नई दिल्ली (मा.स.स.). केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कनाडा के मॉन्ट्रियल में संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन, सीओपी-15 में समीक्षात्मक पूर्ण सत्र को संबोधित किया। महाधिवेशन को संबोधित करते हुए यादव ने कहा, मैं विभिन्न पक्षों के बहुमूल्य योगदान के लिए उनके योगदान को स्वीकार करता हूं और आशा करता हूं कि यह सम्मेलन 2020 के बाद की वैश्विक जैव विविधता कार्यक्रम को लागू करने पर आम सहमति तक पहुंचेगा। सामाजिक आर्थिक विकास, मानव हित और वैश्विक स्थिरता को आगे बढ़ाने के लिए इको-सिस्टम के क्षरण को रोकना और वैश्विक जैव विविधता के नुकसान को रोकना आवश्यक है। वैश्विक जैव विविधता कार्यक्रम में निर्धारित उद्देश्य एवं लक्ष्य महत्वाकांक्षी होने के साथ-साथ वास्तविक एवं व्यावहारिक भी होने चाहिए। जैव विविधता का संरक्षण भी सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं पर आधारित होना चाहिए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया जैव विविधता को प्रभावित करती है।
विकासशील देशों में, ग्रामीण समुदायों के लिए कृषि एक सर्वोपरि आर्थिक इंजन है, और इन क्षेत्रों को मिलने वाली महत्वपूर्ण सहायता में बदलाव नहीं किया जा सकता है। जब विकासशील देशों के लिए खाद्य सुरक्षा सर्वोपरि है, तो कीटनाशक कटौती में संख्यात्मक लक्ष्य निर्धारित करना अनावश्यक है और इसे संबंधित देशों की राष्ट्रीय परिस्थितियों, प्राथमिकताओं और क्षमताओं के आधार पर निर्णय लेने के लिए उन पर छोड़ देना चाहिए। जैव विविधता संरक्षण के लिए आवश्यक है कि इकोसिस्टम को समग्र रूप से और एकीकृत तरीके से संरक्षित और पुनर्स्थापित किया जाए। यह इस संदर्भ में है कि प्रकृति आधारित समाधानों के बजाय जैव विविधता के संरक्षण के लिए इकोसिस्टम के दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का सफल कार्यान्वयन पूरी तरह से उन तरीकों और साधनों पर निर्भर करेगा, जो हम समान रूप से संसाधन जुटाने की महत्वाकांक्षी प्रणाली के लिए करते हैं। इसलिए विकासशील देशों के पक्षों को वित्तीय संसाधनों के प्रावधान के लिए एक नया और समर्पित तंत्र बनाने की आवश्यकता है। भारत सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, ताकि हम सभी सीओपी-15 में वैश्विक जैव विविधता के लिए एक महत्वाकांक्षी और वास्तविक कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर सकें।