इस्लामाबाद (मा.स.स.). भारत में अगर दंगाइयों पर कार्रवाई होने के बाद पता चलता है कि वो एक संप्रदाय विशेष से जुड़े हैं, तो पाकिस्तान पूरे विश्व में शोर मचाना शुरू कर देता है. लेकिन उसके अपने देश में अक्सर ऐसे समाचार आते हैं, जिनसे पता चलता है कि वहां अल्पसंख्यक हिन्दुओं की क्या स्थिति है.
ताजा मामला पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के थारपारकर जिले का है. यहां एक हिन्दू महिला प्रसव पीड़ा होने पर निकटतम ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र गई. वहां कोई स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं थीं, इसलिए अनुभवहीन लोगों ने ही उसका ऑपरेशन कर डाला या कहें कि ऑपरेशन के नाम पर दर्दनाक मजाक किया. ऑपरेशन करने वाले जब शिशु को निकाल नहीं पाए, तो उन्होंने गर्भाशय में ही शिशु का सर काट कर शेष शरीर बाहर निकाल दिया.
बच्चे का सर पेट में ही बना रहा. इस कारण पीड़ित महिला की तबीयत बिगड़ गई. उसे पास के प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां भी कोई विशेषज्ञ नहीं था. इसके बाद किसी तरह उसे पाकिस्तानी हैदराबाद के लियाकत यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में लेकर आया, जहां विशेषज्ञों ने किसी तरह महिला की जान बचाई. सिंध की सरकार ने रविवार का मामला वायरल होने पर जांच के आदेश दे दिए हैं. सिंध स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक डॉ. जुमान बहोतो के अनुसार ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र पर कुछ कर्मचारी पीड़ित महिला की फोटो ले रहे थे और इस दौरान वीडियो भी बनाया गया. यही नहीं, इसको व्हाट्स एप के कई ग्रुपों में भी भेजा गया. अब इसकी भी जांच होगी.
यह सुनने में अच्छा लगता है कि चिकत्सकीय लापरवाही का संज्ञान लेते हुए पाकिस्तान ने जांच शुरू कर दी है. पर क्या पीड़ित हिन्दू महिला को न्याय मिलेगा. यहां हम पीड़िता को बार-बार हिन्दू महिला इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार की कभी कोई सुनवाई नहीं होती. अक्सर हिन्दुओं के मंदिर तोड़ दिए जाते हैं. प्रमुख आरोपियों को आज तक सजा नहीं मिली. इसलिए यह लगातार चल रहा है. हिन्दुओं की जनसँख्या उनके धर्मांतरण के कारण लगातार कम हो रही है. इसके लिए भी कभी कोई ठोस कदम पाकिस्तान ने नहीं उठाया.
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