मुंबई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 16 शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र फैसले के लिए शिवसेना (यूबीटी) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. अब महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा है कि कोर्ट इस मामले पर फैसले के लिए विधानसभा अध्यक्ष को समयसीमा नहीं बता सकती. पिछले हफ्ते शिवसेना (यूबीटी) विधायक सुनील प्रभु द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर शीर्ष अदालत के 11 मई की व्यवस्था के बावजूद फैसले में जानबूझकर देरी कर रहे हैं.
याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले में इसके स्पष्ट निर्देश के बावजूद कि लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर उचित अवधि के भीतर फैसला किया जाना चाहिए, विधानसभा अध्यक्ष ने एक भी सुनवाई नहीं की है. अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक सुनील प्रभु ने 2022 में शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी. शिंदे और अन्य विधायकों ने पिछले साल जून में नयी सरकार बनाने के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया था.
नार्वेकर ने पत्रकारों से कहा, ‘अदालत विधानसभा अध्यक्ष को मामले पर निर्णय लेने के लिए समयसीमा नहीं बता सकती क्योंकि कानून और विधायिका हमारे लोकतंत्र के दो अलग-अलग निकाय हैं. अगर ऐसा होता भी है, तो मुझे इस आशय के नोटिस को स्वीकार न करने का अधिकार है.’’उन्होंने कहा, ‘‘मेरे द्वारा कोई निर्णय ले लेने के बाद अदालत फैसला कर सकती है, लेकिन अदालत विधानसभा अध्यक्ष को आदेश नहीं दे सकती और उन्हें एक निश्चित समयसीमा के भीतर निर्णय लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकती.’’
यह पूछे जाने पर कि इस मामले पर निर्णय लेने के लिए उन्हें कितना समय चाहिए, नार्वेकर ने कहा कि महाराष्ट्र में जो हुआ वह ‘अभूतपूर्व’ है. उन्होंने कहा, ‘ऐसी घटना पर मेरे पास किसी अन्य राज्य से कोई उदाहरण नहीं है. इसलिए, मेरे लिए यह जटिल और महत्वपूर्ण है कि ऐसे मामले पर निर्णय कैसे लिया जाए.’’ नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना के दोनों गुटों के विधायकों को नोटिस जारी किए गए हैं और अगर उन्हें जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांगने वाली याचिका मिलती है, तो वह अनुरोध सामग्री के आधार पर इस पर निर्णय लेंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय के समक्ष दायर याचिकाओं के घटनाक्रम के अनुसार कदम उठाऊंगा. मैं किसी विशेष याचिका का चयन नहीं कर सकता.’’ 11 मई को सुप्रीम कोर्टने फैसला सुनाया था कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे. शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार को बहाल नहीं कर सकती क्योंकि शिंदे के विद्रोह के मद्देनजर शिवसेना नेता (उद्धव ठाकरे) ने शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना इस्तीफा देने का फैसला किया.
नार्वेकर ने शनिवार को कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 40 और उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस जारी किया गया है और उनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर जवाब मांगा गया है. उन्होंने कहा कि इन विधायकों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है. नार्वेकर ने पहले कहा था कि उन्हें भारत के निर्वाचन आयोग से शिवसेना के संविधान की एक प्रति मिल गई है और मुख्यमंत्री शिंदे समेत 16 शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई जल्द ही शुरू होगी.
पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने हाल ही में कहा था कि सुप्रीम कोर्टपहले ही महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को एक रूपरेखा का ब्यौरा दे चुका है. शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा था, ‘विधानसभा अध्यक्ष को दिए गए ढांचे के भीतर अयोग्यता के मुद्दे पर फैसला करना होगा. अगर वह इसे दरकिनार करने की कोशिश करते हैं, तो सुप्रीम कोर्टके दरवाजे हमारे लिए हमेशा खुले हैं.’’
साभार : एबीपी न्यूज़
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं