शनिवार, जुलाई 27 2024 | 05:49:58 AM
Breaking News
Home / राष्ट्रीय / खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनगिनत कदम उठाए हैं : केंद्र सरकार

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनगिनत कदम उठाए हैं : केंद्र सरकार

Follow us on:

नई दिल्ली (मा.स.स.). एक ऐसे राष्ट्र के रूप में भारत की छवि को धूमिल या कलंकित करने के लिए निरंतर किया जा रहा कुटिल प्रयास एक बार फिर स्‍पष्‍ट नजर आ रहा है जो अपनी आबादी की खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि गलत सूचना फैलाना ही हर साल जारी किए जाने वाले ‘वैश्विक भुखमरी सूचकांक’ का विशिष्‍ट उद्देश्‍य है। कन्सर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फे, जो कि क्रमशः आयरलैंड और जर्मनी के गैर-सरकारी संगठन हैं, द्वारा जारी ‘वैश्विक भुखमरी रिपोर्ट 2022’ में भारत को 121 देशों में काफी नीचे 107वीं रैकिंग दी गई है।

यह सूचकांक दरअसल भुखमरी का एक गलत पैमाना है और इसमें ढेर सारी गंभीर पद्धतिपरक कमियां हैं। इस सूचकांक की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले चार संकेतकों में से तीन संकेतक दरअसल बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं, अत: ये निश्चित रूप से पूरी आबादी के स्वास्थ्य को नहीं दर्शा सकते हैं। अल्‍पपोषित आबादी के अनुपात (पीओयू) का चौथा और सबसे महत्वपूर्ण संकेतक अनुमान दरअसल सिर्फ 3000 प्रतिभागियों के बहुत छोटे नमूने पर किए गए एक ओपिनियन पोल पर आधारित है।

रिपोर्ट न केवल जमीनी हकीकत से अलग है, बल्कि विशेष रूप से कोविड महामारी के दौरान देश की आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को इसमें जानबूझकर नजरअंदाज किया गया है। एक आयामी दृष्टिकोण को अपनाते हुए इस रिपोर्ट में अल्‍पपोषित आबादी के अनुपात (पीओयू) के अनुमान के आधार पर भारत की रैंकिंग को कम करके 16.3 प्रतिशत पर ला दिया गया है। एफएओ का अनुमान “खाद्य असुरक्षा अनुभव पैमाने (एफआईईएस)” सर्वेक्षण मॉड्यूल पर आधारित है जो कि गैलअप वर्ल्ड पोल के माध्यम से आयोजित किया गया है और जो “3000 प्रतिभागियों” के नमूने के साथ “8 प्रश्नों” पर आधारित “ओपिनियन पोल” है। एफआईईएस के माध्यम से भारत जैसे विशाल देश के लिए एक छोटे से नमूने से एकत्र किए गए डेटा का उपयोग भारत के लिए पीओयू मूल्य की गणना करने के लिए किया गया है जो न केवल गलत और अनैतिक है, बल्कि यह स्पष्ट पूर्वाग्रह का भी संकेत देता है। वैश्विक भुखमरी रिपोर्ट की प्रकाशन एजेंसियों कन्सर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फे ने स्पष्ट रूप से यह रिपोर्ट जारी करने से पहले अपनी ओर से बारीकी से मेहनत नहीं की है।

जुलाई 2022 में एफएओ के साथ एफआईईएस सर्वेक्षण मॉड्यूल के आंकड़ों के आधार पर ऐसे अनुमानों का उपयोग नहीं करने का मुद्दा उठाया गया था क्योंकि इसके सांख्यिकीय आउटपुट तथ्यों पर आधारित नहीं होंगे। हालांकि इस बात का आश्वासन दिया जा रहा था कि इस मुद्दे पर और बातचीत की जाएगी, लेकिन इस तरह की तथ्यात्मक कमियों के बावजूद ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट का प्रकाशन खेदजनक है।

प्रतिभागियों से पूछे गए कुछ प्रश्न इस प्रकार हैं:

“पिछले 12 महीनों के दौरान, क्या कोई ऐसा समय था, जब पैसे या अन्य संसाधनों के अभाव में: आप इस बात के लिए चिंतित थे कि आपके पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं होगा? क्या आपने जितना सोचा था, उससे कम खाया?

