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अमित शाह ने राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान का किया उद्घाटन

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गांधी नगर (मा.स.स.). केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री  अमित शाह ने शनिवार को गांधीनगर के निकट पालज गांव में ‘राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (NIPER)-अहमदाबाद’ के स्थायी परिसर का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री  भूपेंद्र पटेल और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया उपस्थित रहे। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री  अमित शाह ने कहा कि NIPER ज्ञान, शिक्षा, अनुसंधान और व्यापार को जोड़ने के लिए एक सेतु की भूमिका निभा रही है। NIPER के माध्यम से फार्मास्युटिकल क्षेत्र के विकास की ईंट रखी गई है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संसदीय क्षेत्र में NIPER के स्थायी परिसर के निर्माण पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि, यह भवन गांधीनगर में 60 एकड़ भूमि में कार्यरत हुआ है, जिसमें सात एकड़ क्षेत्र में विभिन्न आठ भवनों का निर्माण किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री ने यह विश्वास जताया कि गांधीनगर में कार्यरत NIPER सेंटर आगामी दिनों में देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में औषधि के क्षेत्र में अपना बड़ा योगदान देगा। इस सेंटर में रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान जैसे अनेक विषयों के भवनों का निर्माण होगा। अभी संस्थान में लगभग 500 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। पिछले तीन वर्षों से गांधीनगर NIPER देश के शीर्ष 10 संस्थानों में शामिल है।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अत्याधुनिक भवन की सुविधा मिलने के बाद NIPER-गांधीनगर देश का शीर्ष संस्थान बनेगा। उन्होंने कहा कि गांधीनगर की भूमि विद्या अध्ययन के वायुमंडल वाली भूमि है। गांधीनगर के आसपास राष्ट्रीय स्तर की अनेक यूनिवर्सिटियां कार्यरत हैं। NIPER के यहां कार्यरत होने से इस वायुमंडल को एक नई ऊर्जा मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस संस्थान का लक्ष्य औषधि क्षेत्र में शिक्षा ही नहीं बल्कि अनुसंधान के क्षेत्र में भी दुनिया का अग्रणी बनना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि फार्मेसी एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें शिक्षा न केवल व्यक्ति के लिए फायदेमंद है बल्कि मानव जीवन को स्वस्थ और सुंदर बनाने के लिए भी उपयोगी साबित होती है। इसलिए ही यहां जो विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं उनका करियर तो जीवन में अच्छे अवसरों की प्राप्ति के साथ बेहतर होगा ही, साथ ही वे अपने अध्ययन से करोड़ों नागरिकों के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उपयोगी भी साबित होंगे।

शाह ने कहा कि भारत में मोहाली और गुवाहाटी में NIPER पूर्ण रूप से अपने भवन में कार्यरत है और आज से गांधीनगर में तीसरा भवन भी शुरू हो गया है। कोलकाता, हाजीपुर, हैदराबाद और रायपुर में NIPER के भवन निर्माण का कार्य प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि 8 हजार विद्यार्थी NIPER से अपनी पढ़ाई पूरी कर प्रोफेशनल क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं और 300 से अधिक पेटेंट के रजिस्ट्रेशन का सम्मान भी NIPER को मिला है। वहीं, संस्थान की ओर से 7,000 से अधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि NIPER के पास ज्ञान को व्यापार के साथ जोड़ने का कौशल है। भारत सरकार ने सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (API) और महत्वपूर्ण प्रारंभिक सामग्री (KSM) के लिए होलिस्टिक एप्रोच के साथ अच्छी नीति अपनाई है। अगले दस वर्षों में भारत API और KSM के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। उन्होंने कहा कि NIPER द्वारा अनुसंधान क्षेत्र का पोर्टल शुरू किया गया है, जो रिसर्च करने वाले लोगों के लिए काफी उपयोगी साबित होगा।

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री जन औषधी योजना देश के करोड़ों गरीब लोगों के लिए वरदान बन गई है। उन्होंने इस योजना के सफल बनाने के लिए फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज के मालिकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि देश भर में 10 हजार जन औषधि केंद्रों पर 50 से 90 फीसदी तक कम रियायती दरों पर गरीब परिवारों को दवाइयां मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री के एक विचार के जरिए पिछले 9 वर्षों में दवाइयों की खरीदी में देश के गरीब परिवारों के 30 हजार करोड़ रुपयों की बचत हुई है। वहीं सिर्फ़ वर्ष 2022-23 की बात करें तो इसमें 7500 करोड़ रुपए की बचत हुई है।

