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पारदर्शिता और जनभागीदारी मोदी शासन मॉडल की विशिष्ट पहचान : डॉ. जितेन्द्र सिंह

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नई दिल्ली (मा.स.स.). लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कहा कि सच्चे मायनों में सूचना का अधिकार अधिनियम का मुख्य लक्ष्य नागरिकों को अधिकार सम्पन्न बनाना, पारदर्शिता लाना, व्यवस्था को भ्रष्टाचार से मुक्त करना और लोकतंत्र को देशवासियों के हाथों में सौंपना है। वे विज्ञान भवन में केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा आयोजित “आजादी का अमृत महोत्सवः सिटीजन-सेंट्रिक गवर्नेंस थ्रू आरटीई” विषयक वार्षिक सम्मेलन में बोल रहे थे। ओम बिरला ने कहा कि आरटीआई के कारगर इस्तेमाल से विकसित और भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण करने में सहायता मिलेगी, जिसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की है।

कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पारदर्शिता और जनभागीदारी मोदी शासन मॉडल की विशिष्ट पहचान है। विज्ञान भवन में केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा आयोजित “आजादी का अमृत महोत्सवः सिटीजन-सेंट्रिक गवर्नेंस थ्रू आरटीई” विषयक वार्षिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बागडोर अपने हाथों में ली थी, तभी से पारदर्शिता, जवाबदारी और नागरिक-केंद्रीय कामकाज शासन मॉडल की विशिष्ट पहचान बन गये हैं। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों के दौरान, सावधानी से लिया गया हर निर्णय सूचना आयोग की आजादी और संसाधन को मजबूत करने के लिये था।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि अधिकार सम्पन्न नागरिक लोकतंत्र का महत्त्वपूर्ण स्तंभ हैं और केंद्रीय सूचना आयोग सूचना के जरिये लोगों को अधिकार सम्पन्न बनाने के लिये काम करता रहेगा। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सूचना का अधिकार अधियनियम अकेले काम करने वाला कानून नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने, शासन-व्यवस्था में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और आम नागरिकों की क्षमता निर्माण करने के बड़े विमर्श का हिस्सा है। इनके जरिये आम नागरिक सोच-समझकर निर्णय लेने और विकल्प चुनने में सक्षम होता है। उन्होंने कहा कि सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि इसके जरिये नागरिकों और सरकार के बीच भरोसा पैदा होता है – दोनों को एक-दूसरे पर यकीन होना चाहिये।

डॉ. सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के शासन में ही 24 घंटे चलने वाली पोर्टल सेवा शुरू की गई है। यह सेवा देश-विदेश में कहीं से भी, किसी भी समय – चाहे रात हो या दिन, आरटीआई आवेदनों की ई-फाइलिंग के लिये शुरू की गई। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल मोबाइल आधारित एप्लीकेशन, ई-फाइलिंग, ई-हियरिंग, ई-नोटीफिकेशन आदि के विकास के लिये किया गया, ताकि कानून के तहत सूचना मांगने वालों का समाधान किया जा सके। केंद्रीय सूचना आयोग ने जो मोबाइल एप्प विकसित किया है, उसने लोगों के लिये अपील फाइल करना आसान बना दिया है। साथ ही मामलों की सुनवाई के लिये ऑडियो-वीडियो प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप केंद्रीय सूचना आयोग 2020-21 में लंबित 38116 मामलो में 2021-22 में 23405 तक कमी लाने में सफल हुआ है।

सूचना-विस्फोट के युग में अंधाधुंध तरीके से आरटीआई आवेदनों को दायर किये जाने का उल्लेख करते हुये डॉ. जितेन्द्र सिंह ने नम्रतापूर्वक आह्वान किया कि दायर करने के पहले आवेदनों की जांच कर ली जाये कि कहीं इच्छित सूचना पहले से ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तो नहीं है। उन्होंने कहा कि आज सभी प्रमुख निर्णय और सूचनायें सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहती हैं; हमारी इस पारदर्शिता की बड़ी साख है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि अप्रत्याशित महामारी की चुनौतियों के बावजूद केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों ने आरटीआई द्वितीय अपीलों तथा शिकायतों के निस्तारण के लिये लगातार प्रयास किये। कुछ आयोगों ने तो एक निश्चित अवधि के दौरान निस्तारण करने में महामारी-पूर्व आंकड़ों को भी पीछे छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि यह मामलों की सुनवाई और निस्तारण के लिये वर्चुअल माध्यम जैसा अभिनव तरीका अपनाने के कारण संभव हो सका।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने यह उल्लेख भी किया कि मई, 2020 में महामारी के अत्यंत चुनौतीपूर्ण समय में, केंद्रीय सूचना आयोग ने जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को पारित करने के बाद नव-निर्मित जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश से वर्चुअल माध्यम से आरटीआई को स्वीकार करने, उन पर सुनवाई और उनके निस्तारण का काम शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख के लोगों को घर से ही आरटीआई आवेदन और यहां तक कि केंद्रीय सूचना आयोग में अपीलें दायर करने की अनुमति दी गई। उन्होंने कहा कि अब महत्त्वपूर्ण बदलाव यह हुआ है कि जम्मू एवं कश्मीर के गैर-रिहायशी और गैर-राज्यवासी भी केंद्र शासित प्रदेश के विषयों या एजेंसियों से जुड़े मामलों पर आरटीआई दायर कर सकते हैं।

उन्होंने आरटीआई अपीलों के तेज निस्तारण की बदौलत लंबित मामलों में आने वाली कमी के लिये केंद्रीय सूचना आयोग की प्रशंसा की। मुख्य सूचना आयुक्त वाईके सिन्हा ने अपने सम्बोधन में कहा कि आरटीआई के जरिये सरकार में पारदर्शिता और जवाबदारी का स्तर बढ़ा है। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से व्यवस्था में भ्रष्ट व्यवहार को नियंत्रित करने में भी सफलता मिली है। कार्यक्रम में राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सूचना आयुक्तों और केंद्रीय सूचना आयोग के अन्य अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।

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