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भारत में चीनी शेल कंपनियों पर एमसीए की कार्रवाई

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नई दिल्ली (मा.स.स.). कॉरपोरेट मामले मंत्रालय ने जिलियन हांगकांग लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, जिलियन कंसल्टेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गुड़गांव, फ़िनिटी प्राइवेट लिमिटेड, बैंगलोर और हैदराबाद में एक पूर्व सूचीबद्ध कंपनी हुसिस कंसल्टिंग लिमिटेड के कार्यालयों पर एक साथ तलाशी और जब्ती अभियान चलाने के बाद गंभीर कपट अन्वेषण कार्यालय (एसएफआईओ) ने कल डॉर्टसे को गिरफ्तार कर लिया।

डॉर्टसे जिलियन इंडिया लिमिटेड के बोर्ड में नामित हैं और स्पष्ट रूप से भारत में चीनी संपर्क वाली बड़ी संख्या में शेल कंपनियों को शामिल करने और उनके बोर्ड में नकली निदेशक उपलब्ध कराने के पूरे रैकेट के मास्टरमाइंड हैं। गिरफ्तार व्यक्ति डॉर्टसे ने कंपनी रजिस्ट्रार के पास दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार खुद को हिमाचल प्रदेश के मंडी का निवासी बताया है। आरओसी दिल्ली द्वारा पूछताछ के दौरान प्राप्त सबूतों और तलाशी अभियान से मिली जानकारी के मुताबिक स्पष्ट रूप से कई मुखौटा कंपनियों में डमी के तौर पर कार्य करने के लिए जिलियन इंडिया लिमिटेड द्वारा भुगतान किए जा रहे डमी निदेशकों का भी खुलासा हुआ हैं।

कंपनी की मुहरों से भरे बक्से और डमी निदेशकों के डिजिटल हस्ताक्षर साइट से बरामद किए गए हैं। भारतीय कर्मचारी चीनी इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप के जरिए चीनी समकक्षों के संपर्क में थे। हुसिस लिमि. को भी जिलियन इंडिया लिमिटेड की ओर से कार्य करने में संलिप्त पाया गया था। प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि हुसिस लिमि. का जिलियन इंडिया लिमिटेड के साथ एक समझौता था। अब तक की जांच से पता चला है कि इन शेल कंपनियों की गंभीर वित्तीय अपराधों में संभावित संलिप्तता देश की आर्थिक सुरक्षा के लिए हानिकारक है।

कॉर्पोरेट मामले मंत्रालय के अंतर्गत संचालित एसएफआईओ को जिलियन कंसल्टेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और 32 अन्य कंपनियों की जांच सौंपी गई थी। डॉर्टसे और एक चीनी नागरिक जिलियन कंसल्टेंट्स इंडिया में दो निदेशक हैं। तलाशी में मिले दस्तावेजों और अन्य जांच के आधार पर, यह भी खुलास हुआ है कि डॉर्टसे दिल्ली-एनसीआर से बिहार के एक एक दूर-दराज के इलाके में भाग गए थे और अपने को गिफ्तारी से बचाने के लिए भारत से बाहर निकलने के लिए सड़क मार्ग से निकलने की कोशिश कर रहे थे। इसकी जानकारी मिलते ही, एसएफआईओ ने तत्काल एक विशेष टीम का गठन किया जिसे इस दूर-दराज के इलाके में भेजा गया। एसएफआईओ ने डॉर्टसे को गिरफ्तार करने के बाद में क्षेत्राधिकार न्यायालय में पेश किया गया और उनकी ट्रांजिट रिमांड के आदेश भी प्राप्त किए गए।

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