सरकार ने उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना के माध्यम से फार्मास्युटिकल क्षेत्र की 48 छोटी-बड़ी कंपनियों को 4 हजार करोड़ रुपए के निवेश की मंजूरी दी है। सरकार ने तीन फार्मा पार्क बनाने की दिशा में सुचारु आयोजन किया है। इसी तरह, मेडिकल डिवाइस के क्षेत्र में भी देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नेशनल मेडिकल डिवाइस पॉलिसी 2023 जारी की गई है। अंत में केंद्रीय मंत्री  अमित शाह ने NIPER के नए भवन के निर्माण पर सभी को शुभकामनाएं दीं।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने NIPER के नए परिसर के उद्घाटन अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि विश्व नेता और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश के युवाओं के लिए नए क्षेत्र के अवसर और आयाम खुल रहे हैं।  नरेन्द्र मोदी ने हमें समय से पहले विचार कर उसे साकार करने के लिए समयबद्ध आयोजन करना सिखाया है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आज प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गुजरात प्रत्येक क्षेत्र में रोल मॉडल बना है, जो गुजरात का सौभाग्य है।  नरेन्द्र मोदी के विकास विजन को वास्तविक स्वरूप देने के लिए केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री  अमित शाह का मार्गदर्शन मिलता रहा है।  नरेन्द्र मोदी और  अमित शाह की दूरदर्शिता के परिणामस्वरूप गुजरात में राष्ट्रीय स्तर के अनेक संस्थानों का विकास हुआ है।

नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU), राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) और पंडित दीनदयाल ऊर्जा विश्वविद्यालय (PDEU) जैसी विश्व स्तरीय यूनिवर्सिटियां  अमित शाह के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की शोभा बढ़ा रही हैं। NIPER के विषय में चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि NIPER के नए परिसर के लोकार्पण से सेक्टर स्पेसिफिक एजुकेशन में एक नया मील का पत्थर जुड़ने जा रहा है। प्रधानमंत्री ने समयानुकूल शिक्षा को महत्व देते हुए 2007 में NIPER को फार्मा सेक्टर में अनुसंधान और अध्ययन के लिए भूमि आवंटित की थी और 2014 में जब  नरेन्द्र मोदी ने देश की सेवा का दायित्व संभाला, तब से इस परिसर के निर्माण को गति मिली है। आज NIPER एक वटवृक्ष के जैसा बन गया है और पिछले तीन वर्षों से लगातार देश के शीर्ष दस फार्मास्युटिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में अपना स्थान बनाता आ रहा है।

94 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित NIPER के इस परिसर का केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री  अमित शाह के करकमलों द्वारा उद्घाटन हुआ है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 60 एकड़ क्षेत्र में फैले इस विशाल परिसर से नए संसाधान, नई टेक्नोलॉजी के साथ कौशल और अनुसंधान में देश को हाईस्किल्ड प्रोफेशनल मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने गुजरात के फार्मा सेक्टर में अग्रिम होने पर गौरवपूर्वक कहा कि गुजरात फार्मास्युटिकल सेक्टर में देश का अग्रसर राज्य है। देशभर के फार्मा सेक्टर में गुजरात का योगदान 30 परतिशत तथा फार्मा एक्सपोर्ट में गुजरात का 28 प्रतिशत योगदान है। देश की 53 प्रतिशत मेडिकल डिवाइस एवं 78 प्रतिशत स्टेट कार्डियाक स्टेंट का उत्पादन गुजरात में होता है। देशभर की पंजीकृत फार्मास्युटिकल कंपनियों की संख्या सर्वाधिक गुजरात में है, जिनमें से 130 कपनियों को USFD की मंजूरी मिली है तथा 753 कंपनियाँ WHO की स्वीकृति प्राप्त गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस यूनिट्स हैं।

