कोच्चि (मा.स.स.). सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी) प्लेटफॉर्म के व्यापक अंगीकरण को सुगम बनाने के लिए क्षेत्रीय कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित की जा रही है जिससे कि राज्य के अधिकारियों को इसके बारे में संवेदनशील बनाया जा सके। इन कार्यशालाओं की रूपरेखा विभिन्न हितधारकों के बीच अधिक उत्साह लाने और तालमेल बनाने के लिए बनाई गई है, ताकि राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों को एक-दूसरे से ज्ञान प्राप्त हो सके। मध्य और पश्चिमी क्षेत्र के लिए पहली क्षेत्रीय कार्यशाला 20 फरवरी, 2023 को गोवा में आयोजित की गई थी। दक्षिणी क्षेत्र के 9 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, अर्थात् केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, लक्षद्वीप और पुडुचेरी के साथ दूसरी क्षेत्रीय कार्यशाला 10 और 11 मार्च 2023 को केरल के कोच्चि में आयोजित की गई थी।
कार्यशाला के दौरान, डीपीआईआईटी के लॉजिस्टिक्स की विशेष सचिव सुसुमिता डावरा ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से आग्रह किया कि वे लॉजिस्टिक लागत को कम करने और दक्षता लाने से संबंधित मुद्दों की पहचान करने के लिए नियमित आधार पर व्यापार संघों और हितधारकों के साथ परस्पर बातचीत करें। उन्होंने सलाह दी कि लॉजिस्टिक्स से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए एक अंतर-विभागीय सेवा सुधार समूह का गठन किया जाए और मल्टीमॉडल अवसंरचना संबंधित युक्तियों के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की विधिवत पहचान करके लॉजिस्टिक लागत को कम करने के लिए कार्य योजना तैयार की जाए। उनकी टिप्पणियों में अगले 5-10 वर्षों के लिए लॉजिस्टिक दक्षता के लिए मांग आधारित दृष्टिकोण रखने हेतु माल प्रवाह का मानचित्रण करने, लॉजिस्टिक संबंधी अवसंरचना में निजी निवेश को आकर्षित करने और लॉजिस्टिक दक्षता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्ट-अप को सम्मिलित करने का भी उल्लेख किया गया। उन्होंने नवीन भारत के लिए अवसंरचना के विकास की योजना तथा एक कुशल लॉजिस्टिक इकोसिस्टम विकसित करने सहित लॉजिस्टिक इकोसिस्टम की योजना के निर्माण के दौरान प्रौद्योगिकी और हरित पहल के उपयोग पर भी जोर दिया।
एमएमपी एक रूपांतरकारी दृष्टिकोण है जो देश भर में समेकित योजना निर्माण और मल्टीमॉडल तथा अंतिम मील संपर्क के लिए समन्वित कार्यान्वयन को सक्षम बनाता है। इसे प्रधानमंत्री द्वारा 13 अक्टूबर, 2021 को सरकार में विभागों के बीच संवादहीनता को समाप्त करने और प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं में हितधारकों के लिए समग्र योजना को संस्थागत बनाने की दृष्टि से लॉन्च किया गया था। कोच्चि में क्षेत्रीय कार्यशाला के पहले दिन केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा एमएमपी के उपयोग में सर्वश्रेष्ठ उपयोग मामलों का प्रदर्शन किया गया। एनएमपी/एसएमपी प्लेटफॉर्म का उपयोग करने का अनुभव, सर्वश्रेष्ठ कार्य योजनाओं और विजन को 9 सहभागी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा साझा किया गया।कोच्चि में क्षेत्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति, राज्य लॉजिस्टिक नीतियों, विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक सुगमता (एलईएडीएस) और शहर लॉजिस्टिक योजना पर चर्चा की गई। पीएमजीएस के माध्यम से बंदरगाह कनेक्टिविटी और मल्टीमॉडलिटी को बढ़ाने के लिए, कोचीन बंदरगाह प्राधिकरण द्वारा एक प्रस्तुति दी गई, जिसके बाद कोचीन के 4 प्रमुख बंदरगाहों, कामराजार विशाखापत्तनम और न्यू मैंगलोर बंदरगाह के साथ पैनल चर्चा की गई। बंदरगाह कनेक्टिविटी और तटीय परियोजनाओं का अध्ययन करने के लिए कोच्चि का एक साइट विजिट भी आयोजित की गयी।
