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पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के सहयोग से हुआ मेगा क्रेता-विक्रेता बैठक का आयोजन

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नई दिल्ली (मा.स.स.). स्थायी व्यापार को बढ़ावा देने और बाजार संपर्क बनाने के लिए एक मेगा क्रेता-विक्रेता बैठक का आयोजन पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के सहयोग से उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की एक जिला एक उत्पाद पहल के अंतर्गत, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर) एवं इसके सार्वजनिक उपक्रमों, पूर्वोत्तर हस्तशिल्प और हथकरघा विकास निगम (एनईएचएचडीसी) व पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम लिमिटेड (एनईआरएएमएसी) के सहयोग से गुवाहाटी में किया गया था। यह बैठक उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के आठ राज्यों के कृषि उत्पादों पर केंद्रित थी और इसमें कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों की उपस्थिति देखी गई।

पूर्वोत्तर राज्यों- असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम में से प्रत्येक के विभिन्न जिलों के 70 से अधिक विक्रेताओं, व्यापारियों, किसानों, एग्रीगेटर्स ने गुवाहाटी में बैठक में खरीदारों को अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया। उत्पादों में 7 प्रतिशत से अधिक करक्यूमिन सामग्री के साथ मेघालय की विश्व प्रसिद्ध लकडोंग हल्दी, सिक्किम से जीआई टैग की गई बड़ी इलायची और त्रिपुरा की रानी अनानास, ऑर्थोडॉक्स असम चाय, मणिपुर का काला चाखाओ चावल और बहुत कुछ शामिल हैं। इन उत्पादों को रिलायंस और आईटीसी जैसे बड़े ब्रांड के साथ-साथ भारत के आगामी स्टार्ट-अप्स का प्रतिनिधित्व करने वाले 30 से अधिक बड़े खरीदारों को दिखाया गया है। इस कार्यक्रम में मुख्य भाषण पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में सचिव लोक रंजन ने विभिन्न राज्य सरकारों के कृषि और बागवानी विभागों के अधिकारियों एवं विषय विशेषज्ञों की उपस्थिति में दिया। डीपीआईआईटी के निदेशक बी. रामंजनेयुलु, एनईआरएएमएसी के प्रबंध निदेशक मनोज कुमार दास और एनईएचएचडीसी के प्रबंध निदेशक ब्रिगेडियर आर के सिंह भी उपस्थित थे।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसानों/उत्पादकों को समर्थन देने के लिए स्थापित एनईआरएएमएसी किसानों और बड़े बाजार के बीच की खाई को पाटने के लिए काम कर रहा है। इस प्रकार, ओडीओपी यानी एक ज़िला एक उत्पाद पहल के सहयोग से वर्तमान क्रेता-विक्रेता बैठक में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। संयुक्त प्रयासों के माध्यम से, किसानों की कमाई की क्षमता में सुधार के लिए क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ उत्पादों का बड़े ब्रांडों के साथ मिलान किया जा रहा है। सभी 8 उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों के खरीदारों, विक्रेताओं और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के बीच केंद्रित व्यापार चर्चा को भी सुगम बनाया गया। इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम के दौरान 6 करोड़ रुपये के आशय पत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर किए गए।

उपरोक्त पहल आत्मनिर्भर भारत (स्वावलंबी भारत) की परिकल्पना का प्रत्यक्ष परिणाम है। डीपीआईआईटी, एक ज़िला एक उत्पाद की अपनी पहल के अंतर्गत, जो किसानों की आय बढ़ाने पर प्रमुख रूप से ध्यान देने के साथ इस तरह के संपर्क के निर्माण और निर्वाह को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है। कृषि, कपड़ा, हस्तशिल्प और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में 700 से अधिक उत्पादों के साथ, एक ज़िला एक उत्पाद पहल देश के हर जिले से एक उत्पाद का चयन, ब्रांड और प्रचार करना चाहती है। यह व्यापार को बढ़ावा देने और सुविधा के बड़े उद्देश्य के लिए समन्वय, सहयोगी नेटवर्क बनाने और खरीदारों व विक्रेताओं के हैंडहोल्डिंग को सक्षम करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका द्वारा चिह्नित है।

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