उन्होंने कहा कि गुजरात फार्मास्युकिल उत्पादन से आगे बढ़ कर फार्मा रिसर्च तथा बल्क ड्रग के उत्पादन में प्रगति कर रहा है और देश में कोरोना वैक्सीनी खोज करने वाली कंपनियों में से दो कंपनियाँ गुजरात की हैं।  पटेल ने NIPER के महत्व के विषय में कहा कि फार्मा सेक्टर की प्रोग्रेस में एक्सटेंसिव रिसर्च का भी बहुत बड़ा रोल है। पिछले कुछ वर्षों की तुलना में विज्ञान के क्षेत्र में हुए अनुसंधान से जीवन एवं जीवनशैली में काफी बदलाव आ गया है। हम हमारी भागदौड़ भरी जिंदगी में अपने स्वास्थ्य को भूल रहे हैं, जिसके कारण हमारे आसपास बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। पहले जो बीमारियाँ 50 से 60 वर्ष की आयु में होती थीं, वही आज 35 वर्ष की आयु में हो रही हैं। जैसे-जैसे बीमारियाँ बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे दवाइयों की आवश्यकता भी बढ़ेगी।

वर्तमान में जब नए-नए रोगों का निदान हो रहा है, तब नए-नए प्रकार की दवाइयों की जरूरत भी बढ़ रही है। फार्मास्युटिकल सेक्टर में रिसर्च के माध्यम से फार्मा प्रोडक्ट प्रत्येक के लिए वाजिब दाम पर उपलब्ध होना भी बहुत ही जरूरी है। इन सब परिस्थितियों तथा बदलते वैश्विक परिप्रेक्ष्य में NIPER जैसे संस्थान बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि NIPER फार्मास्युटिकल एजुकेशन व रिसर्च में क्रांति लाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा तथा साथ ही फार्मास्युटिकल व बायोमेडिकल साइंस को नए रिसर्च, नए अवसर एवं नए आयामों के साथ जोड़ेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री हमेशा कहते हैं कि यही समय है, सही समय है। देश की आज़ादी का अमृतकाल युवाओं के लिए रिसर्च तथा नए सेक्टर्स में अपनी योग्यता दर्शाने का स्वर्ण अवसर है। भारत विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।इस उपलब्धि में रिसर्च सेक्टर का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आगामी 25 वर्षों के अमृतकाल में विकसित आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में NIPER जैसी संस्था रिसर्च द्वारा अपना अमूल्य योगदान देगी।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि गुजरात में NIPER का नवीन भवन-कैम्पस केवल भारत ही नहीं, बल्कि आगामी दिवसों में विश्व में फार्मा क्षेत्र के विकास का मंदिर बनेगा। यह संस्थान फार्मा क्षेत्र में शिक्षा के साथ अनुसंधान व विकास में भी अपना श्रेष्ठ योगदान देगा। विश्व में बनने वाली पांच जेनेरिक गोलियों में से एक गोली भारत में बनती है। प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत आज फार्मा ऑफ वर्ल्ड बन चुका है। दुनिया में दवाई उत्पादन में भारत का हिस्सा 20 प्रतिशत है। भारत आज वैक्सीन व जेनेरिक दवाइयों के उत्पादन में अग्रसर है। फार्मा ऑफ वर्ल्ड के रूप में भारत की इमेज बनाए रखने के लिए रिसर्च तथा इनोवेशन पर बहुत काम करने की आवश्यकता है।

डॉ. मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत में 7 NIPER संस्थाओं की स्थापना की गई है। भारत के पास ब्रेन पावर तथा मैन पावर की कमी नहीं है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत फार्मा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना है। आजादी के अमृतकाल में भारत को फार्मा क्षेत्र का हब बनाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने रिसर्च एंड इनोवेशन के लिए आगामी 4 वर्ष में 35,000 करोड़ रुपए के निवेश का संकल्प किया है। कोविड के समय दवाई क्षेत्र में देश को अधिक आत्मनिर्भर बनाने के लिए PLI-1 स्कीम लॉन्च की गई। चीन के साथ डोकलाम विवाद हुआ, तब चीन द्वारा भारत को कुछ केमिकल-API देना बंद किया गया था। उस समय उसका प्रभाव भारत के फार्मा उद्योग पर न पड़े, इसके लिए ऐसे केमिकल-API भारत में बनाने के लिए हमने PLI-1 स्कीम लॉन्च की थी।

