नई दिल्ली (मा.स.स.). विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर आयुष मंत्रालय के तहत केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद ने एक दिवसीय वैज्ञानिक सम्मेलन का आयोजन किया। अधिवेशन का विषय “होमियो परिवार – सर्वजन स्वास्थ्य, एक स्वास्थ्य, एक परिवार” रहा है। इस सम्मेलन का उद्देश्य पूरे परिवार के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए साक्ष्य-आधारित होम्योपैथिक उपचार को बढ़ावा देना, होम्योपैथी को उपचार की पहली पसंद के रूप में उपलब्ध कराने के लिए होम्योपैथिक चिकित्सकों का क्षमता निर्माण करना तथा परिवारों में उपचार की पसंद के रूप में होम्योपैथी को बढ़ावा देना है।
इस आयोजन के मुख्य अतिथि, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा कि हमें स्वास्थ्य सेवा के लिए एक व्यापक और एकीकृत पहुंच की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि यह आयोजन एकीकृत स्वास्थ्य के बारे में एक नई पहल की शुरुआत करेगा, जिसका भारतीय परिवारों में उपयोग किया जाएगा। इस आयोजन का विषय होमियो परिवार के साथ-साथ चिकित्सा बहुलवाद के अनुरूप भी होगा जो देश में स्वास्थ्य सेवा की पहचान है। होम्योपैथी प्रकृति से जुड़ी हुई है और इसे चिकित्सा की दूसरी सबसे बड़ी और तेजी से बढ़ रही प्रणाली की संज्ञा दी गई है।
उपराष्ट्रपति ने कोविड-19 का मुकाबला करने में होम्योपैथी की भूमिका का उदाहरण देते हुए कहा कि होम्योपैथी ने इस महामारी से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि भारत को ‘विश्व की फार्मेसी’ कहा गया और इसका सारा श्रेय भारत की गुणवत्ता आश्वासन के लिए प्रतिबद्धता को जाता है। इस अवसर पर केंद्रीय आयुष, पत्तन, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आयुष मंत्रालय द्वारा चिकित्सा की आयुष प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए की गई अनेक पहल के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि मंत्रालय ने चिकित्सा प्रणालियों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन दिया है, ताकि इसे अधिक साक्ष्य-आधारित और प्रभावी बनाया जा सके।
होम्योपैथी में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए आयुष मंत्रालय ने अपने बजटीय आवंटन को बढाया है और उन्होंने सीसीआरएच द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य, महामारी, बाह्य रोगी-आधारित अनुसंधान या अस्पताल-आधारित तृतीयक देखभाल अनुसंधान में किए गए अच्छे कार्यों के बारे में संतोष जाहिर किया। उन्होंने होम्योपैथिक बिरादरी से होम्योपैथी के उत्थान में किए गए अच्छे कार्यों को जारी रखने का अनुरोध किया, चाहे वे नैदानिक अभ्यास हों शिक्षण या अनुसंधान हों। आयुष, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई ने कहा कि हमें निवारक देखभाल के साथ-साथ बीमारियों के शीघ्र निदान और इलाज के महत्व को भी समझने की जरूरत है। पिछले अनेक वर्षों से सीसीआरएच की गतिविधियों और उपलब्धियों ने विभिन्न सार्वजनिक पहुंच गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उद्घाटन समारोह के बाद ‘होम्योपैथी के विकास में नीतिगत पहलू’ विषय पर एक सत्र का आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता सर्बानंद सोनोवाल और डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई ने की तथा आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा इसके सभापति रहे। वक्ताओं में आयुष मंत्रालय के पूर्व सचिव अजीत एम शरण, आयुष मंत्रालय के संयुक्त सचिव राहुल शर्मा और आयुष मंत्रालय में सलाहकार (होम्योपैथी) डॉ. संगीता दुग्गल शामिल थे। उन्होंने ‘होम्योपैथिक अनुसंधान, शिक्षा और उपचार की रणनीति’, ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य में होम्योपैथी’ और ‘फार्माकोविजिलेंस’ जैसे विषयों पर चर्चा की।
कोविड-19 में आर्सेनिकम एल्बम की प्रतिरक्षात्मक प्रतिक्रियाओं के बारे में नैदानिक परीक्षण करने के लिए केरल सरकार के सीसीआरएच और होम्योपैथी विभाग के साथ एक समझौते का भी आदान-प्रदान किया गया। होम्योपैथिक शिक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पहुंच बनाने और शिक्षा को अनुसंधान से जोड़ने के बारे में सीसीआरएच ने 70 राज्य/राष्ट्रीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों के साथ एक समझौते ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद होम्योपैथी(एसटीएसएच) में 134 सीसीआरएच अल्पकालीन छात्रवृति पाने वाले और 07 एमडी स्कॉलरशिप विजेताओं को सम्मानित किया गया।
आयोजन के दौरान उपराष्ट्रपति ने 9 सीसीआरएच प्रकाशनों का भी विमोचन किया। दो वृत्तचित्र और एक वेब पोर्टल ‘सीसीआरएच ई-लाइब्रेरी कंसोर्टियम’ भी जारी किए गए। इस वैज्ञानिक सम्मेलन में होम्योपैथी के विकास में नीतिगत पहलुओं, होम्योपैथी के विकास के लिए रणनीतिक ढांचा, होम्योपैथी में अनुसंधान साक्ष्य और होम्योपैथिक उपचार में विशेषज्ञता और अनुभव विषय पर आयोजित सत्र शामिल रहे।
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