डा0 घनश्याम बादल
दुनिया भर में हर साल जून के तीसरे रविवार को पिताओं के सम्मान में ‘फादर्स डे’ मनाया जाता है । 19 जून 1910 से शुरु हुई इस दिन को मनाने की परंपरा । 1909 में मदर्स डे से प्रेरणा लेकर पहला फादर्स डे मनाया गया । अमरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने 1916 में इसे मान्यता दी तो 1924 में राष्ट्रपति क।ल्विन कुलिज ने फादर्स डे को राष्ट्रीय आयोजन घोषित किया और 1966 में लिंडन जानसन ने इसे जून के तीरे रविवार को मनाने की परंपरा डाली । पर इसे अधिकारिक मान्यता मिली 1972 में ।
जिन के सिर पर माता पिता का साया हो वें खुशनसीब होते हैं और शायद माता – पिता के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने की भावना से ही मदर्स डे व फादर्स डे मनाए जाने लगे । पर वास्तव में फादर्स डे मनाए जाने की की शुरुआत हुई थी चर्च के फादर के प्रति सम्मान प्रकट करने के रूप में ।
सबसे विश्वसनीय रिश्ता:
टूटते – दरकते रिश्तों के बीच भी पिता का रिश्ता आज भी अद्भुत है । दुनिया के अलग – अलग कोनों में इस सबसे अनमोल रिश्ते की बात ही ऐसी है कि पिता के नज़दीक आते ही बच्चों को ऐसा लगने लगता है जैसे वें किसी वटवृक्ष की छांव में आ गए हों , उन्हे एक अभेद्य कवच मिल गया हो जिसे दुनिया की कोई भी ताकत भेद नहीं सकती । आज उसी रिष्ते को सम्मान देने के भाव के साथ सारी दुनिया फादर्स डे मना रही है ।
नहीं बदला संबन्ध:
आज के आधुनिकता के दौर में जब संबंध टूट, बिखर रहे हैं , तब भी पिता व संतान के संबंधों पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पडा है और इस रिश्ते ने अपनी महत्ता व गरिमा बनाए रखी है । भले ही समय के साथ इस रिश्ते में भी बदलाव आया है पर आज भी दुनिया के किसी भी कोने में पिता के रिश्ते को न केवल सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है वरन् यह ऐसा रिश्ता है जिस पर आज भी पूरा -पूरा विश्वास किया जाता है ।
आकाश से भी ऊंचे पिता:
किसी भी बच्चे पर जीवन में जिन दो व्यक्तियों का सबसे ज्यादा प्रभाव पडता है उनमें मां के साथ पिता का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है । पिता का महत्व जितना भारत में है शायद ही कहीं और हो । यहां पिता का स्थान आकाश से भी ऊंचा है , भले ही वजह कुछ भी हो पर पापा आज भी हर बच्चे के हीरो हैं ।
बच्चों में बसते प्राण :
आज भी फादर्स पिता, अब्बू या पापा वह व्यक्ति हैं जिन पर पूरा परिवार आंख बंद करके विश्वास करता है , वें बच्चों की सुरक्षा के लिए बड़े से बड़ा खतरा उठाते हैं । बच्चों के कैरियर , तरक्की , आराम व सुख के लिए पापा कुछ भी करने में हिचकते नहीं हंै । इतिहास में ऐसे हजारों उदाहरण हैं जिनमें पापा अपने सपनों को बच्चों के माध्यम पूरे होते देखना चाहते हैं । हर पिता अपने बच्चों की हर हसरत पूरी करना चाहते है और बदले में सिर्फ इतना ही चाहते हैं कि उनकी संतान उनका नाम रोशन कर उनके सपने पूरे करे।
‘पापा’ होने का मतलब
‘पापा’ होने का मतलब अपने सपने बच्चों पर लादना नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें सही गलत की पहचान कराना , सही रास्ता दिखाना , उनका मार्ग दर्षन करते हुए मंजिल तक पंहुचाना है । यदि पिता अपने सारे विचार बच्चे पर लादने की गलती करते हैं तो बच्चे का व्यक्तित्व कुंठित होता चला जाता है , और कोई भी समझदार पिता ऐसा नहीं चाहेगा । पर, बच्चों का भी फर्ज बनता है कि जन्म देने व पालने पोषने वाले पिता को हर खुशी दें ।
क्रीमरोल से पिता:
प्रायः देखने में आता है कि बड़े होते बच्चों की पापा से दूरी बढ़ती चली जाती है कारण है पापा का मां की अपेक्षा कठोर होना । पिता अक्सर अपने बच्चों की हर बात ज्यों की त्यों नहीं मानते उनसे हर बात पर एक स्पष्टीकरण चाहते हैं , पापा तार्किक होते हैं पर याद रखिए पापा किसी नारियल या क्रीमरोल से होते हैं जो बाहर से भले ही कठोर हो पर अंदर से कोमल व और हितैषी होते हैं तो पापा को इसी नज़रिए से देखिए ।
अपना फर्ज निबाहें :
संतान के रूप में हमें यह समझना होगा कि पापा का मतलब किसी बैंक का एटीएम नहीं है जिससे केवल , रूपए ही निकाले जाते हैं जैसे वें हमारी भावनाओं को समझते हैं हमें भी वैसे ही हमें भी उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिये । जैसे अपनी जवानी में उन्होनें हमें वह सब दिया जिसकी हमें जरुरत थी उसी तरह बुढ़ापे में हमें उनका ध्यान रखना है , उनकी जरुरतें पूरी करनी हैं । ‘फादर्स डे’ पर अपना फर्ज निबाहें तो पिता के प्रति सच्ची श्रद्वा होगी ।
डैड के सपने पूरे करें :
आज के दिन कितना अच्छा हो कि हम अपने पापा को ऐसा बेहतरीन तोहफा दें कि वें कह उठें ‘आय एम प्राऊड़ आॅफ यू माई सन’ यह उनके किसी अधूरे सपने को पूरा करके दिया जा सकता है भूालिएगा नहीं कि जैसे पापा आपका हैप्पी बर्थ डे सेलिबेट करते है वैसे ही आप भी आज उन्हे ‘फादर्स’ डे सेलिब्रेट’ करके खुश करना आपका दायित्व हैं ।
पापा को खुश करना है :
वैसे भी पापा को खुष करना कोई मुश्किल काम नहीं है उन्हे खुश करने के लिए उनकी पसंद का काम करें , तोहफे के रूप में उनके लिये एक अच्छी सी टाई या फिर रुमाल मात्र भी उन्हे खुश करने को पर्याप्त है , सुबह – सुबह उनके कमरे में एक महकती खुश्बू का बुके रख दें या आफिस से आने पर उनकी पसंद का गरमा-गरम नाश्ता अपने हाथों से परोस दें इतने में ही पापा खुष हो जाते हैं ।: लाईफलोंग हैप्पीनेस देनी है तो अपनी उनके सपने पूरे कर दें, कैरियर में प्रोमोशन को उनके नाम कर दें , उन्हे खुशी व गर्व के मौको पर अपने साथ ले जाएं , सुबह उठकर उनके पैर छू कर आशीर्वाद लें लें अपनी सफलता पापा के नाम कर दें , आपके करियर के प्रति उनकी चिन्ताओं को दूर कर दें तो पापा वाह – वाह कर उठेंगें ।
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार हैं.
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