यह स्पष्ट है कि इस तरह के प्रश्न सरकार द्वारा पोषण संबंधी सहायता प्रदान करने और खाद्य सुरक्षा के आश्वासन के बारे में प्रासंगिक जानकारी के आधार पर तथ्यों की पड़ताल नहीं करते हैं।

भारत में प्रति व्यक्ति आहार ऊर्जा आपूर्ति, जैसा कि आहार तालिका (बैलेंस शीट) से एफएओ द्वारा अनुमान लगाया गया है, देश में प्रमुख कृषिगत वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि के कारण साल-दर-साल बढ़ रही है और ऐसा कोई उपयुक्त कारण नहीं है कि देश में कुपोषण का स्तर बढ़े।

इस अवधि के दौरान सरकार ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए थे। इस संबंध में की गई कुछ कार्रवाइयां इस प्रकार हैं:

  • सरकार दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम चला रही है। देश में कोविड-19 के अभूतपूर्व प्रकोप के कारण उत्पन्न आर्थिक व्यवधानों के मद्देनजर सरकार ने मार्च2020 में लगभग 80 करोड़ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लाभार्थियों को अतिरिक्त मुफ्त खाद्यान्न (चावल/गेहूं) के वितरण की घोषणा की थी। ये वितरण प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) के तहत प्रति माह 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति के पैमाने पर, नियमित मासिक एनएफएसए खाद्यान्न यानी उनके राशन कार्ड की नियमित पात्रता के ऊपर है। इस तरह एनएफएसए परिवारों को सामान्य रूप से वितरित किए जाने वाले मासिक खाद्यान्न की मात्रा को प्रभावी ढंग से दोगुना कर दिया गया, ताकि आर्थिक संकट के समय में पर्याप्त खाद्यान्न की अनुपलब्धता के कारण गरीब, जरूरतमंद और कमजोर परिवारों/लाभार्थियों को नुकसान न हो। अब तक पीएम-जीकेएवाई योजना के तहत सरकार ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 1121 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया है, जो खाद्य सब्सिडी में तकरीबन 3.91 लाख करोड़ रुपये के बराबर है। इस योजना को दिसंबर 2022 तक बढ़ा दिया गया है।
  • ये वितरण राज्य सरकारों के माध्यम से किया गया है, जिन्होंने स्वयं लाभार्थियों को दालें, खाद्य तेल और मसाले आदि उपलब्ध कराकर केंद्र सरकार के प्रयासों को आगे बढ़ाया है।
  • आंगनबाड़ी सेवाओं के तहत कोविड-19 महामारी के बाद से, 6 वर्ष तक के लगभग7.71 करोड़ बच्चों और1.78 करोड़ गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को पूरक पोषण प्रदान किया गया। 5.3 मिलियन मीट्रिक टन खाद्यान्न (जिसमें 2.5 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं, 1.1 मिलियन मीट्रिक टन चावल, 1.6 मिलियन मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल और 12,037 मीट्रिक टन ज्वार और बाजरा शामिल हैं) की आपूर्ति की गई।
  • भारत में14 लाख आंगनबाड़ियों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं द्वारा पूरक पोषाहार का वितरण किया गया। लाभार्थियों को‘घर ले जाने वाला राशन (टेक होम राशन)’ हर पखवाड़े उनके घरों पर पहुंचाया गया।
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत1.5 करोड़ से अधिक पंजीकृत महिलाओं में से प्रत्येक को उनके पहले बच्चे के जन्म पर गर्भावस्था और प्रसव के बाद की अवधि के दौरान पारिश्रमिक सहायता एवं पौष्टिक भोजन के लिए प्रत्येक को5000 रुपये प्रदान किए गए।
  • वैश्विक भुखमरी सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) में शामिल पीओयू के अलावा तीन अन्य संकेतक मुख्य रूप से बच्चों से संबंधित हैं, जैसे बच्चों के विकास में कमी, किसी अंग का कमजोर रह जाना और5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर। ये संकेतक भूख के अलावा पेयजल, स्वच्छता, आनुवंशिकी, पर्यावरण और भोजन के उपयोग जैसे विभिन्न अन्य कारकों के जटिल संयोग के परिणाम हो सकते हैं, जिसे जीएचआई में बच्चों के विकास में कमी और किसी अंग का कमजोर रह जाना के लिए कारक/परिणाम कारक के रूप में लिया जाता है। बच्चों के मुख्य रूप से स्वास्थ्य संकेतकों से संबंधित संकेतकों के आधार पर भूख की गणना करना न तो वैज्ञानिक है और न ही तर्कसंगत।

 

यह भी पढ़ें : एनईपी पुरातन का आधुनिकता के साथ मेल कराती है : धर्मेंद्र प्रधान

 

भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

https://vyaparapp.in/store/Pustaknama/15

https://www.meesho.com/hindi-paperback-history-books/p/2r4nct

इस पुस्तक को ई-बुक के रूप में खरीदने हेतु कृपया निम्न लिंक पर क्लिक करें –

https://www.amazon.in/dp/B0aar BCH59SF8

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेगा इंडी गठबंधन शासित राज्यों के मुख्यमंत्री

नई दिल्ली. सदन में केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया बजट कांग्रेस ने भेदभावपूर्ण और …