नई दिल्ली. भारत ने सूरज को स्टडी करने के लिए अपना पहला मिशन आदित्य एल-1 भेजा है, जो अगले साल जनवरी में अपने लक्ष्य तक पहुंचेगा. इसी बीच नासा द्वारा सूर्य को लेकर की जा रही स्टडी के दौरान एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. दावा किया जा रहा है कि सूरज की सतह पर आठ लाख किलोमीटर बड़ा गड्ढा हो गया है. इस छेद की की चौड़ाई इतनी बड़ी है, जिसमें 60 पृथ्वी समा सकती हैं. नासा ने इस छेद को ‘कोरोनल होल’ नाम दिया है. खगोलशास्त्रियों का कहना है कि इस कोरोनल होल से सोलर विंड पृथ्वी की तरफ आ रही हैं, जिसके चलते पृथ्वी का रेडियो और सैटेलाइट कम्युनिकेशन सिस्टम टूट भी सकता है.
खगोलशास्त्री यह कह रहे हैं कि कोरोनल छेद एक दिन के भीतर अपने चरम आकार तक पहुंच गया और 4 दिसंबर से शुरू होकर सीधे पृथ्वी का सामना कर रहा है. ये छेद असामान्य नहीं हैं, लेकिन इसके पैमाने और समय ने वैज्ञानिक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है. यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि यह तब होता है जब सूर्य अपने 11-वर्षीय गतिविधि चक्र के चरम पर पहुंचता है, जिसे सौर अधिकतम के रूप में जाना जाता है. अनुमान लगाया जा रहा है कि 2024 में इसका अंत हो सकता है.
500-800 KM/S की तीव्रता से सौर हवाएं चलने का था डर
शुरुआत में ऐसी चिंताएं थीं कि सौर हवाएं जो 500-800 किलोमीटर प्रति सेकंड के बीच यात्रा कर सकती हैं. ये एक मध्यम G2 भू-चुंबकीय तूफान को प्रेरित कर सकती हैं, जिससे संभावित रूप से रेडियो ब्लैकआउट की स्थिति पैदा हो जाए. हालांकि Spaceweather.com ने बताया है कि सौर हवा की तीव्रता अपेक्षा से कम गंभीर थी, जिसके परिणामस्वरूप केवल कमजोर G1 भू-चुंबकीय तूफान आया. हल्के प्रभाव के बावजूद, विशेष रूप से उच्च अक्षांशों पर, ध्रुवीय प्रदर्शन की संभावना बनी रहती है.
पृथ्वी को कितना खतरा?
सूर्य गतिविधियों के नियमित चक्र से गुजरता है, जो कि वर्तमान की तरह सनस्पॉट, सौर फ्लेयर्स, कोरोनल मास इजेक्शन और कोरोनल होल शामिल है. ये घटनाएं सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र से जुड़ी हैं, जो सौर अधिकतम (Solar Maximum) के दौरान ध्रुवीयता में उलटफेर से गुजरती है. सनस्पॉट, सूर्य की सतह पर वो ठंडे क्षेत्र हैं जहां चुंबकीय क्षेत्र काफी मजबूत होते हैं. जैसे-जैसे हम सौर अधिकतम के करीब पहुंच रहे हैं, वैज्ञानिक अधिक लगातार और तीव्र सौर गतिविधि की तैयारी कर रहे हैं. जबकि वर्तमान कोरोनल होल पृथ्वी के लिए कोई महत्वपूर्ण खतरा नहीं है क्योंकि यह पृथ्वी के चेहरे से दूर दिशा में आगे बढ़ता है, यह हमारे तारे की गतिशील प्रकृति और हमारे ग्रह की प्रौद्योगिकी और पर्यावरण पर संभावित प्रभावों के लिए सौर गतिविधि की निगरानी के महत्व को दर्शाता है.
साभार : न्यूज़18
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