने आगे निजी निवेश की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में निवेश के अनुकूल माहौल विकसित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव भी दिया कि कुछ शीर्ष-प्राथमिकता/लक्षित क्षेत्रों की पहचान करने और क्षेत्र की निवेश क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ इन क्षेत्रों में बाधाओं को दूर करने के बारे में भी मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

जी. किशन रेड्डी ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक ‘ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट’ जल्दी ही आयोजित किया जाना चाहिए और सभी राज्य सरकारों को एक निवेशक अनुकूल इकोसिस्टम विकसित करने के उपाय शुरू करने चाहिए। निवेशकों की जरूरतों के अनुरूप नीतियों में बदलाव करने, भूमि बैंकों का डिजिटलीकरण करने, प्लॉट स्तर की जानकारी रखने, प्रक्रियाओं को सरल बनाने, एकल खिड़की मंजूरी प्रणाली प्रदान करने, आसानी से निवेश योग्य परियोजनाओं की सूची विकसित करने, प्रत्येक राज्य में एक निवेशक सुविधा केंद्र स्थापित करने, अप्रोच रोड, विद्युत कनेक्टिविटी, जलापूर्ति आदि जैसे बुनियादी ढांचे पर निवेश किया जाना चाहिए। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से आने वाले महीनों में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए एक कार्य योजना तैयार करने का अनुरोध किया।

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