जिस मेडिसीन को भारत में बनाने में अधिक खर्च होता है, जबकि विदेश में वह सस्ती मिलती हो, तो उसके खर्च का अंदाजा लगा कर दवाई क्षेत्र के उद्यमियों को केन्द्र सरकार ने भारत में ही क्रिटिकल API का उत्पादन करने का आह्वान किया था। इस उत्पादन में फार्मा उद्यमियों को अतिरिक्त खर्च के रूप में भारत सरकार ने 10 प्रतिशत इंसेंटिव देने की घोषणा की थी। इसके फलस्वरूप आज भारत में 45 API बनने शुरू हो चुके हैं। NIPER में मेडिकल डिवाइस के इनोवेशन तथा रिसर्च द्वारा भारत को दवाई क्षेत्र में अधिक आत्मनिर्भर बनाने के लिए हम सबको कार्य करना होगा। प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में केन्द्र सरकार द्वारा घोषित स्वास्थ्य नीति के तहत 2030 तक स्वास्थ्य क्षेत्र में जीडीपी का 2.5 प्रतिशत खर्च करने का महत्वपूर्ण निर्णय किया गया है।

देश में कार्यरत सभी NIPER संस्थान इस प्रोजेक्ट को प्रोत्साहन देंगे। प्रधानमंत्री ने फार्मा क्षेत्र में इनोवेशन-रिसर्च में उद्यमी अधिक निवेश करें, इसके लिए 5000 करोड़ रुपए की रिसर्च फार्मा बेंडेक्स स्कीम घोषित की है, जिससे फार्मा क्षेत्र में भारत में अनेक नए अवसर उपलब्ध होंगे।केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जोड़ा कि देश के युवा फार्मा क्षेत्र के अनुसंधान के लिए कोई प्रोजेक्ट तैयार करेंगे, तो एक करोड़ रुपए की सहायता भारत सरकार देगी। प्रोजेक्ट उत्पादन के पहले चरण में आएगा, तब 100 करोड़ रुपए की सहायता और उसी प्रोजेक्ट में उत्पादन के लिए कोई वाणिज्यिक कंपनी आगे आएगी, तो उस कंपनी को 125 करोड़ रुपए की सहायता केन्द्र सरकार देगी।

उन्होंने जोड़ा कि ऐसे प्रोत्साहनों के फलस्वरूप भारत इनोवेशन में विकसित देशों की पंक्ति में आ जाएगा। गांधीनगर स्थित इस NIPER में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर मेडिकल डिवाइस की स्थापना के लिए 100 करोड़ रुपए का खर्च केन्द्र सरकार कर रही है, जो आगामी समय में मेडिकल डिवाइस क्षेत्र के अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ICMR के मानदंडों के अनुसार फार्मा क्षेत्र के उद्योग प्रोजेक्ट लेकर NIPER के समक्ष आएंगे, तो इस संबंध में भी ये संस्थान अनुसंधान करेंगे और उसे तैयार कर आउटपुट भी देंगे, जो देश को स्वास्थ्य क्षेत्र में विकसित बनाने तथा आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहायक होगा। स्वास्थ्य मंत्री ने NIPER के नए कैम्पस के लिए सभी को शुभकामनाएं दीं।

अमित शाह व अन्य अतिथियों ने इस अवसर पर नवीन परिसर का दौरा कर शैक्षिक सुविधाओं की जानकारी प्राप्त की। केन्द्रीय औषधि विभाग, केमिकल तथा फर्टिलाइजर मंत्रालय के सचिव  एस. अपर्णा ने गुजरात सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने फार्मा क्षेत्र में शिक्षा, रिसर्च तथा इनोवेशन के लिए इस संस्थान को 60 एकड़ भूमि वार्षिक केवल 1 रुपए टोकन किराए पर दी है। ऐसे में हम इस संस्थान को सभी क्षेत्रों में श्रेष्ठ संस्था के रूप में स्थापित करने के निरंतर प्रयास करेंगे। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एंड रिसर्च (NIPER) के निदेशक डॉ. शैलेन्द्रजी ने भी अपने वक्तव्य में आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर गांधीनगर दक्षिण के विधायक  अल्पेश ठाकोर, गांधीनगर उत्तर की विधायक  रीटाबेन पटेल, गांधीनगर के महापौर  हितेश मकवाणा, NIPER के सदस्य-जायड्स के चेयरमैन  पंकज पटेल, टोरेंट समूह के चेयरमैन  समीर मेहता, स्वास्थ्य मंत्रालय के उच्चाधिकारी, विभिन्न फार्मा कंपनियों के मालिक, अध्यापक, अनुसंधानकर्ता, आमंत्रित महानुभाव और विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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