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“कौशल राष्ट्रीय कार्य योजना” कार्यक्रम के तहत दिव्यांग व्यक्तियों के कौशल प्रशिक्षण पर डीडीजी द्वारा जोर

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नई दिल्ली (मा.स.स.). दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) के सचिव राजेश अग्रवाल के सक्षम मार्गदर्शन में, “विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016” की प्रावधानों को लागू करने और दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाने के लिए सुधारों की एक श्रृंखला की शुरुआत की गई है। इसी श्रृंखला की पहल के लिए राजेश अग्रवाल के अध्यक्षता में आवासीय आयुक्तों और सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों और उनके प्रतिनिधियों के साथ आज एक बैठक हुई।

सभा की शुरुआत डीईपीडब्ल्यूडी के सचिव द्वारा स्वागत भाषण से शुरू हुई, जिसमें उन्होंने दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण और अन्य लोगों के साथ उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए विभाग द्वारा चलाए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रम/योजनाओं पर रोशनी डाली। इसके अलावा, पीडब्ल्यूडीएस के लिए बाधारहित वातावरण, संचार प्रणाली, भौतिक ढांचा और परिवहन प्रणाली, समय पर हस्तक्षेप और प्रारंभिक निदान केंद्र जिसमें माता-पिता को सलाह भी शामिल हो, उच्च शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण, कौशल विकास/व्यावसायिक प्रशिक्षण, सभी शैक्षणिक और जागरूकता उत्पादों की सभी भाषाओं में उपलब्धता और ब्रेल प्रेस के प्रोत्साहन पर भी जोर दिया गया।

दिव्यांगजन पुनर्वास विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) के संयुक्त सचिव राजीव शर्मा ने डीडीआरएस, एआईसी, सीडीईआईसी से संबंधित योजनाओं पर रोशनी डालते हुए, राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों की सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया ताकि इन योजनाओं को जमीनी तौर पर पर सफल बनाने में सहयोग हो। उप महानिदेशक किशोर बी. सुरवाडे ने भारत सरकार की प्रमुख योजना “कौशल पर राष्ट्रीय कार्य योजना” के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों के कौशल प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया है। इस प्रयास में, विभाग ने हाल ही में द्वारका, नई दिल्ली में एनआईएसडी स्थित राष्ट्रीय स्तरीय स्टेकहोल्डर परामर्श कार्यक्रम आयोजित किया था।

मीना कुमारी शर्मा, उप सचिव ने ब्रेल प्रेस की भूमिका और ब्रेल प्रेस योजना के तहत राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता के बारे में संक्षेप में बताया और राज्य सरकार के प्रतिनिधि से नोडल एजेंसी, अर्थात् एनआईईपीवीडी के माध्यम से नेत्रहीन दिव्यांगों के लिए ब्रेल पुस्तकों और दूसरे शिक्षण सामग्रियों के प्रकाशन के लिए अपने प्रस्ताव भेजने का अनुरोध किया। डीईपीडब्ल्यूडी के अवर सचिव अमित श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों को राष्ट्रीय निधि के नए घटक के बारे में सूचित किया, जिसके तहत राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जैसे गोवा में जनवरी 2023 में आयोजित पर्पल फेस्ट जैसी घटनाओं के लिए वित्तीय सहायता के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह भी सूचित किया गया कि विभाग एनआईईपीवीडी देहरादून के साथ विभिन्न योजनाओं के बारे में सूचना के प्रसार के लिए रेडियो साक्षात्कार प्रसारित कर रहा है। उन्होंने राज्यों से अनुरोध किया गया कि वे इन साक्षात्कारों को स्थानीय भाषाओं में अनुवाद करें और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से अधिक से अधिक प्रचार करें।

सेजल पवार ने सुप्रीम कोर्ट मेंचल रहे में केसों जैसे सीमा गिरिजा बनाम भारत सरकार और अन्य और गौरव कुमार बंसल बनाम भारत सरकार और अन्य में राज्यों / संघ राज्यों द्वारा दिव्यांगों के अधिकार अधिनियम 2016 के कार्यान्वयन के बारे में चर्चा की। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन डैशबोर्ड बनाने के लिए निर्देश दिए हैं, जिसमें सभी राज्य / संघ राज्यों को आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 की उपलब्धियों के अनुपालन की स्थिति वास्तविक समय आधार पर अपलोड करने के लिए कहा गया है। जहां सभी राज्य / केंद्र शासित प्रदेश एक पक्ष हैं और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश उन राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के विनियमों के कार्यान्वयन से संबंधित अनुसरण किए जाने हैं। उन्होंने इस बात को भी ध्यान में लाया कि विभाग द्वारा “मनोआश्रय” डैशबोर्ड विकसित किया गया है जिसके द्वारा देश में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, पुनर्वास घर / आधीवास घर के विवरण को जुटाने के लिए दायित्व राज्यों को समय-समय पर जानकारी अपलोड करने के लिए होते हैं।

इसके बाद राज्य निवास आयुक्तों/प्रतिनिधियों के सुझाव और चर्चाओं के लिए फोरम को खोला गया। प्रतिभागियों ने विभाग की योजनाओं से संबंधित प्रश्न उठाए जिन पर स्पष्टीकरण दिए गए। प्रतिभागियों ने भी यूडीआईडी, राष्ट्रीय कोष और अन्य योजनाओं से संबंधित विभिन्न तरीके सुझाए जो इस प्रकार से हैं –

  1. दिव्यांग व्यक्तियों के समग्र सशक्तिकरण के लिए, एक संपूर्ण दृष्टिकोण की आवश्यकता है। शैक्षणिक संस्थान में आरक्षण केवल पर्याप्त नहीं होगा, निजी क्षेत्र में व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल निर्माण आदि में भी पहल की जानी चाहिए।
  2. निजी क्षेत्र की भूमिका को बढाया और प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
  3. दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उपलब्ध कार्यक्रम लोगों तक पंहुचे, इसके लिए विभाग को एक ब्रांड एंबेसडर की जरूरत है।
  4. सभी कार्यक्रमों के सफल लागू होने के लिए, एक दिव्यांगता-विशिष्ट डेटाबेस का निर्माण आवश्यक है।
  5. कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग।
  6. लाभार्थियों की पहचान करने के लिए जमीनी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के प्रोत्साहन।

यह बैठक एक अनूठी पहल थी क्योंकि पहली बार आवासीय आयुक्तों को विभाग के साथ संवाद की प्रक्रिया में शामिल किया गया, जो देश भर में केंद्र सरकार की पहल के अंतर्गत कार्यान्वयन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की संभावना रखते है।

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