नई दिल्ली (मा.स.स.). ममता बनर्जी मोदी सरकार के खिलाफ प्रभावी विपक्षी मोर्चा बनाना चाहती हैं. लेकिन इसके लिए विभिन्न प्रान्तों में फैले क्षेत्रीय दलों सहित कांग्रेस को एक मंच पर लाना उनके लिए फिलहाल संभव नहीं दिख रहा है.
अगले महीने राष्ट्रपति चुनाव होना है. यदि विपक्ष एकजुट होकर किसी प्रत्याशी का चयन करता है, तो इससे भाजपा को मुश्किल हो सकती है. ममता बनर्जी ने इसी को ध्यान में रखते हुए 15 जून को दिल्ली में विपक्षी दलों की एक बैठक रखी है. इसके लिए शिवसेना को आमंत्रण भेजा गया था. लेकिन उसका कहना है कि इस दिन पहले से उनका अयोध्या में राम लला के दर्शन का कार्यक्रम है. इसलिए वो शामिल नहीं हो पाएंगे. उधर वाम दलों ने कहा है कि यह बैठक बुलाना ममता बनर्जी का एकतरफा निर्णय है, इससे विपक्षी एकता को खतरा होगा.
इस दिन ममता के बैठक रखने से पहले ही कांग्रेस ने एनसीपी, डीएमके सहित विभिन्न दलों की एक बैठक घोषित कर रखी है. ऐसे में वाम दलों सहित जो दल कांग्रेस की बैठक में रहेंगे वो भी ममता बनर्जी की बैठक में नहीं मौजूद होंगे.