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बारिश के कारण कम हुआ दिल्ली का प्रदूषण, फिलहाल मिली राहत

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नई दिल्ली. दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में शुक्रवार सुबह हल्की बारिश हुई जिसके बाद पूरे राज्य का मौसम बदल गया. बारिश की वजह से दिल्ली के लोगों को जहरीली हवा से थोड़ी राहत तो जरूर मिली है. रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के कुछ जगहों की AQI पहले से थोड़ी बेहतर हुई है.  भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शुक्रवार दोपहर तक शहर और आसपास के इलाकों में रुक-रुक कर बारिश होने का अनुमान लगाया है. पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे पड़ोसी राज्यों में भी हल्की बारिश की उम्मीद है.

बारिश की वजह से AQI का क्या है कनेक्शन

इंग्लिश पॉर्टल फर्स्ट पोस्ट में छपी खबर के मुताबिक ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ (सीपीसीबी) के मुताबिक दिल्ली के अशोक विहार में गुरुवार को औसत AQI 462 के पास दर्ज किया गया था. लेकिन बारिश के बाद शुक्रवार की सुबह इसमें सुधार देखा गया. इसी तरह, सीपीसीबी के आंकड़ों ने संकेत दिया कि सुबह हवा की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है. भले ही आरके पुरम में औसत AQI फिलहाल 461 पर है. रिपोर्ट के मुताबिक बारिश की वजह से पूरी दिल्ली की AQI में थोड़ा सुधार देखा गया है.वहीं सीपीसीबी और एसएएफएआर के आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि एक्यूआई अभी भी बहुत खराब है.दिन चढ़ने के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार दिखाई देने की उम्मीद है, क्योंकि किसी भी समय AQI पिछले 24 घंटों में ली गई रीडिंग का औसत है.

पॉल्यूशन की वजह से इन बीमारियों का खतरा होगा कम

जैसा कि आपको पता है दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में एयर पॉल्यूशन से लोगों का हाल बेहाल है. दिल्ली में एयर पॉल्यूशन से AQI का लेवल इतना ज्यादा खराब है  जिसकी वजह से कुछ पाबंदिया भी लगाई गई है. माहौल देखते हुए लोगों से अपील की गई है कि वह बहुत जरूरी पड़ने पर ही घर से बाहर निकलें. खासकर बूढ़े-बच्चे तो घर में ही रहें. दिल्ली के सटे नोएडा में तो पॉल्यूशन का लेवल और खतरनाक हो चुका है.  लेकिन अचानक से हुई इस बारिश की वजह से लोगों को राहत तो जरूरी मिली है. बारिश की वजह से इन बीमारियों का खतरा कम तो जरूर होगा. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक एयर पॉल्यूशन में खासकर ब्रोंकाइटिस और अस्थमा (bronchitis and asthma) जैसी गंभीर बीमारी ट्रिगर हो सकती है. अगर यह बीमारी किसी को पहले से है तो इस पॉल्यूशन में वह अपना गंभीर रूप ले सकती है. अब बारिश की वजह से अस्थमा अटैक या ब्रोंकाइटिस की बीमारी का जोखिम कम तो जरूर होगा.

अस्थमा और ब्रोंकाइटिस का एयर पॉल्यूशन से कनेक्शन

अस्थमा बचपन से भी हो सकती है और कुछ लोगों को यह खराब पर्यावरण के कारण भी हो सकता है. जहरीली हवा और प्रदूषण के कारण भी यह बीमारी हो सकती है. ब्रोंकाइटिस वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी यह बीमारी हो सकती है. यह एक समय तक ज्यादा रहती है. लेकिन क्रोनिक ब्रोंकाइटिस फेफड़ों और सांस लेने वाली नली में गड़बड़ी के कारण होती है.  जिसके कारण जलन पैदा होती है. ब्रॉनकायल टयूब्सके के जरिए हवा फेफड़ों के अन्दर और बाहर जाती है और अस्थमा में सांस की नली में सूजन आ जाती है. जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत होती है.

सांस की बीमारी

वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा हमारी सांस लेने के फंक्शन को प्रभावित करती है. और इसकी वजह से कई तरह की सांस से संबंधित बीमारियां हमारे शरीर में पनप जाती है. जैसे- अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) शामिल हैं. जहरीली हवा में सूक्ष्म कण और जहरीले केमिकल हमारी सांस की नली को परेशान कर सकते हैं और पहले से मौजूद बीमारियों को ट्रिगर कर सकते हैं.  जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है और समय के साथ फेफड़ों के फंक्शन में भी गड़बड़ी आने लगती है.

दिल की बीमारी

वायु प्रदूषण हाई बीपी, दिल के दौरे और स्ट्रोक के साथ-साथ दिल से जुड़ी कई बीमारियों को ट्रिगर कर सकता है. जो व्यक्ति काफी ज्यादा बाहर रहते हैं उन्हें सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव हो सकता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है.

कैंसर

वायू प्रदूषण में  कार्सिनोजेन काफी ज्यादा मात्रा में होता है. जिससे लंग्स कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे लोग जो काफी देर तक बाहर रहते हैं फेफड़ों का कैंसर होने का जोखिम बढ़ सकता है. प्रदूषित हवा में पाए जाने वाले बेंजीन और फॉर्मेल्डिहाइड जैसे पदार्थ कार्सिनोजेन माने जाते हैं.

न्यूरोन संबंधी बीमारी

प्रदूषण में पाए जाने वाले सूक्ष्म कण न्यूरोन संबंधी बीमारी का कारण बनता है., जिससे अल्जाइमर रोग और दूसरी बीमारी का खतरा बढ़ाता है.

जन्म के समय कम वजन और समय से पहले जन्म

वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वाली गर्भवती महिलाओं को कम वजन वाले शिशुओं को जन्म देने और समय से पहले जन्म का खतरा हो सकता है. भ्रूण के विकास पर वायु प्रदूषण का प्रभाव सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए एक बढ़ती चिंता का विषय है.

एलर्जी और त्वचा की स्थिति

वायुजनित प्रदूषक एलर्जी और एक्जिमा जैसी त्वचा संबंधी स्थितियों को बढ़ा सकते हैं. हवा में मौजूद सूक्ष्म कण और प्रदूषक तत्व त्वचा में जलन पैदा कर सकते हैं और एलर्जी प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर कर सकते हैं.

साभार : एबीपी न्यूज़

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