प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने ज्ञानवापी मामले में आदेश दिया है कि ज्ञानवापी में वजूखाने से मिले शिवलिंग (Gyanvapi Shivling) का साइंटिफिक सर्वे करे एएसआई। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अंजुमन इंतजामिया कमिटी के महाससिव ने कहा, दूध का दूध पानी का पानी होना ही चाहिए, हम आज भी कह रहे हैं कि वह शिवलिंग नहीं फव्वारा है। वहीं श्रृंगार गौरी दर्शन मामले की मुख्य वादिनि राखी सिंह के पैरोकार जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शिवलिंग वाला परिसर सील है। ऐसे में जांच कैसे होगी लेकिन अगर शिवलिंग को बिना क्षति पहुंचाए जांच हो तो अपत्ति नहीं। इस तरह हाई कोर्ट के फैसले से सभी पक्ष सहमत लेकिन दावे वाले शिवलिंग की जगह सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सील है।
हाई कोर्ट की ओर से शिवलिंग की कार्बन डेटिंग टेस्ट की मंजूरी देना इस विवाद के समाधान में अहम साबित हो सकता है। इससे पहले वाराणसी की कोर्ट में कार्बन डेटिंग टेस्ट करने की मांग को खारिज कर दिया गया था। लेकिन अब हाईकोर्ट ने वाराणसी के जिला जज के फैसले को बदल दिया है। हाईकोर्ट में शुक्रवार को जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई। इस मामले में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने कल ही सील बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। पिछले साल मई महीने में कोर्ट कमीशन की कार्यवाही के दौरान मस्जिद के वजूखाने से शिवलिंग बरामद हुआ था।
साभार : नवभारत टाइम्स
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