18 राज्यों द्वारा राज्य/केंद्र शासित प्रदेश लॉजिस्टिक नीति को अधिसूचित किया गया है। विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक सुगमता विकास (एलईएडीएस) 2023-24 रिपोर्ट भी शुरू की गई है जिसका उद्देश्य एक संरचना के अनुसार और लॉजिस्टिक्स सुगमता पर विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के रैंक के अनुरूप विभिन्न राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम का विश्लेषण करना है। कार्यशाला के दौरान, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित का उल्लेख करते हुए अपनी लॉजिस्टिक नीति की समीक्षा भी प्रस्तुत की: तमिलनाडु ने निर्यात-आयात के साथ-साथ राज्य में घरेलू व्यापार के लिए लॉजिस्टिक की लागत में कमी लाने पर फोकस प्रस्तुत किया (5 से 6 प्रतिशत तक कमी आने की उम्मीद)। कर्नाटक ने लॉजिस्टिक में राज्य के निष्पादन में सुधार लाने पर अपना फोकस प्रस्तुत किया।
आंध्र प्रदेश ने लॉजिस्टिक और आपूर्ति श्रृंखला में अवसंरचना अंतरालों को दूर करने और पूर्वी तट से व्यापार को बढ़ावा देने के अपने उद्देश्य को रेखांकित किया। तेलंगाना ने एमएमएलपी, ड्राई बंदरगाह, कोल्ड स्टोरेज आदि के माध्यम से एक मजबूत लॉजिस्टिक इकोसिस्टम विकसित करने के अपने उद्देश्य को रेखांकित किया। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को सक्षम करके दक्षता बढ़ाने के जरिए लॉजिस्टिक लागत को कम करने पर अपना फोकस प्रस्तुत किया। कार्यशाला के अंत में बंदरगाह कनेक्टिविटी और मल्टीमॉडलिटी पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई। चर्चा में बंदरगाह आधारित औद्योगीकरण, आंध्र प्रदेश में बड़ी संख्या में बंदरगाहों का विकास और एक प्रमुख अंतर क्षेत्र के रूप में तेलंगाना पर फोकस करना शामिल था; इसके लिए दोनों राज्यों को भारतीय बंदरगाहों के लिए एक प्रमुख फोकस के रूप में समेकित विकास और तटीय नौवहन के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
पीएम गतिशक्ति ‘समग्र सरकार’ के दृष्टिकोण की निरंतरता के साथ और पीएम गतिशक्ति एनएमपी की सहायता के लिए, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति (एनएलपी) को सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं, नियामक ढांचे, कौशल विकास, उच्च शिक्षा में लॉजिस्टिक को मुख्यधारा में लाने और उपयुक्त तकनीकों के अंगीकरण के माध्यम से सेवाओं और मानव संसाधन में दक्षता में सुधार के घटकों पर ध्यान देने के लिए लॉन्च किया गया था।राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति लॉजिस्टिक क्षेत्र के लिए एक व्यापक अंतःविषय, अंतःक्षेत्रवार और बहु-न्यायिक संरचना को निर्धारित करती है और लॉजिस्टिक इकोसिस्टम में सभी उप-क्षेत्रों के लिए एक व्यापक नीतिगत संरचना प्रदान करती है जो कुशल लॉजिस्टिक के लिए महत्वपूर्ण हैं।
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति का विजन त्वरित और समावेशी विकास के लिए देश में प्रौद्योगिकी रूप से सक्षम, एकीकृत, लागत प्रभावी, लचीला, टिकाऊ और विश्वसनीय लॉजिस्टिक इकोसिस्टम विकसित करना है। तदनुसार, एनएलपी के विजन को अर्जित करने के लिए व्यापक लक्ष्य हैं: (i) 2030 तक भारत में लॉजिस्टिक की लागत को वैश्विक मानदण्ड के बराबर लाने के लिए कम करना।; (ii) लॉजिस्टिक निष्पादन सूचकांक रैंकिंग में सुधार लाना- 2030 तक शीर्ष 25 देशों में शामिल होने का प्रयास है, और (iii) एक कुशल लॉजिस्टिक इकोसिस्टम के लिए डेटा संचालित निर्णय सहायता तंत्र सृजित करना।
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