नई दिल्ली (मा.स.स.). अभिनेता आदिल हुसैन ने कहा, ” द स्टोरीटेलर भारतीय सिनेमा के महानायक सत्यजीत रे को विनम्र श्रद्धांजलि है।” भारतीय पैनोरमा की फीचर फिल्म, द स्टोरीटेलर के कलाकार और दल के सदस्यों ने आज गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में ‘अनौपचारिक बातचीत’ के दौरान यह बात कही। फिल्म के बारे में मीडिया और सिनेप्रेमियों को जानकारी देते हुए, आदिल- जिन्होंने फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है- ने कहा कि यह फिल्म सुप्रसिद्ध फिल्मकार और कहानीकार सत्यजीत रे की एक छोटी कहानी पर आधारित है।
अभिनेत्री तनिष्ठा चटर्जी ने कहा, “एक कलाकार के रूप में मुझे लगता है कि कला मुक्त होनी चाहिए, लेकिन आज की दुनिया में, जहां एक फिल्म बनाने में बहुत सारा व्यापार जुड़ा हुआ है और कुछ भी मुफ्त में नहीं आता है, यह कलाकार समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह किसी की रचना की मौलिकता का सम्मान करे और साहित्यिक चोरी से बचे, इन दिनों न केवल सिनेमा में, बल्कि हर क्षेत्र में कॉपीराइट एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा है।’’ साहित्यिक चोरी पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए आदिल हुसैन ने कहा, “कार्मिक कानून के अनुसार, आपको जो कुछ भी मुफ्त में मिलता है, आपको उसका परिणाम भुगतना पड़ता है। इसलिए आपको जो भी उत्पाद या सेवा मिलती है, चाहे वह कला हो या कुछ और, या तो आपको पैसे देने चाहिए या निर्माता के प्रति आभार और कृतज्ञता। कॉपीराइट के मुद्दे से निपटने के लिए यह आधारभूत सिद्धांत होना चाहिए।”
अपने किरदार के बारे में आदिल ने कहा कि एक अभिनेता को अपने छोटे-स्व से बड़े स्व तक की यात्रा करनी चाहिए, ताकि वह कहानी और किरदार में खुद को तल्लीन कर सके। उन्होंने रेखांकित किया, “चरित्र के लिए सहानुभूति पैदा करना एक अभिनेता के सबसे बड़े गुणों में से एक होता है।“ एक सवाल के जवाब में अभिनेत्री तनिष्ठा ने कहा, कला का उद्देश्य कलाकारों और दर्शकों को खुद से सवाल पूछने के लिए प्रेरित करना है। जवाब को आगे बढ़ाते हुए आदिल ने कहा, कला का मूल उद्देश्य हमारे स्तर को ऊपर उठाना है, ताकि हम अपने अस्तित्व को लेकर सवाल पूछ सकें। उन्होंने जोर देकर कहा, “सिनेमा केवल धन अर्जन के लिए नहीं है, बल्कि यह जागरूकता पैदा करने का एक माध्यम भी है।”
निर्माता सुचंदा चटर्जी ने कहा, यह फिल्म साहित्यिक चोरी के खिलाफ एक मजबूत संदेश देती है। उन्होंने कहा, “यह तीन साल की एक कठिन यात्रा थी, लेकिन हम इसके परिणाम से खुश हैं।” द स्टोरीटेलर को कल 53वें इफ्फी में प्रदर्शित किया गया था और इसे दर्शकों की शानदार प्रतिक्रिया मिली। यह फिल्म भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 53वें संस्करण में प्रतिष्ठित स्वर्ण मयूर के लिए भी प्रतिस्पर्धा कर रही है।
फिल्म का नाम: द स्टोरीटेलर
निर्देशक: अनंत नारायण महादेवन
निर्माता: क्वेस्ट फिल्म्स
पटकथा: किरीट खुराना
सिनेमेटोग्राफर: अल्फोंस रॉय
संपादन: गौरव गोपाल झा
कलाकार: परेश रावल, आदिल हुसैन, रेवती, तनिष्ठा चटर्जी, जयेश मोरे
सारांश
मुख्य पात्र तारिणी रंजन बंधोपाध्याय एक मनमौजी कहानीकार हैं। उनकी ख्याति किसी एक नौकरी पर नहीं टिकने वाले व्यक्ति की हैं और उन्होंने अपने कामकाजी करियर में 32 नौकरियां बदली। अब 60 साल की उम्र में, सेवानिवृत्ति के बाद कोलकाता में एक विधुर का जीवन जी रहे, बंधोपाध्याय का एकमात्र अफसोस यह है कि उन्हें अपनी दिवंगत पत्नी अनुराधा की अवकाश की उस चाहत को पूरा करने का समय नहीं मिल पाया, जिसकी उन्हें हमेशा इच्छा रहती थी। और अब अचानक नौकरी से बाहर होने के बाद उनके पास दुनिया भर का समय है, लेकिन उनके करीबी लोग उनके आसपास नहीं हैं।